स्वतंत्र समय, इंदौर
जीएसटी ने पिछले साल टैक्स भरने से बचे लोगों को इस महीने अंतिम मौका दिया है। ऐसे में वे अपना चूका हुआ टैक्स जमा करा सकते हैं। हालांकि व्यवस्था उचित नहीं होने से करदाता परेशान हो रहे हैं। हालांकि टैक्स भरने के लिए एडवाइजरी, ईमेल और निर्देश जारी किए गए हैं, वहीं, आसानी से करदाता बचा हुआ टैक्स भर पाएं, इसके लिए ठोस व्यवस्था नहीं की गई है। इससे करदाता परेशान हैं। इस महीने टैक्स नहीं चुकाने की दिशा में विभाग नोटिस भेजकर कार्रवाई कर सकता है। साथ ही ब्याज और पेनल्टी भी भरना पड़ सकती है। इस सबका विवरण जिस जीएसटी आर 3 बी में भरना होता है, उसे जमा करने की आखिरी तारीख 20 नवंबर है।
लेट फीस के साथ दस दिन की मियाद
हालांकि लेट फीस के साथ, पिछले साल से संबंधित ये रिटर्न 30 नवंबर तक भी भरा जा सकता है। यह वह टैक्स है जो करदाताओं ने इनपुट टैक्स क्रेडिट के रूप में तो क्लेम कर लिया, लेकिन अब तक सप्लायर ने सरकार के खजाने में जमा नहीं किया है।
यह समस्या कर रही परेशान
जो सप्लायर हर तिमाही में रिटर्न भरते हैं, उनके भी बीच के दो महीने में रिटर्न न भरने के कारण सिस्टम महीनों में टैक्स न भरना दिखा रहा है, जबकि त्रैमासिक रिटर्न भरने पर इस का निदान हो चुका है।
जीएसटी के नियम 1 तारीख से बदले
एक नवंबर से जीएसटी से जुड़ा एक बड़ा बदलाव होने वाला है। राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र के मुताबिक एक नवंबर से 100 करोड़ रुपये या उससे ज्यादा के कारोबार करने वाले फर्मों को एक नवंबर से 30 दिनों के अंदर ई-चालान पोर्टल पर जीएसटी चालान अपलोड करना पड़ेगा।
ब्याज दर भी 24 प्रतिशत की दर से
अभी भी देश के कई हिस्सों में आईटीसी लेने की चूक पर 24 प्रतिशत की दर से ब्याज लगाया जा रहा है जबकि वित्त अधिनियम 2022 के शेड्यूल 6 के अनुसार ब्याज की दर 18 प्रतिशत कर दी गई है। हालांकि जो व्यवसायी एक ही पते से एक से अधिक व्यवसाय संचालित कर रहे हैं, उस संदर्भ में कोई कानूनी अड़चन नहीं है, परंतु उस संबंध में स्टॉक, खाते वहीं अलग से मेंटेन होनी चाहिए। जरूरत पडऩे पर व्यवसायी को ही साबित करना होगा कि वह अलग व्यक्तियों के व्यवसाय हैं तथा उनके बीच में कोई ऐसे वित्तीय संव्यवहार नहीं है जिससे कर अपवंचन की कोई मंशा है।
ऑडिट में फंसता है पेंच
जीएसटी में जागरूकता ही समाधान है। कई संस्थाएं जीएसटी के संबंध में कोई रजिस्ट्रेशन और भुगतान सिर्फ इसलिए नहीं कर रहे हैं क्योंकि उनका मानना है कि वह आयकर की धारा 12ए ए अथवा 80जी में पंजीकृत हैं जबकि जीएसटी नियम के तहत जीएसटी के दायित्व से मुक्ति के लिए सिर्फ इतनी ही आवश्यकता पर्याप्त नहीं है। उनकी यही अनभिज्ञता आने वाले समय में ऐसी संस्था ,ट्रस्ट तथा अंकेक्षक को जीएसटी अथवा अन्य अधिनियम में दिक्कत खड़ी कर सकती है। समय रहते अच्छे कर सलाहकार से लिखित सलाह ले लेनी चाहिए। यहां पर यह जानना आवश्यक है कि विभाग द्वारा धारा 65 के तहत ऑडिट के दौरान गहन जांच की जाती है।