पूर्व जस्टिस संजय किशन बोले-असहिष्णुता तो घर-घर में है

स्वतंत्र समय, नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज संजय किशन कौल ने मोदी सरकार को लेकर अपनी राय व्यक्त की है। जस्टिस (रि.) कौल ने सरकार और न्याय पालिका की भूमिका पर भी रोशनी डाली। पिछले दिनों संजय किशन कौल ने कई मुद्दों पर खुलकर अपना मत व्यक्त किया। वर्तमान सरकार को लेकर रिटायर्ड जज ने कहा, मौजूदा नेतृत्व को पब्लिक सपोर्ट है। ये समझना चाहिए कि हमने लोकतंत्र को चुना है। लोकतंत्र में भी उसके एक प्रक्रिया को चुना है- फस्र्ट पास्ट द पोल। जिसने भी राज किया है, उसने 50 प्रतिशत के कम ही वोट पर राज किया है। तो जो भी पार्टी पावर में आएगी, वो यही सोचेगी कि हम जनता द्वारा चुन के आए हैं, हम जो करना चाहते हैं करने दीजिए।

न्याय पालिका का काम ही चेक एन्ड बैलेंस का है, इसलिए जो भी सरकार में रहेगा, उसे लगेगा कि उन्हें फ्री हैंड नहीं दिया जा रहा है, क्योंकि कई बातों में न्याय पालिका का हस्तक्षेप होता है, लेकिन न्याय पालिका की भूमिका तो संविधान में तय है। हम एक अपना काम करते हैं। वो अपना काम करते हैं। विपक्षी अपना काम करते हैं। कौल ने कहा, जब विपक्ष कमजोर हो जाती है तो एक अलग तरह की समस्या होती है, जैसे आज कल है। जब गठबंधन की सरकारें थी तो बैलेंसिंग ज्यादा होती थीं। अलग-अलग विचारों को ज्यादा सुना जाता था। जब एक सरकार ज्यादा मैडेट के साथ आती है तो वह समझती है कि उसे जनता द्वारा यह अधिकार दिया गया है कि वह जो चाहे करे। विपक्षी दल कहते हैं कि उनकी बात को भी सुना जाना चाहिए।

कौल ने कहा असहिष्णुता का माहौल तो घर-घर में फैला हुआ है। पहले लोग एक दूसरे की बात सुन लेते थे, लेकिन अब लोग एक दूसरे के राजनीतिक विचार सुनने को तैयार नहीं है, इसलिए मैं तो अब हल्के-फुल्के अंदाज में यह कहने लगा हूं कि डिनर टेबल पर राजनीतिक बहस नहीं होनी चाहिए। कोई किसी का समर्थक होगा, कोई किसी का विरोधी होगा और फालतू का झगड़ा हो जाएगा। ऐसा सीन मेरे यहां भी हो सकता है। इसलिए मैं कहता हूं कि राजनीतिक बहस नहीं होगी। अब अलग-अलग तरह के लोग बैठे हैं तो देखने का अलग-अलग नजरिया हो सकता है। इसमें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन किसी प्वाइंट ऑफ व्यू को एक हद तक ही जाना चाहिए। मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को संसद के जरिए खत्म कर दिया था। जब सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, तो अदालत ने अपने फैसले में संसद के निर्णय को वैध करार दिया। अनुच्छेद 370 पर फैसला सुनाने वाली बेंच में संजय किशन कौल भी शामिल थे, जो खुद मूल रूप से कश्मीरी हैं। उन्होंने फैसले में अलग से अपनी कुछ राय दर्ज कराई थी।