स्वतंत्र समय, गुना
- वन विभाग की भूमि को अपनी बताई
- एक व्यापारी लगा रहा लोगों को करोड़ों का चूना
- गुना शहर से सटे गादेर क्षेत्र का मामला
जहां पटवारी हल्का नंबर 58 भूमि सर्वे क्रमांक 104/2/1 जोकि वन विभाग की भूमि है, जिसे राजस्व एवं वन विभाग के जिम्मेदारों की मिली भगत से खुर्दपुर्द कर उक्त भूमि को एक व्यापारी द्वारा करोड़ों रुपए में बेचने का मामला सामने आ रहा है। मूल रूपन आदिवासियों एवं वन विभाग की उक्त भूमि को अपने आप को समाज सेवी बताने वाले एक व्यापारी द्वारा गलत जानकारी देकर राजस्व एवं वन विभाग की मिली भगत से करोड़ों रुपए में बेंच दी गई। यह भूमि मूलत: आदिवासियों के नाम पर अंकित थी, जिस पर कई दशकों से आदिवासियों के तीन से चार परिवार निवास करते थे। जिसे व्यापारी से आदिवासियों का कब्जा हटाकर ओने-पोन दामों पर यह जमीन खरीदी गई। जिसमें वन विभाग का भी हिस्सा है। राजनीतिक रसूखदारी का फायदा उठाकर विक्रय निषेध भूमि पर जिलाधीश कार्यालय से विक्रय की परमिशन ली गई। इसके बाद उक्त भूमि को गुना के एक व्यापारी को विक्रय कि गई। उक्त मामले में जानकारी देते हुए वीट गार्ड राज कपूर ने बताया कि फॉरेस्ट की जमीन पर कब्जा किया हुआ पाया गया, जिसे फॉरेस्ट की टीम द्वारा हटाए गए था। एवं नहीं मानने पर उक्त कब्जाधारी पर कार्यवाही की भी बात कही गई है।जबकि उक्त वन भूमि को अपना बताने वाले व्यापारी के नाम नामांतरण ही नहीं हुआ है जोकि तहसील कार्यालय में लंबित है। चूंकि उक्त जमीन हाईवे पर है। अब राजस्व एवं वन विभाग का खेल शुरू हुआ है। अब इस भूमि को गुना का एक व्यापारी जो कि अपने आप को समाजसेवी भी बताता है, जो कि लोगों को गुमराह करके उक्त वन विभाग की भूमि को अपनी बताकर करोड़ों रुपए में बेच रहा है और लोगों को चूना लगाने का काम कर रहा है। फिलहाल यह एक जाँच का बिषय है। राजस्व एवं वन विभाग के ऐसे कई मामले है, जिसमें जानकारी के आभाव में गरीब लोग जालसाजी का शिकार हो रहे है। क्यों न ऐसे मामलों में अभिलंब कार्रवाई की जावे।