स्वतंत्र समय, इंदौर
इंदौर जिले में आने वाली देपालपुर विधानसभा का मिजाज इस बार हर बार की तरह नहीं है। हमेशा से यहां पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होता आया है लेकिन इस बार भाजपा से टिकट मांग रहे जबरेश्वर सेना के राजेन्द्र चौधरी के ताल ठोंकने से मुकाबले में यह तय हो गया है कि चौधरी जिसके वोट काटेंगे, उसका भविष्य धूमिल हो जाएगा। यह सीट अनूठी है, जिसमें दोनों प्रत्याशी विधायक रह चुके हैं तो दोनों के पिता भी इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। कांग्रेसी विधायक विशाल पटेल पहले अपने आप को सुरक्षित मान रहे थे लेकिन अब पूरा जोर लगा रहे हैं तो भाजपाई मनोज पटेल ने भी टिकट मिलने के बाद से ही प्रचार पर पूरा फोकस किया हुआ है। कई दिग्गजों की सीट रही बड़े गांव देपालपुर में इस बार मुकाबला नए गणित में दिलचस्प हो गया है।
यहां के मतदाताओं ने पिछले 30 सालों से भाजपा और कांग्रेस में से किसी को भी रिपीट नहीं किया है। मतलब हर पांच साल बाद यहां पर जीतने वाली पार्टी बदल गई है। देपालपुर सीट फिलहाल अभी कांग्रेस के पास है। 1980 से ही देपालपुर में यह एक बार भाजपा तो एक बार कांग्रेस के पास जाती रही है। हालांकि 1990 और 1993 में बीजेपी के निर्भयसिंह पटेल ने लगातार दो बार जीत हासिल की थी। 2003 और 2013 में मनोज पटेल चुने गए थे। इस बार किस तरह के रिजल्ट रहेंगे यह देखने लायक होगा। 30 साल से जारी यह परंपरा जारी रहती है या फिर टूट जाएगी।
टिकट नहीं मिला तो निर्दलीय
वैसे कांग्रेस इस सीट को इस बार सुरक्षित मानकर चल रही है। इस सीट पर लड़ रहे दोनों प्रत्याशियों के पिता विधायक रह चुके है। विशाल पटेल के पिता जगदीश पटेल एक बार और मनोज पटेल के पिता निर्भयसिंह पटेल कुल तीन बार विधायक रह चुके है। दोनों ही उम्मीदवार खुद इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। निर्दलीय चुनाव लड़ रहे राजेन्द्र चौधरी भाजपा से टिकट मांग रहे थे और मनोज पटेल के प्रत्याशी घोषित होने के बाद तक उनके समर्थक उन्हें टिकट देने के लिए धरना-प्रदर्शन करते रहे। अंतत: उन्होंने निर्दलीय चुनाव लडऩे का फैसला किया। यह फैसला किसके लिए घातक सिद्ध होगा, यह देखने लायक होगा।
बड़ा तालाब, फिर भी पानी की समस्या
देपालपुर में मुद्दों की बात करें तो हर बार यहां की जनता से चुनाव में पहले वादे तो किए जाते हैं, लेकिन चुनाव के बाद कोई भी जनप्रतिनिधि उन वादों पर खरा उतरता नजर नहीं आता। यही वजह है कि हर बार पार्टी बदल जाती है। बेरोजगारी, स्वास्थ्य और दूसरे बुनियादी मुद्दें इस बार भी हावी है। मूलभूत समस्याओं के साथ रोड कनेक्टिविटी बड़ी समस्या है। वहीं बेहतर शिक्षा व्यवस्था और बेहतर कॉलेज नहीं होने की समस्या भी है। युवा रोजगार की तलाश में इंदौर और आसपास के बड़े शहरों की ओर पलायन को मजबूर हैं। क्षेत्र में प्रदेश का सबसे बड़ा बनेडिया तालाब होने के बावजूद भी क्षेत्र पानी की किल्लत तो से दो चार हो रहा है। 1800 एकड़ में फैले जलाशय की गहराई 12 फीट से अब 6 फीट ही रह गई है, जिससे वाटर लेवल कम होने की समस्या भी सामने आई है।
कलौता और ठाकुर समाज निर्णायक
देपालपुर क्षेत्र वास्तव में गांवों की विधानसभा के रूप में प्रसिद्ध है। इस क्षेत्र में कुल 211 गांव आते है। यह भी फैक्ट है कि आज तक कोई भी उम्मीदवार चुनाव शुरू होने के बाद सभी गांवों तक नहीं पहुंच पाता है। इस कारण पहले से ही यहां पर संपर्क शुरू करने वाले को फायदा होता है। इस विधानसभा क्षेत्र में कलौता समाज, खाती, राजपूत और धाकड़ समाज का वोट निर्णायक होगा। इस त्रिकोणीय मुकाबले में रिजल्ट जो भी हो चुना पटेल ही जाएगा। इस बार राजेन्द्र चौधरी के वोट किसके लिए निर्णायक सिद्ध होते हैं, यह देखना होगा।
ठाकुर और मुस्लिम वोटर्स की भी भूमिका
इस ग्रामीण सीट की आबादी 4,30,092 है और कुल 2,53,412 मतदाता हैं। इनमें 1,24,310 महिला और 1,29,098 पुरुष हैं। सभी वर्गों के लोग यहां निवास करते हैं, लेकिन कलौता समाज के 72,000 वोटर यहां मौजूद हैं, जो हार-जीत तय करते हैं। ठाकुर (राजपूत) समाज और 28 हजार से 30 हजार के बीच मुस्लिम वोटर्स भी हार-जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यहां पर बड़े पैमाने पर किसानी पर निर्भरता शामिल है। इस विधानसभा सीट पर पार्टी के आधार पर मतदान होता है और किसी भी पार्टी का कोई गढ़ यहां नहीं है।
नौ हजार से हुई थी जीत
2018 के विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो भाजपा ने यहां से मनोज पटेल को अपना प्रत्याशी घोषित किया तो वहीं कांग्रेस ने विशाल पटेल को मैदान में उतारा। चुनाव में विशाल पटेल को 94,918 वोट मिले तो भाजपा के मनोज पटेल को 85,937 वोट मिले। चुनाव मैदान में कुल 12 उम्मीदवारों ने किस्मत आजमाई लेकिन मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही रहा। कांग्रेस के विशाल पटेल ने 9,044 मतों के अंतर से जीत हासिल की। 2018 के चुनाव में कुल 2,21,636 वोटर्स थे जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1,15,039 थी, जिसमें से कुल 1,86,262 (84।9त्न) ने मताधिकार का इस्तेमाल किया।
कौन-कौन हैं मैदान में?
- विशाल पटेल कांग्रेस
- मनोज पटेल भाजपा
- अरुण मिश्रा बसपा
- सोहन सोलंकी बहुजन मुक्ति पार्टी
- निर्दलीय जगदीश पंचरंगिया, मनोज पटेल, राहुल, राजेंद्र चौधरी, इंत्तेख्वाबआलम, इलियास अली, चेतन बैरागी, पंकज नेगी
इस सीट पर कब -कौन जीता?
- 1980 निर्भय सिंह पटेल भाजपा
- 1985 रामेश्वर पटेल कांग्रेस
- 1990 निर्भय सिंह पटेल भाजपा
- 1993 निर्भय सिंह पटेल भाजपा
- 1998 जगदीश पटेल कांग्रेस
- 2003 मनोज पटेल भाजपा
- 2008 सत्यनारायण पटेल कांग्रेस
- 2013 मनोज पटेल भाजपा
- 2018 विशाल पटेल कांग्रेस