बुधनी विधान सभा सीट पर वोटर्स की संख्या
कुल वोटरः 268435
पुरुष वोटरः 139332
महिला वोटरः 129096
(2023 की स्थिति में)
स्वतंत्र समय, इंदौर
बुधनी विधानसभा सीट यानी प्रदेश के मुखिया व मामा के नाम से मशहूर शिवराज सिंह चौहान की परंपरागत सीट है। वे इस सीट पर चार बार विधायक रह चुके हैं और बहुत आश्चर्य नहीं कि चुनाव में ऐसी कोई उठापटक उनके सामने नजर नहीं आ रही है। जनता के अगाध विश्वास के बावजूद ग्रामीण इलाकों में पत्नी और इलाके में भाभीजी के नाम से प्रसिद्ध साधना सिंह प्रचार की कमान संभाले हुए हैं। वे आदिवासी वोटरों के बीच प्रचार-प्रसार में जुटी हैं। इस बार कांग्रेस ने चौंकाने वाला नाम इस सीट पर उतारकर मुकाबला रोचक करने का प्रयास किया है। मस्ताल महाभारत 2 सीरियल में हनुमान का किरदार निभा चुके हैं। हालांकि स्थानीय स्तर पर कांग्रेस कार्यकर्ता उनके टिकट से नाराज चल रहे हैं। ऐसे में भाजपा के साथ ही शिवराज के लिए यह सुरक्षित सीट है।
विकास कार्यों का हवाला दे रहीं साधना सिंह
ये दोनों ही महिलाएं क्षेत्र के लोगों से मिल रही हैं, साथ ही वहां की महिलाओं के बीच पहुंचकर जनसंपर्क कर रही हैं. साधना सिंह चौहान पति मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा कराए गए विकास कार्यों की बात करते हुए लोगों से उनके पक्ष में वोट करने की अपील कर रही हैं। साधना सिंह चौहान बुधनी विधानसभा के आदिवासी गांवों में पहुंच रही हैं। यहां उन्होंने ग्रामीण महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज हमेशा से ग्रामीणों के बीच रहे हैं। सीएम रहते हुए उन्होंने हर वर्ग के लिए बहुत कुछ किया। बहनों के लिए लाड़ली बहना और बेटियों के लिए लाड़ली लक्ष्मी योजना शुरू की।
कांग्रेस ने दिया रामायण-2 के मस्ताल को टिकट
मध्य प्रदेश की बुधनी सीट से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भाजपा ने चुनाव मैदान में उतार है तो कांग्रेस ने धारावाहिक रामायण- दो में हनुमानजी जी की भूमिका निभाने वाले विक्रम मस्ताल को। वे अपने सीरियलों की वजह से ख्यात हैं। हालांकि उन्हें कांग्रेस कार्यकर्ताओं का सहयोग नहीं मिल रहा है। बुधनी के होते हुए भी मस्ताल को कार्यकर्ता बाहरी बता रहे हैं। वजह यह है कि टीवी से जुड़े होने की वजह से उनकी कर्मस्थली मुंबई है। कमल नाथ ने बीते दिनों नर्मदा सेवा सेना संगठन का गठन किया था, जिसका सह प्रभारी भी विक्रम मस्ताल को ही बनाया गया था।
पहले चुनाव में राजकुमारी सूरज बनी थीं महिला विधायक
बुधनी विधानसभा का गठन साल 1957 में हुआ था। 1957 के विधानसभा चुनाव में यह सीट कांग्रेस के खाते में गई थी। शुरुआती चुनाव में इस सीट पर महिला जनप्रतिनिधि ने कांग्रेस को विजय दिलाई थी। गठन के बाद साल 1957 में हुए चुनाव भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से राजकुमारी सूरज कला विधायक चुनी गई थीं। 1962 में निर्दलीय बंसीधर बने। 1967 में भारतीय जनसंघ से मोहनलाल शिशिर, 1972 में निर्दलीय शालिग्राम वकील, 1977 में जनता पार्टी से शालिग्राम वकील ने चुनाव जीता।
लंबे वक्त बाद प्रधान बने थे कांग्रेस विधायक
राजकुमारी के विधायक बनने के बाद कांग्रेस को अपने अगले विधायक के लिए 18 साल का लंबा इंतजार करना पड़ा। इस दरम्यान हुए चुनाव में जनसंघ, निर्दलीय और जनता पार्टी के विधायक चुनाव में फतह करते आए। 1980 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (इंदिरा) से केएल प्रधान को विधायक बनने का मौका मिला।1985 में भाजपा का कब्जा हुआ।
मामा की जीत के बाद फिर आई कांग्रेस
1990 में भाजपा से शिवराज सिंह चौहान ने चुनाव लड़ा और वे पार्टी के लिए जीत लाने में कामयाब रहे। 1992 में भाजपा से मोहनलाल शिशिर ने चुनाव जीता। हालांकि 1993 में कांग्रेस से राजकुमार पटेल ने चुनाव जीता। वहीं1998 में कांग्रेस के देवकुमार पटेल चुनाव जीतने में कामयाब रहे। यह कांग्रेस की इस सीट पर अंतिम जीत रही। इसके बाद भाजपा का कब्जा हो गया। 2003 में भाजपा से राजेन्द्र सिंह ने चुनाव जीता। वहीं 2006 में भाजपा से शिवराज सिंह चौहान विजयी रहे। वहीं 2008, 2013 और 2018 में भी शिवराज सिंह चौहान विधायक चुने गए।
बंबई से आए कलाकार को दिया टिकट
कार्यकर्ताओं का कहना है कि सीएम शिवराज और बीजेपी के खिलाफ सडक़ पर हम उतरे और एक महीने पहले बंबई से आए कलाकार को टिकट दे दिया गया. उनका कहना है कि हम चालीस साल से कांग्रेस की सेवा कर रहे हैं। वहीं जिसको एक व्यक्ति भी नहीं जानता उसे सीएम के सामने उतारकर तश्तरी में सीट परोस दी गई। कार्यकर्ताओं ने कमलनाथ के सामने विरोध जता दिया था। उन्होंने कहा कि मस्ताल को कोई नहीं जानता, वे मस्ताल के लिए काम नहीं करेंगे।
भौगोलिक स्थिति शानदार, मामा का पैतृक गांव है जैत
एक तरफ नर्मदा की लहरें, दूसरी तरफ विंध्याचल पर्वत श्रृंखला, लगभग 110 किलोमीटर तक सडक़ किनारे बसा बुधनी विधानसभा क्षेत्र है। इसमें चार नगर परिषद बुधनी, शाहगंज, भेरूंदा और रेहटी शामिल हैं। नर्मदापुरम जाने वाले मार्ग के बाएं तरफ बुधनी और शाहगंज है तो दाईं ओर भेरूंदा और रेहटी है। यहीं है मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का पैतृक गांव जैत। खेती, परंपरागत व्यवसाय और बाजारों के अलावा केंद्रीय शिक्षण प्रशिक्षण संस्थान और कई औद्योगिक इकाइयों के अलावा मेडिकल कॉलेज और छह सीएम राइज स्कूल।
बुधनी का विकास, छह सीएम राइज स्कूल
चूंकि शिवराज यहां लंबे समय से हैं, ऐसे में यहां की तस्वीर विकासवादी मिलती है। बुधनी के सामने वह फीका है। यहां छह सीएम राइज स्कूल हैं और मेडिकल कॉलेज बन रहा है। सडक़ें शानदार हैं। रेलवे लाइन भी आ रही है। नर्मदा पर पहले एक पुल था, अब छह हैं। यहां पर स्थानीय लोग विकास कार्यों की सूची इस फर्राटे से गिनाते हैं, जैसे स्वयं ही चुनाव लड़ रहे हों।