बारना परियोजना के जिम्मेदार उदासीन, मुख्य नहर किनारे हुए कटाव, शिकायत के बाद भी नहीं सुधारे 

स्वतंत्र समय, बरेली

बाड़ी स्थित बारना बांध से निकली दो मुख्य नहरों से जुडी सेकडो कि.मी. में फैली नहरो, उप नहरों से एक लाख एकड़ से अधिक रकबे में सिंचाई होती है। नवम्बर माह समाप्त होने वाला है। अभी तक नहरों में बांध का पानी नहीं छोडा गया है। इसी के साथ नहरों की साफ सफाई मरम्मत सुधार कार्यो के प्रति भी बारना परियोजना के जिम्मेदार उदासीन बने हुए है। बायी मुख्य नहर में हरडोव, उंटिया के बीच नहर किनारे हुआ भारी मिट्टी का कटाव कभी भी मुख्य नहर फूटने, पानी की बर्बादी और हजारो किसानों की परेशानियों का कारण बन सकता है।

धंसकी नहर किनारे मिट्टी

बाड़ी से निकली बायी मुख्य नहर का कई किलो मीटर का हिस्सा उंचा और जमीन नीची है। यह स्थिति चैनपुर से भौडिय़ा के बीच अनेक स्थानों पर है। वर्षो पूर्व इसी बायी मुख्य नहर पर रमगढा, रिमसिली के पास बना नहर पुल पानी रिसाव के कारण धराशाही हो गया था। जिसकी मरम्मत और निर्माण में आनन फानन में बारना परियोजना द्वारा लाखो करोडो की राशि खर्च करना पडी थी। इस स्थान से आगे हरडोव, उंटिया ग्रामों के बीच उंची नहर के किनारे की मिट्टी भारी मात्रा में धसक और बह जाने से खतरनाक गड्डा हो गया है। ऐसी स्थिति मुख्य नहर के किनारे अनेक स्थानों पर बनती जा रही है। मिट्टी के भारी कटाव से बनी खतरनाक स्थिति के कारण नहर मार्ग पर हल्के दो पहिया वाहन ही निकल पा रहे है।

अधिकारियों को नहर टूटने का इंतजार

जानकारी के अनुसार 30 नवम्बर से बारना की नहरों में पानी छोडा जा सकता है। बायी मुख्य नहर के किनारे मिट्टी के कटाव और धसकने से बनी खतरनाक स्थिति में मुख्य नहर में पानी का दबाब बनते ही मुख्य नहर कभी भी टूटने की स्थिति बन सकती है। नहरों में पानी छोडऩे से पूर्व नहरों की सुरक्षा, साफ सफाई के प्रति बारना परियोजना के जिम्मेदारों की उदासीनता क्षैत्र के हजारो किसानों के लिए पलेवा सिंचाई में भारी नुकसान का कारण बन सकती है। बारना परियोजना में नहरों को पक्का करने सहित अन्य कार्यो पर करोडो की राशि खर्च होने में भारी आर्थिक अनिमित्ताओं का बोलवाला रहा। बायी मुख्य नहर के उक्त स्थान पर पानी छोडने से पूर्व तत्काल मरम्मत किए जाने की मांग किसानों द्वारा आवेदन देकर की गई, परंतु अधिकारी उदासीन रहे।

इनका कहना है

जिस प्रकार बायी मुख्य नहर के किनारे मिट्टी का भारी कटाव हुआ, खतरनाक गड्डा बन गया। मुख्य नहर में पानी का दबाव बढते ही उसके रिसाव बढने टूटने की संभावना है। किसानों की शिकायत पर लापरवाह अधिकारियों द्वारा कोई कार्यवाही मरम्मत नहीं की गई।

-भगवान सिंह राजपूत, पूर्व विधायक बरेली।