स्वतंत्र समय, भोपाल
22 जनवरी को अयोध्या के भव्य राम मंदिर में भगवान राम लला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। अयोध्या राम मंदिर आंदोलन देश के सबसे बड़े धार्मिक-राजनीतिक आंदोलनों में से एक रहा है। राम मंदिर निर्माण के लिए कई लोगों ने जेल में सजा काटी, कईयों का राजनीतिक करियर बनाया तो कईयों को सत्ता से बाहर निकाल दिया। राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक नाम पूर्व सीएम उमा भारती का भी था। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने इस आंदोलन से जुड़े कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। भारती ने कहा कि पूरे आंदोलन में लगा कि मैं मर जाऊंगी, लेकिन मुझे सिर्फ रामजी की आस्था और मंदिर दिख रहा था। जब मेरे साथियों की शहादत हुई तो मुझे बुरा भी लगा कि मैं बच गई, लेकिन आज मैं जिंदा हूं और 22 जनवरी के दिन जब अयोध्या में रामलला मंदिर में विराजमान होंगे और प्राण प्रतिष्ठा होगी, तो मैं ये अपनी आंखों से देखूंगी।
मगर हम पीछे नहीं हटे
राम जन्मभूमि आंदोनल को याद कर उमा भारती ने बताया कि 2 नवंबर की कारसेवा अपनी शहादत के लिए मानी जाती है। राम और शरद कोठारी यानी कोठारी बंधु एक जत्थे में थे तो वहीं दूसरे जत्थे का नेतृत्व मैं कर रही थी। इस दौरान पुलिस ने गोलियां चला दी थी। हम सभी राम भक्तों को भीषण लाठीचार्ज का सामना करना पड़ा था। इस दौरान प्रो. अरोड़ा समेत राम-शरद कोठारी की भी शहादत हुई। कई कारसेवक मारे गए। उस दौरान अयोध्या में बहुत खून खराबा हुआ था। मगर हम पीछे नहीं हटे। भारती ने कहा कि 6 दिसंबर वाले दिन लालकृष्ण आडवाणी ने मुझे कहा था कि मैं कारसेवकों को नीचे आने के लिए कहूं। मगर इस दौरान मुझे राम-शरद कोठारी की मांं ढांचे के पीछे खड़ी मिली थी। इस दौरान मुझे कारसेवकों की भीड़ ने ही खदेड़ दिया। कारसेवकों की भीड़ जय श्रीराम का नारा लगाकर मुझे उसी मंच पर छोड़ आई थी, जहां पर हम सभी लोग थे।
आज तो मर ही जाएंगे’
उमा भारती ने बताया, मुझे इस आंदोलन में कई बार ऐसा लगा कि आज तो मर ही जाना है। मुझे इस कल्पना से खुशी होती थी कि मैं अयोध्या की गलियों में मर जाऊंगी। मुलायम सिंह यादव ने कह दिया था कि गोली मार दी जाएगी। हम तो मान कर चल रहे थे कि गोली चलेगी और हम मर जाएंगे। हमें गर्व था कि हम भगवान राम और अपने पूर्वजों के नाम पर शहीद होंगे। भारती ने कहा कि मुझे 6 दिसंबर के दिन मुझे लगा कि मैं मर जाऊंगी। क्योंकि मैं कार सेवकों को मनाने ढांचे के पास गई थी, वहां कभी भी गोली चल सकती थी। 2 नवंबर के दिन भी मुझे मर जाना था। मगर मैं चमत्कार से बच गई।