पीएचडी की एक सीट के लिए 7 गुना दावेदार, 696 सीट पर 3,420 से ज्यादा अभ्यर्थियों ने करवाया है डीईटी में रजिस्ट्रेशन

स्वतंत्र समय, इंदौर

18 महीने के लंबे इंतजार के बाद देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी में 31 अक्टूबर को हो रही पीएचडी की डॉक्टरल एंट्रेंस टेस्ट (डीईटी) में आवेदनों की संख्या 3420 पहुंची है। यह संख्या परीक्षा की तारीख आगे बढ़ाने से हुई अन्यथा पहले तो आवेदन की संख्या 3050 तक ही पहुंच पाई थी। यह संख्या पिछली बार हुई डीईटी के मुकाबले बहुत कम है। पिछली बार पांच हजार से ज्यादा आवेदन आए थे। स्वतंत्र समय ने पहले ही 1 अक्टूबर को प्रकाशित समाचार में यह संभावना जता दी थी कि इस बार असिस्टेंट प्रोफेसर में पीएचडी की अनिवार्यता खत्म करने सहित अन्य कारणों से अभ्यर्थियों में डीईटी के लिए कम आकर्षण है। कुल रजिस्ट्रेशन के हिसाब से देखा जाए तो इस बार प्रत्येक सीट के लिए औसतन सात गुना आवेदक हैं। कई विषयों में सीट के मुकाबले 31 गुना तक आवेदन है तो कुछ में सीट से कम आवेदन भी हुए हैं। इस परीक्षा में सबसे ज्यादा आवेदन मैनेजमेंट विषय में आए हैं। इसमें 117 सीट के लिए चार गुना यानी 458 अभ्यर्थियों ने परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन करवाए हैं। कम्प्यूटर साइंस और सोशल वर्क जैसे विषयों में सीट संख्या से 31 गुना ज्यादा प्रतिभागियों ने परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन करवाए हैं। लॉ, अंग्रेजी, सोश्योलॉजी और हिन्दी लिटरेचर जैसे विषयों में सीटों से 20 गुना तक अभ्यर्थियों ने फॉर्म जमा किए हैं। इसके साथ ही कॉमर्स, केमिस्ट्री, जूलॉजी, हिस्ट्री जैसे विषयों में भी सीट संख्या से कहीं ज्यादा अभ्यर्थी रहे हैं। वहीं दूसरी ओर ऊर्दू, इलेक्ट्रॉनिक्स, एप्लाइड केमिस्ट्री, एप्लाइड फिजिक्स जैसे विषयों में अभ्यर्थियों की संख्या सीटों से कम है।

पिछली बार पांच हजार से ज्यादा हुए थे रजिस्ट्रेशन

इस बार पीएचडी की एंट्रेस टेस्ट के लिए अभ्यर्थियों में कम उत्साह देखने को मिला है। पिछली बार हुई परीक्षा में पांच हजार से ज्यादा अभ्यर्थियों ने रजिस्ट्रेशन करवाया था लेकिन इस बार 21 सितंबर को स्थिति यह थी कि मात्र एक हजार अभ्यर्थियों ने ही परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया था। इसके बाद 30 सितंबर तक यह आंकड़ा 3050 तक पहुंचा। बाद में लिंक 10 अक्टूबर तक फिर से खोली गई, जिसमें करीब 270 अभ्यर्थियों ने और रजिस्ट्रेशन करवाया। सबसे ज्यादा सीट होने के कारण सबसे ज्यादा आवेदन भी कॉमर्स और मैनेजमेंट के अभ्यर्थियों ने किए हैं। यूनिवर्सिटी में यह परीक्षा 18 महीने बाद हो रही है।

यूजीसी ने बदली अपनी प्राथमिकता

यूजीसी द्वारा असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती परीक्षा के लिए पीएचडी के बजाय नेट या स्लेट को प्राथमिकता देने के कारण इस परीक्षा का क्रेज कम हुआ है। यूजीसी ने हालांकि पीएचडी को भी अनिवार्य योग्यताओं के विकल्प में रखा है लेकिन नेट या स्लेट को सबसे प्राथमिकता में रखा है। इससे पहले असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती के लिए केवल पीएचडी को ही अनिवार्य योग्यता रखा गया था। इसके साथ ही अन्य प्राइवेट यूनिवर्सिटीज द्वारा देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के पहले ही एंट्रेंस परीक्षाएं करवाकर अपने यहां पर पीएचडी की सीटें भर ली गई हैं। इस कारण भी अभ्यर्थी कम हुए हैं। वही परीक्षा का सेंटर केवल इंदौर होने के कारण भी बाहरी अभ्यर्थी का आकर्षण कम है।

तीन शिफ्ट में होगी परीक्षा

देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी 31 अक्टूबर को डीईटी परीक्षा 40 विषयों की 696 सीट के लिए यह परीक्षा एमपी ऑनलाइन के माध्यम से करवा रहा है। इस परीक्षा के लिए एमपी ऑनलाइन ने इंदौर में कुल पांच परीक्षा सेंटर बनाए हैं, जिस पर तीन अलग-अलग शिफ्ट में परीक्षा करवाई जाएगी। परीक्षा के लिए गत 8 सितंबर से रजिस्ट्रेशन शुरू हुए थे। यूनिवर्सिटी में कॉमर्स, मैनेजमेंट, जूलॉजी, केमिस्ट्री, एजुकेशन व इकानॉमिक्स में पीएचडी की सबसे ज्यादा सीट होने के कारण इन पर आवेदनों की संख्या भी काफी अधिक है। लेकिन कई विषयों में कम सीट होने के बावजूद इसमें बहुत सारे अभ्यर्थियों ने परीक्षा के लिए आवेदन किए हैं।