स्वतंत्र समय, भोपाल
केंद्र सरकार द्वारा जुलाई 2023 से दिया गया 4 प्रतिशत महंगाई भत्ता (डीए) मध्य प्रदेश के अधिकारियों और कर्मचारियों को मिलेगा या नहीं, इसे लेकर संशय की स्थिति निर्मित हो गई है। भत्ता देने में देरी से नाराज कर्मचारियों को संतुष्ट करने के लिए राज्य सरकार ने चुनाव आयोग से अनुमति मांगी थी, जो नहीं मिली है। इससे कर्मचारियों में नाराजगी और बढ़ गई है। क्योंकि 2020 में भी ऐसा ही हुआ था। कमलनाथ सरकार ने पांच प्रतिशत डीए देने के आदेश जारी कर दिए थे और तभी सरकार चली गई। नई सरकार ने वह आदेश नहीं माना, इससे न सिर्फ कार्यरत कर्मचारियों, बल्कि रिटायर कर्मचारियों को महंगाई राहत का भी नुकसान हुआ।
तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव उमाशंकर तिवारी ने बताया कि केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में 18 अक्टूबर 2023 से 4 प्रतिशत की वृद्धि की है। यह लाभ जुलाई 2023 से दिया गया है। यानी कर्मचारियों को दो माह का एरियर भी मिला। इससे पहले ही मध्य प्रदेश में चुनाव आचार संहिता प्रभावी हो गई थी, पर केंद्र की घोषणा के साथ ही राज्य में चुनाव आयोग से अनुमति लेने की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई। जब कर्मचारियों की नाराजगी बढऩे लगी, तब प्रक्रिया शुरू की गई। यदि नई सरकार पिछली बार की तरह 4 प्रतिशत डीए नहीं देती है, तो कर्मचारियों को 500 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान होगा। तिवारी कहते हैं कि 2020 में भी कर्मचारियों के साथ ऐसे हो चुका है। कमलनाथ सरकार ने मार्च 20 में 5 प्रतिशत डीए के आदेश जारी कर दिए थे और तभी सरकार पदच्युत हो गई। नई सरकार आई, तो डीए नहीं दिया। इससे करीब 12 लाख कर्मचारियों को नुकसान हुआ है। वे कहते हैं कि यह सिर्फ कर्मचारियों का मामला नहीं है, रिटायर कर्मचारियों को महंगाई राहत भी नहीं दी गई। ये वह कर्मचारी हैं, जिन्होंने 60 और 62 साल तक सरकार की सेवा की है और अब उन्हें अपने हक के लिए बार-बार प्रदर्शन करना पड़ता है।