स्वतंत्र समय, इंदौर
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि अहंकार मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन होता है। भगवान राम और रावण की तुलना करें तो रावण कई मामलों में श्रेष्ठ था, लेकिन उसका अहंकार उसका दुश्मन था जो उसे ले डूबा। विजयवर्गीय रविवार शाम भगवान बाहुबली दिगंबर जैन ट्रस्ट, गोम्मटगिरी पर आयोजित सामूहिक क्षमावाणी पर्व को संबोधित कर रहे थे। विजयवर्गीय ने कहा कि जैन समाज में क्षमावाणी पर्व का बहुत महत्व है। अन्य समाजों को भी इस बात से प्रेरणा लेना चाहिए। विजयवर्गीय ने गोम्मटगिरी तीर्थ और देवनारायण मंदिर के बीच वर्षों से चल रहे विवाद का निराकरण होने पर दोनों समाज के पदाधिकारियों को बधाई दी। कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित विधायक संजय शुक्ला ने कहा कि कांग्रेस शासनकाल में गोम्मटगिरी तीर्थ, पुष्पगिरी तीर्थ सहित कई तीर्थों के लिए जगह दी है। आने वाले समय में भी हम सभी जैन तीर्थों की रक्षा के लिए दृढ़ संकल्पित रहेंगे।
संतों और जनप्रतिनिधियों के प्रयासों से हल हुआ: इस अवसर पर आचार्य विहर्षसागरजी एवं मुनि पूज्यसागरजी ने भी धर्म सभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि समाज में जब-जब धर्म ग्लानि हुई है तब-तब संत-महात्माओं ने समाज को नई दिशा दी है। उन्होंने कहा कि जैन और गुर्जर समाज के बीच चला आ रहा अप्रिय प्रसंग संतों और जनप्रतिनिधियों के अथक प्रयासों से हल हुआ है। आचार्य श्री ने समारोह में उपस्थित विधायक संजय शुक्ला और भाजपा प्रत्याशी कैलाश विजयवर्गीय को गले मिलवाकर क्षमावाणी पर्व का सकारात्मक संदेश भी दिया।
तपस्वियों का बहुमान
इस अवसर पर 10 से लेकर 32 उपवास करने वाले तपस्वियों का बहुमान किया गया। दीप प्रज्ज्वलन, शास्त्र भेंट और पाद प्रक्षालन भी किया गया। ट्रस्ट की ओर से अतिथि विजयवर्गीय और शुक्ला का शॉल-श्रीफल भेंट कर अभिनंदन किया गया। समारोह में वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण कुमार खारीवाल, बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता दीपक जैन टीनू, जयदीप जैन, डीके जैन, कैलाश वेद, मनोज काला, संजय बाकलीवाल, मनीष अजमेरा आदि विशेष अतिथि के रूप में मौजूद थे। प्रारंभ में ट्रस्ट के अध्यक्ष भरत मोदी ने स्वागत उद्बोधन दिया। संचालन महामंत्री सौरभ पाटोदी ने किया।
अतिथियों का स्वागत निर्मल सेठी, प्रीति पाल टोंग्या, मुकेश टोंग्या, सुभाष सामरिया, विमल सेठी, राजेन्द्र गंगवाल ने किया। अंत में संजय पाटोदी ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में जैन धर्मावलंबी मौजूद थे। जिन्होंने एक-दूसरे से क्षमा मांग कर सामूहिक क्षमावाणी पर्व मनाया।