पहले बहिष्कार किया, अफसरों ने समझाइश दी तो किया मतदान

स्वतंत्र समय, शहडोल

जैतपुर विधानसभा क्षेत्र के करीब आधा दर्जन ग्रामीण अंचलों में भाजपा के पूर्व विधायकों के निकम्मेपन के कारण जिस तरह जनाक्रोश उभर कर सामने आया वह निश्चित ही एक कड़ी चेतावनी है। विकास का झांसा देकर चुनाव जीतना और फिर सत्ता के विलास बैकुण्ठ में डूब कर जनता को भुला देना अब मंहगा पड़ेगा। जनता से किया गया वायदा अब पूरा करना पड़ेगा। 17 नवंबर को हुए विधानसभा चुनावों के मतदान का जैतपुर के कुछ ग्रामीण अंचलों में बहिष्कार किया गया, जनता वोट डालने नहीं गई और नारेबाजी करती रही। यहाँ वोट कई घंटो बाद कलेक्टर व जिला निर्वाचन अधिकारी के समझाइस के बाद शुरू हुआ।

इसलिए किया था बहिष्कार

जैतपुर के मलया, गिरबा व नागकोट जैसे करीब आधा दर्जन ग्रामीण क्षेत्रों में मतदान का लोगों ने बहिष्कार कर नारेबाजी की। लोगों का कहना था कि करीब 15 साल पहले जैतपुर को विधानसभा घोषित किया गया था। जनता को आश्वासन दिया गया था कि अब इस क्षेत्र का तेजी से विकास होगा और समस्याओं का निराकरण किया जाएगा। पिछले दो चुनावों में भाजपा के उम्मीदवार जीतते रहे। लेकिन आज तक यहां सडक़ व बिजली जैसी अनिवार्य सुविधाओं का संचार नहीं हो सका। चुनाव का तीसरा कार्यकाल भी आ गया, लेकिन कोई काम नहीं हुआ। क्या जनता सिर्फ वोट डालने भर के लिए रह गई है ? किसी से जवाब देते नहीं बना, भाजपा प्रत्याशी तो यहां नजर ही नहीं आए।

झांसे की राजनीति में जनता क्यों भाग ले

ब्यौहारी के केन्द्र क्रमांक 62 में भी बहिष्कार की स्थिति निर्मित हुई और प्रशासनिक अमले केा हस्तक्षेप कर मतदान शुरू कराना पड़ा। यहां भी कई घंटे बाद मतदान शुरू हो सका। वर्षों से जनता सडक़, पुल, प्रकाश आदि जैसी समस्याओं से त्रस्त रही है। आक्रोश जता रहे लोगों का कहना था कि राजनीतिबाज हर बार जनता को झांसा देकर चुनाव जीतते हैं। चुनाव के समय वे प्रकट हो जाते हैं और सच्चे झूठेे वायदे कर जनता का वोट हासिल कर विधायक बन जाते हैं और फिर अपने लोकतांत्रिक उत्तरदायित्व को भूल जाते हैं। जनता ऐसे लोगों के चुनाव में क्यों सहभागी बनेे।

जनहित को प्राथमिकता से लेना होगा

मतदान के बहिष्कार की यह पहल अब उन प्रत्याशियों के लिए सीख बनेगी जो इस बार चुनाव जीत कर आएंगे। उन्हे अब जनता के लिए काम करना पड़ेगा। विधायक बनने केे बाद उन्हे अपने क्षेत्र का भ्रमण कर जनता के सम्पर्क में रहना पड़ेगा। जैतपुर व ब्यौहारी में इस बार भाजपा प्रत्याशियों को अप्रिय स्थितियों से गुजरना पड़ा है और कई गांवों मेें उनके लिए अपमानजनक स्थितियां निर्मित हुईं हैं। विरोध पहले भी होते रहें हैं लेकिन वह अन्य दलों द्वारा किया जाता रहा है। जैसे उमरिया जिले के मानपुर से पूर्व विधायक व मंत्री मीना सिंह का विरोध हुआ लेकिन वह आंदोलन गोंगपा ने चलाया था। यहां तो सीधे मतदाता ही विरोध का झंडा ताने खड़ा है। जिससे कोई जीत नहीं सकता।