टिकट कटने पर पंधाना विधायक बोले- मैंने चापलूसी पर ध्यान नहीं दिया

स्वतंत्र समय, खंडवा
पंधाना हर दफा नये विधायक की परपंरा गढ़ने वाली पंधाना सीट से टिकट कटने के बाद विधायक राम दांगोरे ने प्रेसवार्ता की। टिकट कटने की वजह पूछी गई तो दो टूक में कह दिया कि भारतीय जनता पार्टी की टिकट देने की अपनी प्रक्रिया है। क्या हुआ और क्या नहीं हुआ यह मैं नहीं जानना चाहता। मैंने कारण जानना भी उचित नहीं समझा। वैसे भी कोई बच्चा अपने पिता से सवाल नहीं करता। मेरे राजनीति में अभी 40 साल बचे हुए है। पार्टी ने भले ही छाया मोरे को टिकट दिया हो, लेकिन हमारे लिए तो कमल का फूल है, हम कमल के फूल को जीताएंगे। राम दांगोर ने कहा कि उन्हें भाजपा ने 29 साल की उम्र में विधायक बनाया। विधायक बनने के बाद युवा मोर्चा का प्रदेश महामंत्री, प्रदेश प्रवक्ता, आईटीडीपी का चैयरमैन सहित 10 से ज्यादा कमेटियों में सदस्य का जिम्मा दिया।
हां, यह बात है कि मैंने टिकट के लिए किसी की चापलूसी नहीं की। टिकट के लिए लोगों के घर-घर जाता और दिल्ली, भोपाल दौड़ लगाता तो क्षेत्र का विकास नहीं करवा पाता। मैं तो सवा 6 हजार करोड़ रूपए के टेंडर लगवा चुका है। मुझे दो साल का समय मिला और काम कराया। सब जानते है कि सवा साल कांग्रेस और दो साल कोरोना काल रहा।रूपाली को लेकर कहा, वो टीवी देखती रही स्वतंत्र समय ने कांग्रेस प्रत्याशी रूपाली बारे को लेकर सवाल पूछा तो राम दांगोरे ने कहा कि 2018 में परिस्थितियां अलग थी। भाजपा के तत्कालीन विधायक का विरोध था। रूपाली के प्रति सहानुभूति थी । चुनाव हारने के बाद रूपाली ने जनता के बीच जाना भी उचित नहीं समझा। कोरोनाकाल में घर पर बैठकर टीवी देखती रही। जबकि उनकों पब्लिक के बीच जाना चाहिए था। अब दो महीने पहले चुनाव के समय उठकर आ जाओ तो पब्लिक साथ थोड़ी ही देगी। छाया मोरे को भाजपा में लाकर प्रत्याशी बनाने पर कहा कि पार्टी अपने आप को अपडेट कर रही है। शीर्ष नेतृत्व सोच-समझकर निर्णय लेता है।

भाजपा के निर्दलीयों को लेकर कहा, उनकी औकात नहीं

कांग्रेस से आई छाया मोरे को टिकट देने पर भाजपा में ही कई नेता बगावत पर उतर आए है। उन लोगों के बगावती तेवर को लेकर राम दांगोरे ने कहा कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है, जिसे टिकट नहीं मिलता है वो निर्दलीय लड़ता है। हर बार चुनावों में दोनों तरफ से निर्दलीय फार्म भरे जाते है। लेकिन जो लोग इस समय निर्दलीय लडऩे की बात कह रहे है कि उनके साथ टिकट मांगने के लिए समर्थक और प्रस्ताव तक नहीं थे। नितिन गडक़री की सभा में हमने उनके इलाकों में बसें भिजवाई थी। लेकिन वो एक बस भी भरवाकर नहीं ला पाए। सिर्फ बोलने से विरोध नहीं होता है।