प्रत्याशियों ने जमकर लुटाया धन…कम का दिया हिसाब, चुनावी खर्च में भाजपा से आगे निकले कांग्रेस उम्मीदवार

स्वतंत्र समय, भोपाल

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए शुक्रवार को मतदान होना है। 15 नवंबर की शाम से चुनाव प्रचार थम गया है। वहीं इसके साथ ही अब प्रत्याशियों द्वारा चुनाव प्रचार में खर्च की राशि का ब्यौरा भी सामने आया है। उसके अनुसार भोपाल में कांग्रेस प्रत्याशी पीसी शर्मा खर्च करने में अव्वल रहे हैं। वैसे तो चुनावी मैदान में प्रत्याशियों ने जमकर धन लुटाया है लेकिन आयोग को जो हिसाब दिया है उसमें कम खर्च दर्शाया है।

अभी तक जो जानकारी सामने आई है उसके अनुसार चुनावी प्रचार में सबसे ज्यादा पीसी शर्मा ने खर्च किए हैं। गौरतलब है पीसी शर्मा दक्षिण-पश्चिम से कांग्रेस प्रत्याशी हैं। इन्होंने अपने चुनावी प्रचार में 24 लाख रुपए उड़ाए हैं। दूसरे नंबर पर गोविंदपुरा से भाजपा प्रत्याशी कृष्णा गौर रहीं। जिन्होंने प्रचार पर 16.66 लाख अब तक खर्च किए हैं। तो वहीं भगवानदास सबनानी तीसरे नंबर पर रहे हैं। जिन्होंने चुनाव प्रचार पर 16 लाख 30 हजार रुपए खर्च किए हैं।

 प्रत्याशियों के खर्च का ब्यौरा

बैरसिया से भाजपा प्रत्याशी विष्णु खत्री ने 16.16 लाख खर्च किए। मध्य से कांग्रेस प्रत्याशी आरिफ मसूद ने 13.44 लाख खर्च किए। गोविंदपुर से कांग्रेस प्रत्याशी रविंद्र साहू झूमरवाला ने 13.32 लाख रुपए खर्च किए। कांग्रेस प्रत्याशी आतिफ अकील ने 12.73 लाख खर्च किए। कांग्रेस प्रत्याशी नरेला से मनोज शुक्ला ने 12.69 लाख खर्च किए। कांग्रेस प्रत्याशी हरि किरण ने 12.08 लाख खर्च किए। हुजूर से कांग्रेस प्रत्याशी नरेश ज्ञानचंदानी ने 11.66 लाख  खर्च किए। मध्य से भाजपा प्रत्याशी ध्रुवनारायण सिंह ने 9.98 लाख  खर्च किए। हुजूर से भाजपा प्रत्याशी रामेश्वर शर्मा ने 9.70 लाख किए।

  •  नरेला से भाजपा प्रत्याशी विश्वास सारंग ने 8.18 लाख  खर्च किए। उत्तर से भाजपा प्रत्याशी आलोक शर्मा ने 8.03 लाख खर्च किए। सबसे कम आलोक शर्मा, विश्वास सारंग ने 8 लाख खर्च किए।
  •  आपको बता दें नियमानुसार प्रत्याशियों के लिए चुनाव प्रचार प्रसार पर खर्च करने की अधिकतम राशि 40 लाख रुपए निर्धारित की गई थी।
  • यानि चुनाव के लिए खड़े प्रत्याशी ज्यादा से ज्यादा 40 लाख रुपए तक खर्च कर सकते थे।

आज ईवीएम में बंद होंगे अफसरों के परिजनों के भाग्य

प्रदेश में शुक्रवार को होने वाले मतदान के लिए नायब तहसीलदार के ससुर, तीन डीएसपी और एसडीओपी के भाई और साले तथा एक डीएसपी के भाई चुनाव मैदान में हैं। इन अधिकारियों के परिजनों के चुनाव मैदान में किस्मत आजमाने की जानकारी के बाद भी चुनाव आयोग ने इनकी फील्ड वाली पदस्थापना में कोई बदलाव नहीं किया है। इसकी वजह अफसरों की पदस्थाना चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार के दूसरे जिले से चुनाव मैदान में होना बताई जा रही है।मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने अधिकारियों द्वारा दी गई सूचना के बाद इसकी जानकारी दो दिन पहले चुनाव आयोग को भेजी है। इन अफसरों के परिजन और रिश्तेदार कांग्रेस, भाजपा और विन्ध्य जनता पार्टी से प्रत्याशी हैं। चुनाव आयोग सूत्रों का कहना है कि भीकनगांव जिला खरगोन में पदस्थ एसडीओपी राकेश आर्य और खरगोन जिले में आजाक शाखा में पदस्थ डीएसपी वर्षा सोलंकी ने अपने रिश्तेदार के चुनाव लडऩे की जानकारी दी है। आर्य ने कहा है कि उनकी पत्नी वर्षा सोलंकी डीएसपी हैं। उनके भाई मोंटू सोलंकी बड़वानी जिले के सेंधवा में कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। वर्षा ने भी अपने भाई मोंटू के चुनाव लडऩे की जानकारी दी है।पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया झाबुआ से चुनाव लड़ रहे हैं। उनके भाई संदीप भूरिया डीएसपी हैं। संदीप ने भी अपने भाई के चुनाव लडऩे की जानकारी दी है लेकिन संदीप कहीं फील्ड की पोस्टिंग में नहीं हैं। वे पीएचक्यू में पदस्थ हैं। इसलिए उनके मामले में आयोग को जानकारी दी गई है।सिंगरौली जिले के अशोक सिंह परिहार मोरबा थाने में टीआई हैं। मोरबा थाना प्रभारी ने शासन को सूचना देकर बताया है कि उनकी पत्नी के भाई और उनके साले मनोज कुमार सिंह विन्ध्य जनता पार्टी से सिरमौर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं। इसी तरह नायब तहसीलदार मुलताई जिला बैतूल भगवानदास कुमरे ने चुनाव आयोग को बताया है कि जुन्नारदेव से भाजपा के प्रत्याशी नत्थन शाह कवरेती से उनके ससुर के बड़े भाई का रिश्ता है। अपने ससुर के भाई के चुनाव लडऩे के चलते कुमरे ने निर्वाचन से मुक्त होने को लेकर मार्गदर्शन भी मांगा है। हालांकि चुनाव आयोग ने अब तक इन सभी के मामले में किसी तरह के एक्शन के निर्देश जारी नहीं किए हैं।

इधर एक मामला ऐसा भी

इधर एक ऐसा भी मामला सामने आया जिसमें टीआई को हटा दिया गया। दरअसल खंडवा जिले की पंधाना विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी रूपाली बारे से जुड़ा है। खंडवा जिले के पिपलोद थाने में पदस्थ टीआई अनोखी सिंह सिंथिया को इसलिए स्थानांतरित होना पड़ा कि उनके भाई की साली उसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रही है।