स्वतंत्र समय, पांढुर्णा
मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा पर एक खेत के कुएं में गिरने से बाघ की दर्दनाक मौत होने का मामला प्रकाश में आया है। पांढुर्णा जिले के बड़ चीचोली की निवासी शहनाज जब्बार शेख के महाराष्ट्र में आने वाले जूनेवानी (सावरगांव) के समीप स्थित खेत में यह घटना घटी है। जब किसान अपने खेत में सिंचाई हेतु मोटर चालू करने पहुंचा तब उसने देखा कि कुएं में गिरा हुआ बाघ (टाइगर) तैर कर अपनी जान बचाने का प्रयास कर रहा है। इस बारे में किस वन विभाग के अधिकारियों को सूचना दी इसके बाद महाराष्ट्र के वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी मौके पर पहुंचे साथ ही पांढुर्णा वन विभाग के भी अधिकारी घटनास्थल पर गए। लेकिन इस दौरान पानी में डूबने से बाघ की मौत हो चुकी थी, वन विभाग के अनुसार शेख परिवार के खेत खुला और सपाट था जिस कारण खेत में मौजूद हुआ रात में बाघ को नजर नहीं आया होगा और वह कुएं में गिर गया। बता जा रहा है कि कुएं में गिरने के बाद बाघ काफी समय तक तैरता रहा लेकिन वन विभाग की टीम मौके पर पहुंचने के पहले पानी में डूबने के कारण उसकी मौत हो गई। किसान और आसपास के ग्रामीण यदि समय रहते किसी प्रकार बाघ की जान बचाने के लिए कुएं में खटिया वगैरह रस्सी से बांधकर फेंक देते तो निश्चित रूप से बाघ उस पर बैठकर अपनी जान बचा सकता था। बाद में फॉरेस्ट की टीम उसे रेस्क्यू कर सकती थी परंतु बाघ की दहशत और कम समय होने के कारण यह संभव नहीं हो पाया। जिस खेत में बाघ की मौत हुई वह खेत नागपुर जिले के सावरगांव के समीप मौजूद है और बड चिचोली से लगभग 5 किलोमीटर महाराष्ट्र की तरफ अंदर है। शनिवार दोपहर को कुएं में गिरे बाग को निकालने के लिए महाराष्ट्र वन विभाग के डीएफओ सहित कई अधिकारी मौके पर मौजूद रहे और बाघ को निकाल कर उसका पंचनामा करके अपने साथ ले गए। कब तक बड़चिचोली के आसपास बाघ की मौजूदगी का कोई निशान नहीं मिलता लेकिन अक्सर महाराष्ट्र की ओर से ही बाघ या तेंदुये का मूवमेंट महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की सीमा पर देखने को मिलता है।
नागपुर के काटोल और अमरावती के बरूड के आसपास जरूर उनकी मौजूदगी की घटनाएं पूर्व में सामने आ चुकी है।