स्वतंत्र समय, इंदौर
नेक ए प्लस का दर्जा हासिल देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के माननीय प्रोफेसर, व्याख्याता और पूर्व वीसी इस समय चुनावी ड्यूटी के नाम पर विभिन्न चेक पॉइंटों पर गाडिय़ां चेक करते नजर आ रहे हैं। क्लास रूम में शिक्षा और तकनीक की फौज खड़ी करने वाले ये शिक्षाविद इस समय नकदी, मादक पदार्थ व अवैध गतिविधियों की धरपकड़ करने वाली पुलिस के साथ सडक़ पर धूल फांकते नजर आ रहे हैं। इस काम से नाखुश प्राध्यापकों ने अब अपनी कुलपति प्रोफेसर रेणु जैन से गुहार लगाकर ड्यूटी रद्द करने की मांग की है। पुलिस इस समय विभिन्न चेक पोस्ट पर चुनाव के दौरान मुख्य रूप से नकदी की धरपकड़ में लगी है। इस काम में देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर व व्याख्याताओं की सेवा भी चुनावी ड्यूटी के नाम पर ली गई है। प्रोफेसर इस काम को अपने रुतबे व दर्जे से नीचे का बताकर नाराज हैं। उन्होंने इसकी शिकायत भी की है।
पूर्व वीसी भी सर्विलांस के काम में जुटे
देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के कुलपति रह चुके आशुतोष मिश्रा भी धूल फांक ड्यूटी करने पर मजबूर हैं। वे चेक पोस्ट पर पुलिस जवानों के साथ ही वाहनों पर निगरानी रखे हुए हैं। सर्विलांस टीम का हिस्सा बनने से वे अप्रसन्न हैं।
शिक्षाविदों को इन कामों में लगाया
- विभिन्न चौकियों की निगरानी का जिम्मा
- संदिग्ध वाहनों को रोककर पूछताछ करना व जांच करना
- अवैध शराब व हथियार सहित संदिग्ध वस्तुओं के परिवहन की आवाजाही की निगरानी
- अवैध रूप से 50 हजार रुपए से अधिक नकदी की निगरानी
- असामाजिक व संदिग्ध तत्वों पर नजर रखने का जिम्मा
रैंक से निचला काम, कलेक्टर से पत्र लिखने को कहा
कुलपति प्रोफेसर रेनू जैन से शिकायत की है कि उन्हें उनके रैंक से नीचे काम दिया जा रहा है। चुनाव ड्यूटी पर तैनात लोगों ने वीसी से जिला चुनाव अधिकारी इलैया राजा टी को चुनाव ड्यूटी के लिए उनकी प्रोफाइल में बदलाव करने की मांग की है। अगर रद्द न करने की स्थिति में अन्यत्र काम देने के लिए लिखा है। इस पर कुलपति ने उन्हें आश्वस्त किया है।
वीसी ड्यूटी से मना भी कर चुकी है
इससे पहले, वीसी ने जिला कलेक्टर एवं निर्वाचन अधिकारी इलैया राजा टी को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि विश्वविद्यालय के 62 प्रमुख शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी में न लगाया जाए क्योंकि वे महत्वपूर्ण शैक्षणिक और प्रशासनिक संबंधित कार्य कर रहे हैं। जिला चुनाव कार्यालय को 62 अधिकारियों, जिनमें ज्यादातर प्रमुख और प्रोफेसर थे, उनके नामों की एक सूची भी दी गई थी। हालाँकि, जिला निर्वाचन कार्यालय ने इस सूची के अधिकांश नामों को उठा लिया और उन्हें चुनाव ड्यूटी का आदेश दे डाला। अब गेंद कुलपति के पाले में है।