चौथी तक पढ़े सावजी ने कंपनी को पहुंचाया 6 हजार करोड़ के टर्नओवर पर

 स्वतंत्र समय, इंदौर

अगर आप अपने कर्मचारियों की कद्र करेंगे तो वे आपकी कंपनी में घड़ी के कांटे देखकर काम नहीं करेंगे। वे उसे खुद की कंपनी मानेंगे। बस एक बार आप देना शुरू कीजिए तो आपको मिलना शुरू हो जाएगा। मैंने अपने कर्मचारियों को तोहफे में कार, घर और अन्य चीजें इसलिए दीं क्योंकि यह कंपनी आखिर उनकी मेहनत से ही बनी है।

यह बात इंदौर आए श्री हरि कृष्णा एक्सपोर्ट्स के चेयरमैन सावजी ढोलकिया ने कार्यक्रम के दौरान कही। पद्मश्री ढोलकिया रोटरी द्वारा आयोजित कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे।  उन्होंने कहा कि जब मैं 12 साल का था तब मैंने सूरत पहुंचकर हीरा घिसने का काम शुरू किया था। उस समय मुझे तनख्वाह में महज 180 रुपए मिलते थे। आज मेरी कंपनी 6 हजार करोड़ रुपए से भी ज्यादा की है। यह सब मैं अपने कर्मचारियों की मेहनत के बल पर हासिल कर पाया हूं। हमारे ब्रांड कृष्णा डायमंड ज्वेलरी के देशभर में 6500 से भी अधिक आउटलेट हैं। बचपन में मां हमेशा कहती थीं कि तुम चाचा जैसा बनकर दिखाओ। आज मेरे चाचा मेरे गुरु भी हैं और हीरे के व्यापार में प्रतिस्पर्धी भी।

चौथी तक की पढ़ाई की, लेकिन विदेश से मंगवाईं मशीनें

ढोलकिया ने बताया कि अमरेली जिले के दुधला गांव से निकलने से पहले पिता ने 3900 रुपए और मां ने आशीर्वाद देकर मुझे सूरत भेजा। ज्यादा पढ़ा-लिखा नहीं था, सिर्फ चौथी तक पढ़ाई की थी। मगर नई टेक्नोलॉजी का भरपूर सहारा लिया। हीरे को आकार देने वाली अत्याधुनिक मशीनों को विदेश से मंगवाया। मुश्किल यह आई कि कर्मचारी भी प्रशिक्षित नहीं थे, लेकिन उनमें क्वालिटी थी। मशीनों का प्रशिक्षण लेकर उन्होंने कौशल निखारा और कंपनी को आगे बढ़ाया। यही वजह है कि अपने प्रत्येक कर्मचारी को एक लाख रुपए महीना देते हैं।

1995 से कर्मचारियों को दे रहे महंगे गिफ्ट

सावजी ढोलकिया श्री हरि कृष्णा एक्सपोर्ट्स के चेयरमैन हैं। वह अपने कर्मचारियों को महंगे गिफ्ट देते हैं। ऐसे गिफ्ट में कार, घर और बेशकीमती जेवरात शामिल होते हैं। वह 1995 से ऐसा करते आ रहे हैं। ढोलकिया अपने कर्मचारियों को अपने परिवार के सदस्य के तौर पर ही देखते हैं। यहां तक की कर्मचारियों के पैरेंट्स को हर साल एक टूर पर भी भेजते हैं। अब तक 4000 से ज्यादा कर्मचारियों को वह कार, घर व गहने दे चुके हैं। यदि किसी कर्मचारी की मौत हो जाती है तो उसके परिवार को 58 साल की उम्र तक आर्थिक सहयोग किया जाता है ताकि वह पूरा परिवार आत्मनिर्भर बन सके।

मां-तुम्हारे तीनों सपने पूरे हो गए

पहले भी इंदौर के कार्यक्रम में शिरकत कर चुके ढोलकिया कहते हैं कि माता-पिता की बदौलत मैं इस मुकाम पर पहुंचा हूं। कामयाबी, पैसा और पहचान, यह सपना मेरी मां ने देखा था। इन्हें पूरा करने के लिए 45 साल लग गए। व्यापार बढ़ते ही पैसा कमा लिया। मुझे पद्मश्री सम्मान भी मिल गया। सम्मानित होने के बाद मैंने मां से कहा कि तेरे तीनों सपने पूरे हो गए। अब कोई सपना मत देखना, क्योंकि अब मेरे सपने शुरू होंगे। उन्होंने कहा कि अब सामाजिक कार्यों से जुडऩे का समय आ चुका है। धरती मां के लिए कुछ काम करने की इच्छा है। अब व्यापार परिवार को सौंप दिया है।