- नेशनल मीडिया की नजर कैलाश के चुनाव पर
- नए चेहरों के लिए इलेक्शन मैनेजमेंट बना बड़ी चुनौती
अलग-अलग विस पर एक नजर
- सबसे ज्यादा धूम धड़ाका
- अनुभव के सामने जोश
- दोनों ही प्रत्याशी युवा
- शोर कम, चर्चा ज्यादा
- दो अनुभवियों की टक्कर
विपिन नीमा, इंदौर
भारत का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण त्योहार दीपावली और लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व विधानसभा चुनाव साथ-साथ चल रहे हैं। दिवाली का पर्व शुरू हो चुका है जबकि लोकतंत्र का त्यौहार यानी मतदान की तिथि आने वाली है। 17 तारीख जैसे-जैसे नजदीक आती जा रही है, प्रत्याशियों की धडक़नें बढ़ती जा रही हैं। चुनाव और दीपावली साथ-साथ आने से प्रत्याशियों का जनसंपर्क कुछ हद तक प्रभावित हो रहा है। दीपावली के बाद प्रत्याशियों को प्रचार करने के लिए केवल ढाई दिन ही मिलेंगे । समय कम और काम ज्यादा होने के कारण प्रत्याशियों को एक-एक वोट के लिए संघर्ष करना पड़ेगा । मध्य प्रदेश का सबसे हाई प्रोफाइल क्षेत्र क्रमांक 1 में हो रहा है जहां देश का पूरा नेशनल मीडिया यहां पर डटा हुआ है। इस बार चार नए चेहरे हैं। इन नए चेहरों में चुनाव लडऩे का जोश है, जनता का समर्थन भी मिल रहा है लेकिन चुनाव लडऩे के अनुभव के अभाव में अनेक नए प्रत्याशियों के लिए इलेक्शन मैनेजमेंट चुनौती बना हुआ है।
इंदौर 1 – मैं बेटा – वो नेता
देखने को मिल रहा है। यहां पर वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय और कांग्रेस प्रत्याशी संजय शुक्ला कड़ा मुकाबला हो रहा है। दोनों के प्रचार में धूम-धड़ाका देखने को मिल रहा है। एक खास बात यह है कि प्रचार के दौरान कैलाश शहर के विकास और विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 1 को एक नंबर बनाने की बात बोल रहे हैं वहीं कांग्रेस प्रत्याशी संजय शुक्ला अपने प्रचार में मतदाताओं को बता रहे हैं कि मैंने पूरे 5 साल सक्रिय रहकर क्षेत्र का विकास कार्य करवाया है। यह क्षेत्र मेरा परिवार है और मैं इस परिवार का बेटा हूं मेरे सामने जो चुनाव लड़ रहे हैं वह नेता है। अब देखना यह है कि क्षेत्र के मतदाता बेटे को पसंद करते हैं या नेता को।
इंदौर 2 – अनुभवी के सामने युवा
विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 2 में जीत की हैट्रिक बना चुके दादा दयालु यानी रमेश मेंदोला इस बार भी मैदान में हैं। उनके सामने युवा प्रत्याशी चिंटू चौकसे हैं, जो विधानसभा चुनाव में पहली बार भाग्य आजमा रहे हैं। चौकसे के लिए यह चुनाव नया अनुभव लेकर आएगा। फिलहाल प्रचार में एक बात यह देखने को मिली है कि चिंटू चौकसे काफी दमदारी के साथ मुकाबला कर रहे हैं और उनके साथ समर्थकों की अच्छी खासी भीड़ भी दिख रही है। भाजपा के अनुभवी और राजनीति के खिलाड़ी रमेशजी अपने अनुभव का पूरा फायदा उठाकर जनसंपर्क कर रहे हैं।
इंदौर 3 – तीन को मिलेगा नया एमएलए
लंबे अरसे के बाद विधानसभा क्षेत्र क्रमांक तीन में पहली बार ऐसा हो रहा है जहां दोनों प्रत्याशी युवा और नए हैं। यह तो तय है कि विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 3 भले ही पुराना हो लेकिन इस क्षेत्र को नया एमएलए मिलेगा। इनकी समानता पर बात करें तो दोनों युवा हैं और पहली बार विधानसभा चुनाव में उतरे हैं। दोनों ही राजनीतिक घरानों से ताल्लुक रखते हैं। गोलू और पिंटू दोनों ही उत्साह के साथ चुनाव लड़ रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि दोनों के प्रचार में युवा कार्यकर्ता बड़े दमदारी के साथ लगे हुए हैं।
इंदौर 4, न शोर न शराबा
विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 4 में कुछ अलग की तरह से चुनाव हो रहा है। यहां पर ना तो कोई चुनावी उत्साह नजर आ रहा है और नहीं शोर शराबा। तीन बार की विजेता विधायक मालिनी गौड़ की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि उन्होंने इंदौर को स्वच्छता में नंबर वन बनाया। स्वच्छता के बाद उनका यह पहला चुनाव है। उनके बारे में चर्चा यह है कि वह इस बार तनाव मुक्त दिख रही हैं। उनके सामने पहली बार विधानसभा चुनाव के मैदान में उतरे कांग्रेस के प्रत्याशी राजा मंधवानी हैं। वे पूरी मेहनत के साथ मतदाताओं से मिलकर वोट की गुहार लगा रहे हैं। लेकिन पिछले तीन चुनाव का अनुभव लेकर चौथी बार चुनाव लड़ रही भाजपा प्रत्याशी का जनसंपर्क वैसा ही है, जैसे पिछले चुनावों से करती आ रही थी । 15 साल बाद कांग्रेस ने फिर से सिंधी समाज पर भरोसा करते हुए राजा मंधवानी को चुनावी मैदान में उतारा है।
इंदौर 5 – 20 साल से जीत की खोज
इंदौर 5 में दो दिग्गज और अनुभवी नेताओं के बीच आमना-सामना हो रहा है। भाजपा के महेंद्र हार्डिया और कांग्रेस के सत्यनारायण पटेल के बीच कांटे का मुकाबला है। दोनों के चुनाव प्रचार में अच्छी खासी भीड़ दिख रही है। यहां 2003 से कांग्रेस की हार का सिलसिला प्रारंभ हुआ जो आज तक जारी है। दोनों प्रत्याशी दमदारी के साथ चुनाव लड़ रहे हैं.। यहां देखने वाली बात यह है कि क्या भाजपा अपनी जीत का सिलसिला जारी रखेंगी या कांग्रेस अपनी हार का सिलसिला रोकेंगी।