बस स्टैंड पर सन्नाटा, ऑटो वालों की बल्ले-बल्ले

स्वतंत्र समय, शहडोल

मतदान दलों को उनके केन्द्रो तक पहुंचाने के लिए प्रशासन ने बस स्टैण्ड से चलने वाली सारी बसें अधिग्रहीत कर लीं हैं। जिससे बस स्टैण्ड में सन्नाटा छा गया है। यात्री आवाजाही के लिए परेशान हैं। दूसरी ओर आटो रिक्शा चालक इसका जमकर लाभ उठा रहे हैं। लोग मजबूरी में उन्हे मुंहमागा किराया दे रहेे हैं। प्रशासन बिना जनमानस की सुविधा का ध्यान दिए केवल अपने लिए व्यवस्थाएं करता है, जबकि यात्री सेवाओं के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था की जानी चाहिए थी। प्रशासन अपना काम निकालने के लिए केवल तुगलकी फरमान जारी करना जानता है उसे इस बात से लेना देना नहीं कि इसका जनसुविधा पर क्या असर पड़ेगा।

ढाई सौ बसें लगाई गई

बस स्टैण्ड के एक सूत्र ने बताया कि शहडोल बस स्टैण्ड से रोजाना करीब ढाई सौ बसों की आवाजाही होती है। यह सारी बसें विधानसभा चुनाव के लिए दो दिन पहले से खींच ली गईं थीं। इसलिए दो दिन से यहां सन्नाटा छाया हुआ है। बस मालिक मजबूरी में बसें शासकीय कार्य के लिए बसें देते हैं। क्योंकि काम तो दादागिरी के साथ लिया जाता है और फिर भुगतान में बजट का इंतजार कराया जाता है। यात्री को असुविधा होती ही है, अगर ऐसा भी हो कि जिस रूट पर चार बसें चलतीं हैं वहां दो बसें ही चलाई जाएं तो भी भीड़ तो होगी लेकिन परेशानी कम होगी। लेकिन सारी बसें ले ली जातीं हैं इसलिए समस्या खड़ी हो जाती है।

टैक्सी वालों की लूट जारी

इधर टैक्सी और आटो वालों की कमाई बढ़ गई है वे शहर की सवारियां छोडक़र गोहपारू, बुढ़ार, सिंहपुर, पाली की सवारियां ढ़ो रहे हैं। गोहपारू के लिए प्रति सवारी डेढ़ सौ रुपए, इतना ही बुढ़ार के लिए और सिंहपुर के लिए भी वसूल रहे हैं। वे हर सवारी से आने जाने का दोनो बार का किराया वसूल रहे हैं। बस स्टैण्ड व चैराहों में कोई भी आटो वाहनों की ओव्हरलोडिंग जांच करने वाला नहंीं है। जमकर आटो वाले कमा रहे हैं। पब्लिक हर स्थिति में लुटती है, जब तक हर रूट की बसें यथावत नहीं चलेंगी तब तक यही स्थिति रहेगी।

रेेल यातायात का साधन नहीं

गोहपारू, जैतपुर आदि के स्थान तो ऐसे हैं जहां रेल यातायत नहीं है केवल सडक़ मार्ग ही आवाजाही का एकमात्र साधन है। इसलिए यहां बसों की सर्वाधिक आवश्यकता रहती है। बसों के बिना केेवल निजी वाहन ही सुविधा दे सकते हैं। इसलिए आटो चालक मनमानी करते हैं। यहीं स्थिति गोहपारू से जयसिंहनगर की ओर है और बुढ़ार से अनूपपुर के लिए ऐसी ही स्थितियां हैं आटो वाले ग्रामीण अंचलों के लिए जमकर वसूली कर रहेे हैं।