काहिरा/यरुशलम। इजरायल के नए प्रधानमंत्री बेन्जामिन नेतन्याहू के शपथ ग्रहण करने के एक हफ्ते के अंदर वहां के नए राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री और धुर विरोधी दक्षिणपंथी नेता इतमार बेन-गवीर ने यरूशलम स्थित अल-अक्सा मस्जिद का दौरा किया है। फिलिस्तीनी प्रशासन ने इसे भड़काऊ कदम करार दिया है। सऊदी अरब, कतर, जॉर्डन और संयुक्त अरब अमीरात ने भी इस दौरे की निंदा की है।
इन देशों के अलावा पाकिस्तान ने भी इजरायल के नए राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इतमार बेन-गवीर की अल-अक्सा मस्जिद का दौरा करने की निंदा की है। साथ ही चेतावनी दी है कि पवित्र स्थल की पवत्रिता को भंग करने से कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्रों में तनाव बढ़ सकता है।
पाकिस्तान ने भी की आलोचना:
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि अल-अक्सा दुनिया भर के मुसलमानों का एक पवित्र स्थल है। इसकी पवत्रिता को भंग करना मुस्लिम समुदाय की धार्मिक संवेदनाओं को आहत करना है और इस तरह के कदम से कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्रों में पहले से ही तनावपूर्ण स्थिति को भडकाना है। विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलूच ने अल-अक्सा मस्जिद परिसर में गवीर के दौरे की निंदा की और कहा कि इजरायली मंत्री की यात्रा असंवेदनशील और भडकाने वाली थी। उन्होंने कहा कि इजरायल को अपने अवैध कृत्यों को बंद करना चाहिए और कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्रों में मुस्लिम धार्मिक स्थलों की पवत्रिता का सम्मान करना चाहिए।
अब संयुक्त अरब अमीरात और चीन ने इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाई है। इस बैठक में इजरायली मंत्री के दौरे के बाद अल-अक्सा मस्जिद परिसर के आसपास उपजे हालात पर चर्चा की जाएगी।
मस्जिद परिसर इतना अहम क्यों?
दरअसल, अल-अक्सा मस्जिद को मक्का-मदीना के बाद इस्लाम में तीसरा पवित्र स्थल माना जाता है। इसी वजह से यरूशलम इस्लाम, यहूदी और ईसाई तीनों धर्म के अनुयायियों के लिए पवित्र स्थान है। यहूदी मस्जिद में जा सकते हैं लेकिन उनके प्रार्थना पर रोक है। इजरायली मंत्री गवीर ने वहां प्रार्थना की है या नहीं यह स्पष्ट नहीं हो सका है लेकिन उनके दौरे को मस्जिद की यथास्थिति बदलने की कोशिशों के तौर पर देखा जा रहा है।
यहूदी टेंपल माउंट मानते हैं:
पूर्वी यरूशलम में स्थित अल-अक्सा मस्जिद परिसर यहूदियों के लिए भी पवित्र तीर्थ स्थल है। यहूदी उसे टेंपल माउंट नाम से जानते हैं , जबकि मुसलमानों के लिए यह अल-हरम अल-शरीफ के रूप में पवित्र स्थल है। उसी परिसर में डोम आॅफ द रॉक भी शामिल है, जो यहूदियों का पवित्र स्थल है। पैगंबर मोहम्मद से जुड़ा होने की वजह से डोम आॅफ द रॉक मुसलमानों के लिए भी पवित्र स्थल है। इस स्थल पर गैर मुस्लिमों के पार्थना करने पर पाबंदी है।
विवाद की पृष्ठभूमि क्या है?
एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1967 में पश्चिमी तट, गाजा पट्टी और पुराने शहर समेत पूर्वी यरूशलम पर इजराइल के कब्जे के बाद से यह जगह विवादित बना हुआ है। हालांकि, यहां का विवाद इजरायल के अस्तित्व में आने से भी पहले से चला आ रहा है।