चुनावी जाजमः कांग्रेस के गढ़ में आरिफ के परिवार में फूट, भाजपा को 30 साल बाद खाता खोलने की उम्मीद जागी

विधानसभा सीटः भोपाल उत्तर में मतदाताओं की संख्या

कुल वोटरः 2,44,524

पुरुष वोटरः 1,26,284

महिला वोटरः 1,18,234

(2018 की स्थिति में)

स्वतंत्र समय, इंदौर

आरिफ अकील भोपाल के साथ ही प्रदेश का बड़ा नाम हैं। छह बार से भोपाल उत्तर सीट के विधायक हैं लेकिन उम्रदराजी के साथ बीमारियों ने इस बार उन्हें चुनावी रण से नाम वापस लेने पर मजबूर किया। उन्होंने 15 अगस्त को मंच से यह विरासत अपनेे बेटे के नाम करने की घोषणा की तो घर की लड़ाइयां सामने आ गईं। सबसे पहले तो आरिफ के भाई आमिर अकील नाराज हो गए। वहीं इस क्षेत्र से लंबे समय से सक्रिय नासिर इस्लाम ने निर्दलीय चुनाव लडऩे का ऐलान किया व अंतिम दिन फॉर्म भी जमा कर दिया। कांग्रेस और आरिफ परिवार में इस फूट का फायदा भाजपा प्रत्याशी आलोक शर्मा को मिल सकता है जिन्होंने एक बार आरिफ को कड़ी टक्कर दी थी। ऐसे में भाजपा तीस साल बाद इस सीट पर जीत के मंसूबे बांध सकती है।वहीं आम आदमी पार्टी के मैदान संभालने से अल्पसंख्यक वोटों का विभाजन भी तय है। 6 बार के विधायक आरिफ अकील के बजाए इस बार उनके बेटे आतिफ चुनाव लड़ रहे हैं। पार्टी ने आरिफ की बात का सम्मान रखते हुए उनके बेटे को मौका दिया है लेकिन पार्टी के लिए इसी के साथ फजीहत शुरू हो गई है।  नामांकन भरने के आखिरी दिन कांग्रेस में बगावत हो गई। आतिफ के खिलाफ उनके ही चाचा आमिर ने नामांकन के अंतिम दिन नामांकन पत्र दाखिल कर दिया। इसी सीट से कांग्रेस नेता नासिर इस्लाम ने भी फॉर्म जमा किया है।

हामिद कुरैशी ने पहली बार जीत दर्ज की थी

राजधानी भोपाल की उत्तर विधानसभा का गठन 46 साल पहले साल 1977 में हुआ था। पहली बार इस सीट से जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में हामिद कुरैशी ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद 1980 में रसूल अहमद सिद्दीक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई) से विधायक चुने गए। 1985 में फिर रसूल अहमद सिद्दीकगंज कांग्रेस से विधायक बने।

आरिफ मैदान में आए और भोपालियों पर छा गए

1990 में निर्दलीय आरिफ अकील ने कांग्रेस के इस गढ़ को भेद दिया था। वे विधायक चुने गए। वहीं 1993 में यहां से बीजेपी के रमेश शर्मा विधायक चुने गए। यह भाजपा के लिए आखिरी जीत साबित हुई। इसके बाद से यह सीट फिर कांग्रेस के कब्जे में चली गई। 1998 के चुनाव में कांग्रेस ने आरिफ अकील पर भरोसा जताया। अकील कांग्रेस के विश्वास पर खरे उतरे और विधायक चुने गए। इसके बाद से आरिफ अकील भोपाल की उत्तर सीट पर स्थायी चेहरा हो गए। वे 2003, 2008, 2013 और 2018 में भी इस सीट से विधायक चुने गए। 2018 में अकील ने भाजपा की फातिमा रसूल सिद्दीकगंज को 34 हजार 857 मतों से पराजित किया था।

कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री आरिफ से नाराज

2008 में शहर की मध्य विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे और वर्तमान में उत्तर विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय नासिर इस्लाम ने कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने एक बैठक करके उत्तर से निर्दलीय चुनाव लडऩे का ऐलान किया है। वे कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री जैसे रुतबेदार पद हैं। उनके बगावती तेवर कांग्रेस को भारी पड़ सकते हैं। बागी हुए इस्लाम ने अब तक नामांकन पत्र जमा नहीं किया है, लेकिन वो चुनाव चुनाव लडऩे का मन बना चुके हैं। उनके पक्ष में मुस्लिम समुदाय के बड़ी संख्या में मतदाता हैं। यदि वो निर्दलीय चुनाव लड़ते हैं तो कांग्रेस के वोट काटेंगे। इससे कांग्रेस की जीत आसान नहीं होगी।

भाजपा के लिए फायदे के समीकरण इसलिए भी

आतिफ अकील का कांग्रेस के कई नेता विरोध करने में जुटे हैं। उनके सामने भाजपा से आलोक शर्मा प्रत्याशी हैं। वहीं, आम आदमी पार्टी से पूर्व पार्षद मोहम्मद सऊद चुनावीमैदान में हैं। ये भी मुस्लिम वोट काटेंगे। इसका लाभ भाजपा को मिल सकता है, हालांकि इस क्षेत्र में मुस्लिम समुदाय किस तरफ जाएगा, वो मुस्लिम समुदाय के धर्मगुरुओं पर भी निर्भर करता है।

आलोक को शिवराज के करीबी होने का मिला फायदा

भोपाल उत्तर से भाजपा उम्मीदवार आलोक शर्मा प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष और पूर्व महापौर रहे हैं। आलोक शर्मा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के काफी करीबी माने जाते हैं। वो उत्तर विधानसभा में काफी सक्रिय हैं। उन्होंने एक बार भाजपा के टिकट पर चुनाव भी लड़ा था लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। उनका हाल ही में दिया हुआ मुस्लिमों पर विवादित बयान काफी सुर्खियों में रहा था. उन्होंने रतलाम के जावरा में कहा था कि  मैं मुस्लिम भाइयों से कहना चाहता हूं क्योंकि तुम वोट तो नहीं दोगे, मियां वोट मत देना मियां पर दिल से स्वीकार करो कि जिस मकान में तुम रह रहे हो वो मकान प्रधानमंत्री की योजना में मिला है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मियां भाई बीजेपीको वोट मत देना, लेकिन वोट डालने भी मत जाना। बता दें कि आलोक शर्मा साल 2008 में 4026 वोट से चुनाव हार गए थे।

गैस त्रासदी बना था बड़ा मुद्दा

उत्तर विधानसभा में ईदगाह हिल्स, ताज-उल मस्जिद, गुफा मंदिर, चोक बाजार, काजी कैंप, आरिफ नगर, कोहेफिजा, सिंधी कॉलोनी, डीआईजी बंगला और नारियालखेड़ा लालघाटी के क्षेत्र आते हैं। उत्तर विधानसभा क्षेत्र में ज्यादातर आबादी गैस पीडि़त निवास करती है। 1984 में भोपाल गैस त्रासदी के समय आरिफ वकील लोगों में अपनी पैठ बनाने में कामयाब रहे थे। यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के पास आरिफ ने नगर बसाकर गैस पीडि़त परिवारों को रहने के लिए जगह दिलाई थी। साथ ही गैस पीडि़तों को मुआवजा दिलाने में भूमिका निभाई। अकील कांग्रेस सरकार में गैस त्रासदी पुनर्वास मंत्री भी रहे हैं।