स्वतंत्र समय, इंदौर
इंदौर में सीटों पर प्रत्याशियों के घोषित होने के बाद सबसे मजेदार मुकाबला क्षेत्र क्रमांक एक और तीन में नजर आ रहा है। खास बात यह है कि इन दोनों ही सीट पर शुक्ला परिवार के दो उम्मीदवार अलग-अलग दलों से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। दोनों ही कड़े मुकाबले में फंसे हुए हैं। विधानसभा एक में कांग्रेसी संजय शुक्ला वर्तमान विधायक हैं लेकिन इस बार कद्दावर भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय उनके सामने हैं तो विधानसभा तीन में गोलू शुक्ला को भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया है, जहां पर पिंटू जोशी से उनका कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद है। दोनों ही जगह पर मुकाबला आसान होने की कतई उम्मीद नहीं है। सभी की नजरें इन दोनों सीटों पर ही लगी रहेंगी।
शनिवार को भारतीय जनता पार्टी ने जब अपने बचे हुए तीन उम्मीदवारों की घोषणा की तो वर्तमान विधायक उषा ठाकुर और महेन्द्र हार्डिया के नाम फिर से घोषित करने पर किसी को आश्चर्य नहीं हुआ। आश्चर्य हुआ तो विधानसभा क्रमांक तीन से राकेश गोलू शुक्ला के नाम की घोषणा पर। गोलू शुक्ला आरंभ में इस सीट पर दावेदारों की लिस्ट में शामिल नहीं थे लेकिन अंतिम समय में उनका नाम जुड़ा और पार्टी ने उन्हें टिकट भी दे दिया।
पिंटू जोशी को मिला था वादा
राकेश गोलू शुक्ला का मुकाबला कांग्रेस के दीपक पिंटू जोशी से होगा, यानी इस सीट पर दोनों ही दलों से नए प्रत्याशी सामने हैं। इसके साथ ही दोनों युवा हैं। हालांकि यहां पर दोनों प्रत्याशियों के अपने-अपने समीकरण है। भाजपा ने वोटों के गणित को देखते हुए कांग्रेसी ब्राह्मण उम्मीदवार के सामने ब्राह्मण उम्मीदवार को मैदान में उतारा है। दोनों की उम्मीदवारों की दावेदारी पर नजर डालें तो पिंटू जोशी पिछली बार भी इस सीट पर दावेदारों में अंतिम समय तक थे लेकिन उन्हें परिवार के अश्विन जोशी को टिकट देते हुए अगली बार टिकट देने का वादा किया गया था। यह वादा निभाया गया है।
पांच सालों से सक्रिय है पिंटू
टिकट कटने के बाद और अश्विन जोशी के आकाश विजयवर्गीय के चुनाव हारने के बाद से ही पांच साल पिंटू जोशी इस सीट पर अपनी दावेदारी मानते हुए सक्रिय रहे हैं। उन्होंने इस क्षेत्र के प्रत्येक प्रोग्राम में भागीदारी की है। साथ ही अश्विन जोशी के चुनाव में प्रचार करने के कारण उनका पूरा क्षेत्र देखा-भाला है। वही उनके कार्यकर्ताओं की फौज भी उन्होंने पिछले पांच सालों में तैयार की है। हालांकि इस सीट पर अरविंद बागड़ी ने वैश्य समाज के वोटों के आधार पर अपनी तगड़ी दावेदारी पेश की थी। वही वो और उनके समर्थक अब तक टिकट बदलने की मांग पर अड़े हुए हैं। उनका विरोध किस हद तक जाता है और पिंटू व कांग्रेसी नेता उन्हें मना पाते हैं या नहीं, यह देखना होगा। आकाश विजयवर्गीय के चुनाव से हटने का फायदा उन्हें निश्चित ही मिलेगा।
गोलू को करना पड़ेगी पूरी एबीसीडी
दूसरी ओर गोलू शुक्ला का टिकट अंतिम समय में फाइनल हुआ है। अधिकांश लोगों को उनके टिकट का अंदाजा नहीं था क्योंकि इस सीट पर सबसे तगड़ा दावा सुमित्रा महाजन द्वारा अपने बेटे मिलिन्द महाजन के साथ ही नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे का था। लोगों को इन्हीं में से किसी एक का टिकट फाइनल होने की उम्मीद थी। अब टिकट फाइनल होने के बाद उन पर बाहरी होने का ठप्पा लग रहा है। इसके साथ ही उन्हें एबीसीडी से पूरी तैयारी करना होगी। पहली बात तो वो इस चुनाव के लिए पहले से तैयार नहीं थे, क्योंकि उन्हें आईडीए में उपाध्यक्ष बनाकर पार्टी ने संतुष्ट कर दिया था। इससे उनकी दावेदारी पर संशय ही था। अब उन्हें पूरी ताकत से मैदान में उतरना पड़ेगा। विधानसभा क्रमांक एक में उनके भाई संजय शुक्ला के उम्मीदवार होने के कारण वो अपने क्षेत्र के पूरे कार्यकर्ताओं को एक साथ नहीं ला पाएंगें। वहीं दूसरी ओर उन्हें क्षेत्र में टिकट के अन्य दावेदारों को भी पूरी तरह मनाना होगा। उन्हें भले ही विजयवर्गीय खेमे का उम्मीदवार बताया जा रहा है लेकिन वो विजयवर्गीय नहीं है, यह बात समझना होगी।