पहले 4 करोड़ थे, अब सिर्फ 60 हजार रह बचे हैं गिद्ध

स्वतंत्र समय, भोपाल

बीमार मवेशियों मतलब जानवरों के इलाज में जो दवा इस्तेमाल की जा रही है, वह गिद्धों के लिए जानलेवा ही नहीं, बल्कि उनकी प्रजाति और उनके अस्तित्व के लिए विनाशक साबित हो रही है। इस दवा से इलाज करा चुके जानवरों की मृत्यु के बाद, जब गिद्ध इनको अपना आहार बनाते हैं तो मृत जानवरों के शरीर में मौजूद दवाओं के हानिकारक ड्रग्स गिद्धों की मौत का कारण बन जाते हैं। यही कारण है कि कभी भोपाल सहित सारे देश में गिद्धों की संख्या लगभग 4 करोड़ थी। मगर अब इनकी संख्या घटकर लगभग 60 हजार ही रह गई है। इसलिए सरकार वन विभाग के माध्यम से हर दो साल में गिद्धों की गणना करवाती आ रही है। रिटायर्ड वन अधिकारी केके झा का कहना है कि बिना जनभागीदारी के न तो गिद्धों का सरंक्षण किया जा सकता है, न ही उनकी सटीक गणना की जा सकती है।

लगातार मर रहे हैं गिद्ध

लगातार घटती संख्या के चलते के कारण गिद्ध प्रजाति के पक्षी के लुप्त होने का जो खतरा मंडरा रहा है, उसकी मुख्य वजह बीमार मवेशियों की दी जाने वाली दर्द निवारक डाईक्लोफिनेक दवा है। सरकार ने 17 साल पहले इस दवा के इस्तेमाल पर रोक लगाकर इसकी जगह मेलोक्सिकेम मेडिसिन को अपनाने की सिफारिश की थी। मगर प्रतिबंध के बावजूद आज भी डाईक्लोफिनेक दवा गैर-कानूनी तरीके से बाजार में बेची जा रही है और मवेशियों के लिए किसान इसका उपयोग धड़ल्ले से करते आ रहे हैं। जब मवेशी मर जाते हैं, तब उनके शरीर में मौजूद दवा गिद्धों की मौत की वजह बन जाती है।

गिद्धों की गणना 2 बार होगी

हर 2 साल में होने वाली गिद्ध गणना इस बार नए साल में 2 बार होगी। पूरे मध्यप्रदेश में गिद्धों की गणना जनवरी और मई माह में एक ही दिन, एक ही समय में एक साथ की जाएगी। गणना में वनकर्मियों के अलावा पर्यावरण प्रेमी एनजीओ को भी शामिल किया जाएगा। गिद्धों की 2 बार गणना इसलिए कि जाती है कि पहले की गई गणना में गिद्धों की संख्या का दूसरी बार की गई गणना से मिलान किया जाता है, जिससे गिद्धों की संख्या की सही व सटीक जानकारी मिल सके ।

कुल 9 प्रकार के होते हैं गिद्ध

देश में 9 प्रकार के, मतलब प्रजाति के गिद्ध पाए जाते हैं। एक गिद्ध का वजन 3.50 किलो से लेकर लगभग 8 किलो तक होता है। जो नौ प्रजातियां हैं, उनके नाम इस प्रकार हैं- श्याम गिद्ध , अरगुल गिद्ध, यूरेशियन पांडुर गिद्ध, सफेद पीठ गिद्ध, दीर्घचुंच गिद्ध, बेलनाचुंच गिद्ध, पांडुर गिद्ध, गोपर गिद्ध और राज गिद्ध।