स्वतंत्र समय, हरदा
क्या आप कोई किराना की दुकान से कोई सामग्री खरीदते है और आपको यह भी नहीं पता की आपने क्या खरीदा तो क्या आप 14 लाख रुपये का भुगतान कर देंगे! आपका जबाव होगा नहीं। लेकिन टिमरनी विकासखंड की ग्राम पंचायत बिच्छापुर के भ्रष्टाचारी उपसरपंच बलराम डूडी ऐसा कर देते है। उन्होंने अपनी पत्नी राधाबाई के सरपंच रहते हुए रामचंद्र रामवल्लभ अग्रवाल की दुकान से क्या खरीदा इसका उन्हें स्वंय भी पता नहीं लेकिन एक रुक्के (पर्ची) पर 14 लाख रुपये का किराना सामान खरीद लिया और भुगतान भी कर दिया। अधिवक्ता अनिल जाट ने आरोप लगाते हुए कहा, कि मनरेगा में काम करने वाले मजदूरों को दिनभर धूप में तपने के बाद भी समय पर अपनी मजदूरी के 192 रुपये (प्रतिदिन) समय पर मजदूरी नहीं मिल पाती हैं। लेकिन भ्रष्टाचार करने की कला में माहिर बलराम डूडी पंचायत की राशि को डीमक की तरह खा गया और पंचायत के विकास ने आत्महत्या करने पर मजबूर होना पड़ा। अधिकारियों को जांच कर इसकी वसूली बलराम डूडी से जिला प्रशासन को करना चाहिए।
रामचंद्र रामवल्लभ अग्रवाल की दुकान
रहटगांव रोड पर हरिभाउ मार्केट टिमरनी में स्थित रामचंद्र रामवल्लभ अग्रवाल की दुकान भ्रष्टाचारी बलराम डूडी का गढ़ हैं। इसी दुकान से डूडी रुक्के लेता है और पंचायत के खाते से सरकारी राशि निकालकर अपने भ्रष्ट मंसूबो को पूरा करता हैं। क्या खरीदा रुक्के पर नहीं लिखा, बलराम डूडी और राधाबाई के हस्ताक्षर रामचंद्र रामवल्लभ अग्रवाल की दुकान के नाम पर करीब 3 सालों में 14 लाख रुपये के रुक्के पंचायत के रिकार्ड में लगे हुए हैं। जिसका भुगतान भी पंचायत की खाते से किया गया है लेकिन पूछने पर वर्तमान सचिव और सरपंच भी नहीं बता पा रहे है। कि यह भुगतान क्यों किया गया है। क्योंकि रुक्के पर क्या खरीदा गया उसकी कोई भी जानकरी नहीं लिखी हैं।
15 सालों में करोड़ों का घोटाला
बलराम डूडी की शुरुआत ग्राम पंचायत बिच्छापुर में सरपंची से हुई। इसके बाद भ्रष्टाचार करने की लत ऐसी लगी की अपनी पत्नी राधाबाई को सरपंच बनाया और स्वंय सरपंच प्रतिनिधि बनकर भ्रष्टाचार की भूख को मिटाता रहा। मामला यहीं खत्म नहीं हुआ अभी हाल ही में हुए चुनाव में एक बार फिर से अपने लालच के भ्रष्टाचार के देवता को भेंट चढ़ाने के लिए भ्रष्टाचारी बलरामडूडी उपसरपंच बन गया।
क्या है खरीदी नियम : पंचायत स्तर पर खरीदी के लिये ग्राम पंचायत लेखा अधिनियम के अनुसार क्रय की जाने वाली सामग्री के लिये सबसे पहले ग्राम सभा में प्रस्ताव रखा जाता है। प्रस्ताव पास होने के बाद सबसे कम दाम पर सामग्री उपलब्ध कराने वाले से सामग्री क्रय की जाती है साथ ही शासकीय नियमों के अनुसार पंजीकृत संस्था से सामग्री क्रय की जाती है तथ बिल पर जीएसटी नंबर या पूर्व के टीन नंबर होने के उपरांत भुगतान किया जाता है तथा क्रय की जाने वाली सामग्री का उल्लेख होता है उसके उपरांत ही भुगतान किया जाता है। लेकिन बलराम डूडी का भ्रष्टाचार इन सभी नियमों को नहीं मानता हैं।
इनका कहना है
ग्राम पंचायत बिच्छापुर में एक पर्ची पर वर्ष 2016 से 19 के बीच 1395375/- रुपये का भुगतान रामचंद्र रामवल्लभ अग्रवाल की दुकान को पंचायत के खाते से बलराम डूडी ने कर दिया, लेकिन क्या खरीदा गया इसकी पर्ची पर कोई उल्लेख नहीं हैं। बलराम डूडी द्वारा किया गया संपूर्ण भ्रष्टाचार की वसूली करवाई जाएगी।
–अनिल जाट, अधिवक्ता (ग्राम बिच्छापुर निवासी)।
पंचायत में मेरी पोस्टिंग अभी हुई है इसके पहले की जानकारी मुझे नहीं हैं। रामचंद्र रामवल्लभ अग्रवाल दुकान के बिल लगे हुए है जिसमें करीब 14 लाख का भुगतान किया गया है लेकिन क्या खरीदा गया इसकी जानकारी बिल पर उल्लेखित नहीं हैं, इसलिए में नही बता सकता की उन्होंने क्या खरीदा और क्या नहीं।
–कमल कटारे, सचिव ग्राम पंचायत बिच्छापुर।