चुनावी जाजमः भोपाल दक्षिण-पश्चिमव जिहाद पर एजेंडा चलाने की वजह से संघ की पहली पसंद रहे भाजपा प्रत्याशी सबनानी

भोपाल दक्षिण पश्चिम विस सीट पर वोटर्स

कुल वोटरः 231849

पुरुष वोटरः 119932

महिला वोटरः 111904

(2023 की स्थिति में)

स्वतंत्र समय,  इंदौर

भाजपा इस सीट पर तीन बार से लगातार जीत दर्ज करते आ रही थी और उमाशंकर गुप्ता उनके लिए यह राह आसान किए हुए थे। इस बार भी माना जा रहा था कि पार्टी चौथी बार उन्हें टिकट से नवाजेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ और आलाकमान के पिटारे से एक ऐसा नाम सामने आया कि रणनीतिकार भी चौंक गए। भाजपा ने इस सीट से भगवान दास सबनानी को टिकट थमाया है जो लव जिहाद के एजेंडे की वजह से मशहूर रहे हैं। उनके फेर में आधा दर्जन से ज्यादा दावेदार मायूस भी हुए। यहां तक कि सबसे बड़े और कद्दावर दावेदार मंत्री उमाशंकर गुप्ता हार्ट अटैक के साथ ही आईसीयू में पहुंच गए। ऐसे में यह मुकाबला भाजपा के लिए मुश्किल तो कांग्रेस के लिए सहज माना जा रहा था लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी पीसी शर्मा की राह में नाराज संजीव सक्सेना आड़े आ गए। उन्हें दिग्विजय सिंह ने मना तो लिया लेकिन अंदर ही अंदर रार से इंकार नहीं किया जा सकता। दरअसल सक्सेना खुद उमाशंकर गुप्ता के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं। ऐसे में दोनों ही पार्टियों के लिए यह सीट आसान नहीं है। इस सीट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि पढ़े-लिखे कर्मचारी वर्ग से जुड़ी है। ऐसे में उनका चयन किस ओर जाएगा यह तो परिणाम वाले दिन यानी 3 दिसंबर को ही पता चलेगा। इस बार मैदान में उनका तीन बार से चहेता रहा प्रत्याशी उमाशंकर गुप्ता मैदान में नहीं है।

20 साल पहले गुप्ता से हार चुके हैं पीसी शर्मा

दक्षिण पश्चिम विधानसभा सीट पर 2018 में कांग्रेस के पीसी शर्मा ने भाजपा के उमा शंकर गुप्ता को 6587 वोटों से हराया। इससे पहले 2013 में उमा शंकर गुप्ता ने कांग्रेस उम्मीदवार संजीव सक्सेना को 18198 वोटों से हराया। इसके बाद 2008 में उमा शंकर गुप्ता ने बसपा प्रत्याशी संजीव सक्सेना को 26002 मतों से हराया। वहीं, 2003 में भाजपा प्रत्याशी उमा शंकर गुप्ता ने कांग्रेस उम्मीदवार पीसी शर्मा को 31294 वोटों से हराया।

जनसंघ के टिकट पर बाबूलाल गौर भी लड़ चुके चुनाव

भोपाल की भोपाल दक्षिण-पश्चिम सीट को हाई प्रोफाइल सीट मानी जाती है। पिछले चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार ने तत्कालीन मंत्री को हराकर उलटफेर किया था। इस सीट पर 2 बार बाबूलाल गौर भारतीय जनसंघ के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं। बाबूलाल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस के पीसी शर्मा ने बीजेपी के मंत्री उमाशंकर गुप्ता को हराया था।

7 चुनावों में से 5 बार भाजपा जीती

भोपाल दक्षिण पश्चिम सीट के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही मुकाबला होता आया है। 1990 से लेकर अब तक हुए 7 चुनावों में 5 बार बीजेपी तो 2 बार कांग्रेस को जीत मिली है। भाजपा के टिकट पर उमाशंकर गुप्ता लगातार 3 चुनाव जीतकर चुनावी जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं।

कड़े मुकाबले में हार गए थे उमाशंकर गुप्ता

2018 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो भोपाल दक्षिण-पश्चिम विधानसभा सीट पर 18 उम्मीदवार आमने-सामने थे, जिसमें बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुख्य मुकाबला रहा था। कांग्रेस के पीसी शर्मा को 67,323 वोट मिले थे जिन्होंने भाजपा के मंत्री उमाशंकर गुप्ता को कड़े मुकाबले में 6,587 मतों के अंतर से हराया था। उमाशंकर को 60,736 वोट मिले थे।

गुप्ता की राजनीतिक पारी

उमाशंकर गुप्ता ने पहली बार 2003 में चुनाव जीता, फिर 2008 में विजयी हुए। इसके बाद 2013 के चुनाव में भी जीते। 2013 में उमाशंकर गुप्ता को शिवराज सिंह चौहान सरकार में मंत्री बनाया गया था। हालांकि 2018 के चुनाव में वह कांग्रेस के पीसी शर्मा के हाथों चुनाव हार गए। पीसी शर्मा ने 2018 से पहले 1998 में यहां से चुनाव जीता था। उमाशंकर गुप्ता को हराने वाले पीसी शर्मा कांग्रेस की कमलनाथ सरकार में मंत्री बनाए गए।

सबनानी का राजनीतिक जीवन

मूलत: करीब तीन दशक से भगवान दास सबनानी संघ के लिए काम कर रहे हैं। 1986 में बतौर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्रसंघ अध्यक्ष के तौर पर वे राजनीतिक दुनिया में आए थे। इसके बाद भारतीय जनता युवा मोर्चा के महामंत्री और जिला अध्यक्ष रहे। वे संघ की अनुषांगिक सिंधु महासभा के लंबे समय से राष्ट्रीय महामंत्री हैं। इस सीट का मिजाज संघ पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों की पसंद रहा है, ऐसे में लव जिहाद के एजेंडे का इनाम उन्हें इस सीट से टिकट के रूप में मिला है।

सरकारी कर्मचारी सबसे बड़ा वोटर वर्ग

भोपाल दक्षिण पश्चिम विधानसभा सीट पर जातिगत स्थिति देखी जाए तो यहां सीट सरकारी अधिकारी- कर्मचारी बाहुल्य है। यहां पर 75 प्रतिशत वोटर सामान्य और ओबीसी वर्ग के हैं। यहां करीब 16 से 17 प्रतिशत एससी वोटर भी असर रखते हैं। इस सीट पर मुस्लिम मतदाता सिर्फ चार फीसदी है। ऐसे में दोनों दलों की नजर इस सीट पर रहती है।