बिल देने या ऑनलाइन पेमेंट लेने से टैक्स की जिम्मेदारी से बच रहे व्यापारी

स्वतंत्र समय, सीधी

नगर सहित ग्रामीण अंचलों में दर्जनों व्यापारी प्रतिष्ठानों पर लोहे से बनी वस्तुओं और अन्य सामानों की बिक्री कर प्रतिदिन लाखो रुपयों का टर्न ओवर कर रहे हैं, लेकिन आशंका है कि जितना बड़ा व्यापार है। उतनी ही बड़ी टैक्स अनियमितता भी हो रही है। खरीदी-बिक्री के बीच नकद भुगतान को प्राथमिकता विभिन्न तरह ले टैक्स चोरी की आशंका की ओर इशारा कर रही है। विशेषज्ञ भी मानते है कि टैक्स चोरी तो हो रही है, लेकिन कार्रवाई करना आसान नहीं है।

नकद व्यापार को तवज्जो

जिले में 500 से अधिक दुकानदार हैं। खास बात है कि दिनभर के व्यापार में ना तो बिलों का आदान-प्रदान किया जाता है और ना ही ऑनलाइन ट्रांजेक्शन को तव्वजो देते हैं। छोटे से लेकर बड़े व्यापारी लेन-देन के जरिए ही व्यापार करना चाहते है। बहुत कम अवसर होते हैं, जब व्यापारी बिल ग्राहक को देता है। नकद खरीदी और बिक्री किसी भी रूप में टैक्स इनकम के रूप में दर्ज नहीं होती है और इस तरह प्रतिदिन बड़ी टैक्स चोरी की आशंका है।

जीएसटी और इनकम टैक्स में अनियमितता की चर्चा

विभिन्न क्षेत्र के व्यापारियों और खासकर लोहे से बनी वस्तुओं के रसूखदार व्यापारी जीएसटी सहित इनकम टैक्स चोरी के मामले में संदिग्ध बताए जाते हैं। ग्राहक बिल इसलिए नहीं लेते है, क्योंकि उन्हें लगता है कि यदि बिल नहीं लेंगे तो सामान सस्ता आएगा। इसी का फायदा व्यापारी उठाते हैं और बेचे गए माल का बिल काउंट नहीं करते हैं। जितनी बिक्री दिनभर में होती है उसमें से मामूली राशि खातों में बताते है। बाकी जीरो व्यापार की भेंट चढ़ रहा है।जिले में 300 से अधिक व्यापारी या तो सीधे तौर पर बड़े टर्नओवर वाले व्यापार से जुड़े हैं या मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में टैक्स चोरी का बड़ा खेल चल रहा है।

बाजार में व्यापारी चलाते हैं दो रेट

जानकारों का कहना है कि हार्डवेयर व्यापारी अपने दुकानों से बिकने वाले माल के मामले में ग्राहकों को दो तरह के दाम बताते है। यदि बिल लेना है, तो अलग दाम और यदि बिल नहीं लेना तो अलग दाम दिए जा रहे हैं। बिल लेने वाले ग्राहकों से बकायदा जीएसटी और अन्य टैक्स देने के लिए कहा जाता है। हालांकि अधिकांश व्यापार बिना बिल में होता है। कई बार व्यापारी पूरे कागज पर माल की कीमत लिखकर दे देते हैं।

हर व्यापार में टैक्स चोरी

नियमानुसार 200 रुपए की खरीदी पर पक्का बिल दिया जाना अनिवार्य है, लेकिन जिले के किराना, कपड़ा, बर्तन, लोहा और हार्डवेयर, खाद बीज, आभूषणों, दवाई, इलेक्ट्रॉनिक आदि की दुकानों पर ग्राहक बिल मांगे या ना मांगे पर दुकानदार को बिल दिया जाना चाहिए, लेकिन पक्का बिल मांगे जाने पर नित नए बहाने के साथ कच्चा बिल दिया जाता है। पिछले माह शादी-ब्याह के सीजन में करोड़ों रुपयों का फर्नीचर, बर्तन, कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक सामान, आभूषण आदि खरीदी पर या तो मौखिक हिसाब बनाकर पैसा ले लिया जाता है या फिर साधारण फिर बंदी पर बिल बनाकर दे दिया जाता है जिससे शासन के साथ लाखों रुपए की कर चोरी की आशंका है।