स्वतंत्र समय, भोपाल
हुजूर सीट से निर्दलीय नामांकन भर चुके जितेंद्र डागा का नामांकन वापस कराने की जुगत में भाजपा-कांग्रेस दोनों ही दल जुटे हुए हैं। डागा से मिलने दोपहर में भाजपा प्रत्याशी रामेश्वर शर्मा पहुंचे और अलग से बात करते हुए फार्म वापस लेने के लिए डागा की काफी मान मनोव्वल की तो शाम को कांग्रेस प्रत्याशी नरेश ज्ञानचंदानी डागा के घर पहुंचे। ज्ञानचंदानी ने उनके पैर छुए और डागा से अलग से बात की। बाद में पहुंचे ज्ञानचंदानी ने तो डागा को लेकर मप्र कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ के बंगले पर पहुंचे, जहां कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के साथ उनकी बात कराई। हालांकि डागा क्या निर्णय लेते हैं, इसका अभी खुलासा उन्होंने नहीं किया, वे नामांकन वापसी के आखिरी दिन गुरुवार को अपने पत्ते खोलेंगे। राजधानी की हुजूर सीट से निर्दलीय नामांकन फार्म भर चुके पूर्व विधायक जितेंद्र डागा संभवत: मप्र के ऐसे इकलौते प्रत्याशी हैं, जिनको मनाने के लिए दो विरोधी दलों के प्रत्याशी उनके घर पहुंचे। डागा पहले भाजपा से विधायक रहे जो बाद में टिकट कटने के बाद पिछले चुनाव में कांग्रेस में चले गए।
अब कांग्रेस से टिकट न मिलने के बाद वे निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में हैं। इसके चलते दोनों ही प्रमुख दलों के भाजपा-कांग्रेस के प्रत्याशी मान रहे हैं, कि डागा उनके वोट काट सकते हैं। नामांकन फार्म की स्क्रूटनी के बाद गुरुवार को नाम वापसी का आखिरी दिन है। ऐसे में यह गुरुवार को ही तय होगा कि डागा चुनाव लड़ते हैं या मैदान छोड़ते हैं। उल्लेखनीय है कि भाजपा और कांग्रेस के कई बागी नेता चुनाव मैदान में डटे हुए हैं। हालांकि इन बागी नेताओं को मनाने के लिए दोनों पार्टियों के दिग्गजों ने पूरा दम लगा रखा है। गुरूवार शाम को तस्वीर साफ हो जाएगी कि किन-किन सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बागी नेता पार्टी का खेल बिगाड़ेंगे। दरअसल, दोनों पार्टियों को अपने-अपने बागियों से खेल बिगड़ने का डर है। टिकट नहीं मिलने पर दर्जा प्राप्त मंत्री से लेकर, पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक तक पार्टी से बगावत कर निर्दलीय या फिर किसी दूसरे दल से नामांकन कर चुके हैं। कांग्रेस और भाजपा के पास सिर्फ गुरूवार का दिन बचा है। ऐसे में दोनों ही पार्टियों की कोशिश है कि बचे हुए दो दिनों में नाराज नेताओं को मनाकर फिर से अपने पाले में लाने की कोशिश की जाए।
मप्र में भाजपा के प्रमुख बागी
इस चुनाव में भाजपा के लिए कई बागी मैदान में डटे हुए हैं। बुरहानपुर विधानसभा सीट पर हर्षवर्धन चौहान (पूर्व सांसद स्व. नंदकुमार चौहान के बेटे)डटे हैं। वहीं निवाड़ी विधानसभा सीट पर नंदराम कुशवाहा (मप्र कुक्कुट विकास निगम के उपाध्यक्ष- दर्जा प्राप्त मंत्री), टीकमगढ़ से केके श्रीवास्तव (पूर्व विधायक), आलोट (रतलाम)विधानसभा सीट पर रमेश मालवीय (पूर्व मंडल अध्यक्ष)डटे हुए हैं। वहीं बड़वारा (कटनी) से मोती कश्यप (पूर्व मंत्री)सपा प्रत्याशी बन गए हैं। मुरैना विधानसभा सीट पर रुस्तम सिंह (पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह के बेटे) बसपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। मनगवां (रीवा) विधानसभा सीट पर पूर्व प्रत्याशी पंचूलाल की पत्नी भी चुनाव लड़ रही हैं। भाजपा की सबसे अधिक टेंशन जिन्होंने बढ़ाई है उनमें निवाड़ी सीट पर भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष कमलेश्वर देवलिया भी निर्दलीय ताल ठोक रहे हैं। देवलिया भाजपा के पुराने नेता हैं। मुरैना में पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह भी भाजपा छोडक़र बसपा में शामिल हो चुके हैं। बेटे राकेश बसपा से प्रत्याशी हैं। रुस्तम सिंह भाजपा में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री रहे। 10 दिन पहले उन्होंने बसपा जॉइन कर ली। रुस्तम सिंह भाजपा में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री रहे।
प्रदेश में कांग्रेस के प्रमुख बागी
भाजपा की तरह कांग्रेस में भी बागियों की भरमार है। कांग्रेस में भोपाल उत्तर विधानसभा सीट पर आमिर अकील (विधायक आरिफ अकील के भाई)डटे हैं। वहीं हुजूर (भोपाल)जितेंद्र डागा (पूर्व विधायक), गोटेगांव (नरसिंहपुर) से शेखर चौधरी (पूर्व विधायक), बरगी (जबलपुर) से जयकांत सिंह (पूर्व विधायक सोबरन सिंह के बेटे), बडऩगर (उज्जैन) से राजेंद्र सिंह सोलंकी (जिला पंचायत सदस्य)डटे हैं। वहीं सिहोरा (जबलपुर)से कौशल्या गोटिया (पूर्व मंत्री), आलोट (रतलाम) से प्रेमचंद गुड्डू (पूर्व सांसद)भी मैदान में हैं। वहीं भोपाल उत्तर से कांग्रेस के बागी नासिर इस्लाम और मोहम्मद शफीक भी निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। सिहोरा (जबलपुर) से पूर्व जिला पंचायत सदस्य जमुना मरावी ने भी बगावत की है।