विपिन नीमा, इंदौर
मोदी लहर के साथ एक बार फिर मध्य प्रदेश की कमान आगामी पांच सालों तक भाजपा की सरकार के हाथों में रहेगी। इस चुनाव में कई चौंकाने वाले परिणाम आए है और इसमें कई नेताओं का राजनीति केरियर समाप्त हो गया तो कई नेताओं के भाग्य का उदय हुआ है। विधानसभा चुनाव के परिणाम से इंदौर में कई रिकार्ड बने । इंदौर के लिए सबसे दिलचस्प बात यह है की सारे जनप्रतिनिधि सांसद, महापौर, 9 विधायक और 65 पार्षद सभी भाजपा के है। जबकि कांग्रेस के पास अब केवल 20 पार्षद है। इस बार भाजपा , कांग्रेस और निर्दलीय मिलाकर छह इंदौरी नेताओं ने जिले से बाहर जाकर चुनाव लड़ा, इसमें से भाजपा के दो प्रत्याशियों ने जीत हासिल की जबकि कांग्रेस के तीन प्रत्याशियो में से दो हारे और एक जीता ।
इंदौर का एक अन्य निर्दलीय प्रत्याशी को भी हार का सामना करना पड़ा। इंदौर विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 2 के प्रत्याशी रमेश मेंदोला ने इस चुनाव में मध्य प्रदेश में सबसे बड़ी जीत हासिल की। एक मजेदार बात यह रही की मेंदोला ने जीते के अंतर के मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भोपाल की पूर्व मेयर कृष्णा गौर को भी पीछे छोड़ दिया।
इसी प्रकार एक ही सीट पर लगातार पांच बार जीतने का रिकॉर्ड भी इंदौर के खाते में गया। कैलाश विजयवर्गीय ने अनोखा रिकॉर्ड कायम किया है उन्होंने इंदौर जिले की जिन-जिन सीटों पर चुनाव लड़ा है सब जगह जीत हासिल की है। इसके अतिरिक्त कुछ और भी रिकॉर्ड बने हैं जो इंदौर के खाते में गए। यानी पूरे मध्य प्रदेश में इंदौर की धूम रही।
इंदौरी नेताओं ने बाहरी जिले में जाकर आजमाया भाग्य
चुनाव से पहले भाजपा और कांग्रेस की चुनाव समितियों को प्रत्याशियों के चयन को लेकर काफी मंथन करना पड़ा था। चुनाव समिति के सदस्यों सामने सबसे बड़ा सवाल यह था कि किसको टिकट दे किसको नहीं दें। दोनों दलों की समितियों ने अपने नेताओं को एडजस्ट करने के लिए दूसरा रास्ता निकाल कर उन्हें जिले के बाहर दूसरे जिले में टिकट देकर चुनाव लड़ाया। भाजपा के दो प्रत्याशी विजयी हुई जबकि कांग्रेस के दो प्रत्याशियों को हार का मूंह देखना पड़ा। का एक इंदौरी नेता ने जीत हासिल की। जबकि दो कांग्रेसी नेता पराजित हुए।
इंदौर के बाहर इंदौरी नेताओं ने लहराया जीत का झंडा
- इंदौर भाजपा जिला अध्यक्ष डॉ राजेश सोनकर को सोनकच्छ से टिकट दिया गया और उन्होंने वहां पर इंदौर के ही वरिष्ठ कांग्रेसी नेता व पूर्व मंत्री सज्जनसिंह वर्मा को 25000 वोट से पराजित किया।
- इंदौर के ही भाजपा नेता राजकुमार मेव ने महेश्वर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा। उन्होंने भी कांग्रेस की पूर्व मंत्री विजय लक्ष्मी साधो को पराजित कर जीत हासिल की।
- भाजपा छोडक़र कांग्रेस में शामिल हुए वरिष्ठ नेता व पूर्व विधायक भंवर सिंह शेखावत पर भरोसा कर कांग्रेस चुनाव समिति ने उन्हें बदनावर विधानसभा सीट से टिकट दिया और चुनाव जीतकर कांग्रेस का भरोसा जीता। वे इसी विधानसभा सीट से भाजपा विधायक भी रह चुके है। शेखावत ने पूर्व मंत्री राज्यवर्धन दत्तीगांव को पराजित किया।
- जावद विधानसभा सीट से चुनाव लड़े इंदौर के कांग्रेसी नेता राजकुमार मेव को पराजय का सामना करना पड़ा। उन्हें पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा ने पराजित किया।
- आगर विधानसभा सीट भी इंदौर के ही कांग्रेस नेता विपिन वानखेड़े को पराजय का मुंह देखना पड़ा। उन्हें भाजपा के मधु गेहलोत ने पराजित किया।
- टिकट न मिलने से नाराज पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर आलोट से निर्दलीय चुनाव लड़ा, लेकिन वे भाजपा प्रत्याशी के सामने चुनाव हार गए।
- सबसे बड़ी जीत हासिल की मेंदोला ने लगातार चार चुनाव जीतने वाले भाजपा के कद्दावर नेता अपराजिता रमेश मेंदोला ने इस विधानसभा चुनाव में पूरे प्रदेश में सबसे बड़ी जीत हासिल की है,। इस विशाल जीत के साथ उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और भोपाल की पूर्व मेयर कृष्णा गौर को भी पीछे छोड़ दिया।
ऐसा रहा मेंदोला की जीत का सफर
- 2008 – 39937
- 2013 – 91017
- 2018 – 71011
- 2023 – 104947
सीएम और मेयर को भी पीछे छोड़ा
- रमेश मेंदोला — 107047
- कृष्णा गौड़ — 106335
- सीएम शिवराज — 104947
जनप्रतिनिधियों के नाम पर कांग्रेस के पास सिर्फ 19 पार्षद
इंदौर शहर में अब चारों तरफ भाजपा की राज रहेगा, क्योंकि इंदौर जिले की नो विधानसभा सीटों पर ही भाजपा का कब्जा हो गया है। अब शहर में एक भी कांग्रेस विधायक नहीं है। यानी पूरा शहर कांग्रेस मुक्त हो गया है। शहर में जनप्रतिनिधि नाम कर अब कांग्रेस के पास केवल 20 पार्षद रह गए ।
चार चुनावों में जीत का अंतर इस प्रकार रहा
- 2008 — 28043
- 2013 — 33823
- 2018 — 43090
- 2023 — 69837