फर्जी प्रस्ताव बनाकर निकाल रहे शासकीय बजट

स्वतंत्र समय, शहडोल

जनपद पंचायत बुढ़ार की ग्रामपंचायतों का भ्रष्टाचार खुल कर सामने आने लगा है। पंचायतों के उपसरपंच और पंच अधिकारियों के समक्ष सरपंच और सचिव के कच्चे चि_े खोलने लगे हैं। पूर्व में कठकोना का मामला प्रकाश में आया था और इसके बाद हथगला का मामला चर्चा में आया है। बताया गया कि यहां बिना पंचायत की बैठक बुलाए और प्रस्ताव पारित किए बिना निर्माण कार्य हो रहे हैं और मटेरियल भुगतान में फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। हैरानी के बात यह है कि शिकायतों के बावजूद अधिकारी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।

मनमाने प्रस्ताव बन रहे

शिकायतों में बताया गया कि सरपंच व सचिव बिना प्रस्ताव अनुमोदन के ही मनमानी तौर पर निर्माण कार्य करा रहे हैं। जिसमें शासन का पैसा तो खर्च हेा रहा है लेकिन ग्रामीणों को लाभ नहीं मिल पा रहा है। सरपंच तथा सचिव ग्रामीणों की बात भी नहीं सुनते। निर्माण कर्यों का ढांचा खड़ा कर वे रकम आहरित कर लेते हैं। उसकी गुणवत्ता की ओर भी कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। पंचायतों के निर्माण कार्यों का अवलोकन और भौतिक सत्यापन करने की अधिकारी जरूरत नहीं समझते हैं।

मटेेरियल सप्लाई में गड़बड़ी

पंचायतों में जो मटेरियल सप्लाई की जा रही है उसमें भी गड़बड़ी की जा रही है। फर्जी वेण्डर संस्थाएं मटेरियल सप्लाई कर रहीं हैं। घटिया सामानों का कई गुना अधिक भुगतान वसूला जा रहा है। सरपंच व सचिव हर तरह से शासन को क्षति पहुंचा रहे हैं। पंचायतों की वेण्डर संस्थाओं की जांच नहीं की जाती है। एक बार किसी तरह संस्थाएं रजिस्टर्ड होने के बाद निरंतर चलती रहतीं हैं जबकि वाणिज्य कर विभाग द्वारा उन्हे पहले ही निरस्त कर दिया जाता है। पंजीयन निरस्त होने के बाद भी संस्थाएं पंचायतों में कार्य करती रहतीं हैं। इसका कारण यही है क्योंकि कभी जांच पड़ताल नहीं होती है।

ठेकेदारों का भी पता नहीं

पंचायतों में जो कार्य कराए जा रहे हैं उनमें वास्तविक ठेकेदार का पता नहीं चलता है। बताया जाता है कि अधिकंाश ठेेके किसी न किसी तरह सरपंच अथवा सचिव के ही होते हैं। वेण्डर संस्थाएं भी इन्ही के चहेतों की होती हैं। मिलजुल कर सभी सरकार को चूना लगा रहे हैं। जबकि अधिकारी भी अपना कमीशन लेकर आंख में पट्टी बांधे बैठे रहते हैं। यहां कार्य पूर्णता और सीसी आदि जारी करने का जैसे सिस्टम ही खतम हो गया है। कई कार्य आज भी वर्षों से अपूर्ण हैं उनकी पूर्णता के लिए प्रयास किए जाने की बजाय नए काम तलाश लिये जाते हैं।

रिश्तेदारों को कर रहे उपकृत

सरपंच व सचिव अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने सगे संबंधियों व परिजनों को नियमविरुद्ध लाभ दिला रहे हैं। जॉब कार्डों की अगर जांच की जाए तो मजदूरों के नाम में इन्हे के भाई भतीजे घुसे मिलेंगे। अन्य योजनाओं का लाभ भी इन्हे ही दिलाया जा रहा है। जबकि पंचायतों के दर्जनों पात्र हितग्राही आज तक भटक रहे हैं उन्हे कोई लाभ नहीं मिल रहा है। पंचायतों की अंधेरगर्दी अफसरों की शह से बढ़ रही है। शिकायत के बावजूद अफसर कार्रवाई नहीं करते हैं।