प्राचीन परंपरा के विपरीत उज्जैन में रात रुकने के फैसले से सीएम ने दिया संदेश; ‘उज्जैन का बेटा हूं’

स्वतंत्र समय, उज्जैन

शानिवार को मोहन यादव अपने ग्रह नगर उज्जैन पहुँचे जहां पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उनका जमकर स्वागत किया जिसके बाद उनके लिए रोड शो का आयोजन किया गया था। मुख्यमंत्री के लिए 7 किलोमीटर लम्बा मेगा रोड शो निकला जिसमें 2000 हज़ार से भी अधिक मंचों पर उनका स्वागत किया गया था लेकिन मुख्यमंत्री के रोड शो से ज्यादा उनके एक फैसले ने शनिवार को सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरी। यादव ने शानिवार रात को अपने ग्रह जिलें उज्जैन में ही रात को विश्राम करने का फैसला लिया जिसनें सभी को चौंका दिया क्योंकि प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में किसी भी राजा, प्रदेश और देश के मुखिया का रात में कभी भी रूककर विश्राम नहीं करने की परंपरा बेहद ही प्राचीन है। इस परंपरा का पालन उज्जैन में राजा भोज के समय से ही किया जाता है और इस परंपरा की ये मान्यता है की कोई भी राजा या प्रदेश और देश का मुखिया यहां रात को रूककर विश्राम नहीं कर सकता है क्योंकि बाबा महाकाल ही हमेशा से यहां के राजा है। मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनते ही ये अटकलें लगाई जा रही थी की पद ग्रहण करने के बाद वें जब तक मुख्यमंत्री रहेंगे तब तक उनके ग्रह जिलें में रात को रुककर विश्राम नहीं कर पाएंगे लेकिन उन्होंने शानिवार रात को उज्जैन में रुकने का फैसला करके इन सभी अटकलों पर विराम लगा दिया है।

राजा नहीं बेटा बनकर आएं तो रुक सकते हैं

महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी और अखिल भारतीय पुजारी संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष पं. महेश पुजारी से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया की अगर मुख्यमंत्री मोहन यादव बाबा महाकाल को साक्षी मानकर उनके प्रतिनिधि के रूप में उज्जैन में निवास करते हैं और कुशा पर विश्राम करते हैं तो वे उज्जैन में रात गुजार सकते हैं। मोहन यादव बाबा महाकाल के भक्त हैं, और बाबा महाकाल ने ही उन्हें मुख्यमंत्री बनाया है, उनका जन्म उज्जैन में ही हुआ है। वे मुख्यमंत्री बनने के बाद भी अगर अपने घर मे रुकते हैं तो वह बाबा महाकाल का एक आसान अपने घर पर रखें। बाबा महाकाल को राजा के रूप में साक्षी मानकर उनके प्रतिनिधि के रूप में वहां निवास करें। साथ ही अगर वे चाहते हैं तो यह भी त्याग करें कि बाबा महाकाल के चरणों में कुशा पर विश्राम करें। जैसे भरत ने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की चरण पादुका रखकर रामराज्य किया था और वह भी कुशा के आसन पर विश्राम कर अपना राज्य चलाते थे। बस आसन कुशा का होना चाहिए, जिसके बाद वे यहां विश्राम कर सकते हैं। पुजारी ने ये भी बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जब उज्जैन में कैबिनेट का आयोजन उज्जैन में किया था, जिसमें उन्होंने बाबा महाकाल की तस्वीर रखकर उनकी अध्यक्षता में इस बैठक को किया और यह बताने की कोशिश की थी कि यहां के राजा बाबा महाकाल हैं और मैं उनका प्रतिनिधि हूं।

प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को देना पड़ा था इस्तीफा

ये पहला मौका नहीं होगा जब कोई प्रधानमंत्री या किसी प्रदेश का मुख्यमंत्री बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में रात को विश्राम करेंगे। मोहन यादव के पहले देश के पूर्व  प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा भी उज्जैन में विश्राम करने रुके थे लेकिन दोनों ही नेताओं के लिए रात में रुकना भारी पड़ गया। पूर्व पीएम मोरारजी देसाई को उज्जैन में रुकने के अगले ही दिन उनकी सरकार गिर गई थी और उन्हें इस्तीफा देना पड़ गया था और बीएस येदियुरप्पा को भी उज्जैन में रुकने के कुछ दिनों बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ गया था।