स्वतंत्र समय, मंदसौर
बीते कुछ दिनों से नरसिंहघाट नाला अपने अतिक्रमण को लेकर एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। जबकि इस नाले के अतीत पर ध्यान दें तो करीब एक दशक पूर्व इस नाले की भूमाफियाओं ने जिम्मेदारों के साथ मिलकर षडयंत्रबद्ध तरीके से हत्या की और अब इस नाले की जमीनों के टुकड़ों को नोच-नोचकर खाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। जिसकी जो मर्जी हो उस तरह नाले की लाश पर गिद्धभोज किया जा रहा है। आश्चर्य तो यह है कि जिम्मेदार इस पर तत्काल कार्रवाई करने की बजाए नोटिस और सीमांकन-सीमांकन खेल रहे हैं।
गुरुवार को स्वयं कलेक्टर व एसपी जिला मुख्यालय पर अस्थायी अतिक्रमण हटाने निकले। जबकि शहर में बीते एक सप्ताह से नरसिंह घाट नाले पर बड़े-बड़े भूमाफियाओं द्वारा अस्थाई अतिक्रमण करने का मामला सुर्खियों में बना हुआ है। यहाँ तक कि कलेक्टर कार्यालय से लेकर सीएम हेल्प लाईन तक इस मामले में शिकायतों के अंबार लगे हुए हैं। ऐसे में जब प्रशासन अस्थायी अतिक्रमण हटवाने निकला तो शहरभर में बस यही चर्चा थी कि प्रशासन से इन भूमाफियाओं का तो बाल बांका नहीं हो रहा है और व्यापारियों को सताने निकल पड़े हैं। बात यदि करें नरसिंह घाट नाले की तो यहाँ जगह-जगह भूमाफियाओं ने अपने-अपने हिसाब स्व नाले को घेर लिया है। यहाँ तक कि एक कॉलोनी का बगीचा और रास्ता तो नाले से ही देकर करीब 3100 फिट अतिक्रमण नाले पर कर दिया है। खास बात यह है कि इस मामले में क्षेत्रीय पार्षद द्वारा की गई शिकायत भी वापस उठा ली गई और अब उनका मत है कि मैंने सिर्फ सीमांकन की शिकायत की थी जो गया। इधर, मामले में अन्य कई शिकायतें हैं स्वयं नपा और जिला प्रशासन के अधिकारी यहाँ मौका मुआयना कर चुके हैं बावजूद इसके अतिक्रमण पर बुलडोजर चलना तो ठीक यहाँ कॉलोनाइजर का काम तक नहीं रुक पा रहा है।
श्रीजी के पापियों का मलमास में पुण्य
बता दें कि जब रिंगवाल पर मोड़ते हुए इस मुख्य नाले की हत्या कर दी गई उसके बाद कुछ भूमाफियाओं ने मिलकर श्रीजी पार्क कॉलोनी की स्क्रिप्ट लिखी। यह वह दौर था जब जनकूपुरा, खानपुरा, शहर क्षेत्र सहित शहर की पुरानी आबादी में बसे धनाड्य अपने लिए सिटी सेंटर में कोई नया बसेरा खोज रहे थे। इसी का लाभ उठाते हुए श्रीजी पार्क से गुजर रहे नाले को पाइप लाइन डालकर पैक किया गया और इस पर बसा दी गई इन धनाढ्यों की एक नई बसाहट। जबकि श्रीजी पार्क में आज जिस नाले के ऊपर सीसी रोड है वह ईश्वर न करे किसी बड़े हादसे का सबब बन जाए। एक और बड़ा आश्चर्य यह है कि जिन भूमाफियाओं ने नाले पर कब्जा किया वही मल मास में शहर में कथा करवाकर पुण्यार्जन करने में जुटे हैं। जबकि सनातन शास्त्रों में स्पष्ट उल्लेख है कि किसी भूमि को कब्जाना भी एक बड़ा पापकर्म है।
रिंगवाल के किनारों पर मोड़कर की थी हत्या
बुजुर्गों की माने तो यह नाला सालों पूर्व यह नाला नरसिंहपुरा रिंगवाल के यहाँ महादेव नगर से भागवत नगर के पीछे होते हुए नरसिंह घाट अखाड़े के सामने से गुजरता था, लेकिन इस नाले को रिंगवाल के किनारे-किनारे मोड़ कर इसकी हत्या कर दी गई। इसके बाद से ही इस नाले में बारिश का पानी इतना नहीं आता जबकि यह दिक्कत अब शनि विहार, महादेव नगर, नरसिंह घाट के रिंगवाल क्षेत्र के रहवासियों को अधिक भुगतान पड़ रही है।
नाले को कब्जे में लेकर काटे जाएं गरीबों के लिए पट्टे
गौरतलब है कि नरसिंह घाट नाला सालों पूर्व ही रिंगवाल की तरफ मोडक़र बंद कर दिया गया है। वर्तमान में इसमें जो भी पानी आ रहा है वह भागवत नगर, हनुमान नगर, रामटेकरी, नरसिंहपुरा के कुछ इलाकों के नारदों का पानी है। इसी के चलते अब इस पर शहर के भूमाफिया वर्ग की गिद्ध नजऱ है। ऐसे में कलेक्टर को स्वयं संज्ञान लेकर इस नाले को पूरी तरह खत्म करके गरीबों के लिए पट्टे काट देना चाहिए, जिससे गरीब वर्ग को भूमि भी मिल जाए और शासन को पट्टों से राजस्व की आय भी हो जाए। हां लेकिन इसके पूर्व अवैध रूप से नाले को ठेट से ठेट तक कब्जाने वालों के अतिक्रमण पर बुलडोजर चलना बेहद आवश्यक है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
नाले का सीमांकन कर लिया गया है। जल्द ही नाले को अतिक्रमण मुक्त करवाया जाएगा।
-सुधीर सिंह, सीएमओ नपा