स्वतंत्र समय, शहडोल
जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से चरमराई हुई है। मुख्यालय से सटे ग्रामों में झोलाछाप जमकर डॉक्टरी कर रहे हैं। दूरस्थ क्षेत्रों में तो हालात और भी बद्तर हैं, यहाँ तोझोलाछाप डॉक्टर के भरोसे ही ग्रामीण हैं। सीधी थाना क्षेत्र के ग्राम जमुड़ी में एक ब‘ची की मौत का मामला सामने आया है। जानकारी में बताया गया कि विजय साकेत की पांच वर्षीय बेटी तान्या साकेत को सर्दी, जुखाम व बुखार होने पर गांव के ही एक झोलाछाप डॉक्टर से 20 अक्टूबर को इलाज कराया गया था। डॉक्टर ने ब‘ची को दो इंजेक्शन व कुछ टेबलेट दिए थे। परिजनों ने आरोप लगाया है कि इंजेक्शन लगने के कुछ ही देर बाद ब‘ची की मौत हो गई। परिजन शिकायत करने पुलिस के पास पहुंचे पुलिस ने मामले पर मर्ग कायम कर जांच शुरू कर दी है, तो वहीं परिजनों ने झोलाछाप डॉक्टर पर गलत इलाज करने का आरोप लगाया है।
उप स्वास्थ्य केंद्रों में लटका रहता है ताला
शासन ने लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएँ मुहैया कराने के उद्देश्य से उपस्वास्थ्य केन्द्रों की स्थापना कराई है, उप स्वास्थ्य केन्दों में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों की तैनाती भी की गई है, लेकिन हालात यह है कि मुख्यालय से लगे ग्राम जमुई, छतवई, चांपा, धुरवार, नरवार, बरुका सहित ग्रामीण अंचलों में संचालित उप स्वास्थ्य केंद्र में सीएचओ नहीं पहुंचते। एएनएम के भरोसे ही उप स्वास्थ्य केंद्र संचालित हो रहे हैं। चिकित्सक उपलब्ध न होने की वजह से ग्रामीण झोलाछाप डॉक्टरों के पास जाने को मजबूर हैं। जिले में बैठे अधिकारी उप स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ सीएचओ पर ध्यान दें और सही समय पर उप स्वास्थ्य केंद्र पर सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी पहुंच कर ग्रामीणों का इलाज करें, तो ग्रामीण झोलाछाप डॉक्टरों के पास न पहुंचे।