खाद्य विभाग की मिलीभगत से शा. उचित मूल्य की दुकानों पर मिल रहा घटिया अनाज

स्वतंत्र समय, गुना

जिले में खाद्य विभाग के अधिकारी कर्मचारीयों का दोहरा रवैया देखने को मिल रहा हैं। एक तरफ तो जिला कलेक्टर के आदेश अनुसार खाद्य विभाग द्वारा खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत जिले के अलग-अलग हिस्सों में मिलावट खोरों के खिलाफ लगातार कार्यवाहियां की रहीं है। वहीं दूसरी और शासन की उचित मूल्य की दुकानों पर धूल मिट्टी मिला हुआ एवं घुना हुआ जिसमें कीड़े भी दिखाई दे रहे हैं, ऐसा अनाज उपभोक्ताओं को दिया जा रहा है। जिसे देखने वाला कोई नहीं है।
क्या इन पर कार्रवाई होगी ?

क्या सरकार ऐसा ही अनाज खरीदती है जैसा बांटा जा रहा है ?

शासकीय उचित मूल्य की दुकानों पर जो खाने योग्य नहीं है ऐसा अनाज बांटा जा रहा है, उपभोक्ता की मजबूरी है कि जैसा मिलेगा उसे लेना पड़ेगा। जहां कंट्रोल पर देखा गया कि उपभोक्ताओं को गेहूं वितरण किया जा रहा था, जिसमें गेहूं घुने हुए थे, जिसमें कीड़े भी निकल रहे थे धूल मिट्टी भी थी। जिसे देखकर ऐसा अनुमान लगाया जा सकता है कि इन बिचोलियों द्वारा बड़े-बड़े अनाज बिक्रेताओं से गोदाम में पड़ा सड़ा गला गेहूं, और चावल खरीदा जाकर, मिलावट कर उचित मूल्य की दुकान के माध्यम से गरीब जनता को बांटा जा रहा है। खाद्य विभाग का इस और कोई ध्यान नहीं हैं।
इनको कौन देखेगा, इन पर कार्यवाही क्यों नहीं ? यह एक विचारणीय प्रश्न है कि क्या सरकार ऐसा ही अनाज खरीदती है जैसा बनता जा रहा है ? यदि नहीं तो निश्चित तौर पर जिम्मेदारों द्वारा अमानत में खयामत का काम किए जाने की बात से इनकार नहीं किया जा सकता। क्या सरकार ऐसा ही घटिया किस्म का अनाज खरीदती हैं, जैसा बांटा जा रहा हैं। सरकार बाँट सकती है, आम आदमी पर होंगी कार्यवाही क्या ऐसा ही है ? सूत्रों से खबर है कि विभाग में बैठे भ्रष्ट अधिकारी व कर्मचारियों की मिली भगत से यह सब गोरख धंधा जोरों पर चल रहा है। विभाग के जिम्मेदार अधिकारी हैं निश्चित तौर पर क्या चल रहा है यह जानकारी रखना इनका काम हैं। उचित मूल्य की दुकानों पर घटिया किस्म के अनाज वितरण को लेकर कई बार शिकायत की गई, तो जिम्मेदारों का एक ही जवाब रहता है कि हमें जानकारी नहीं है।

तो फिर जानकारी किसको होंगी ?

नाम ना बताने की शर्त पर एक कंट्रोल संचालक ने बताया कि सरकार ऐसा माल तो नहीं खरीदती जैसा भेजा जा रहा है। इस बार तो मैंने भेजे गए माल को लेने से ही मना कर दिया था, मगर जबरदस्ती रख गए। लोग सामान लेते समय मुझसे झगड़ा करते हैं। अब मैं क्या करूं ?

इनका कहना है…

उचित मूल्य की दुकानों पर ऐसा घटिया किस्म का अनाज बांटे जाने को लेकर खाद्य अधिकारी कुर्वे से जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि भाई इसके बारे में आप शासन से बात कीजिए, वो बताएंगे यह गेहूं, चावल कहां से आता है।
सवाल – आप भी तो खाद्य विभाग के अधिकारी हैं ?
जबाब – हैं, मगर ये अनाज कहां से आता हैं ये हमें पता नहीं हैं
तुलेश्वर कुर्रे, प्रभारी जिला खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी गुना (म. प्र.)