पवन जैन, अशोकनगर
यूं तो अशोकनगर जिला बनने के बाद से ही माफिया के शिकंजे में जकड़ गया था और यहां लगातार भूमाफिया ( land mafia ), राशन माफिया, खनिज माफिया व खाद माफिया राजनीतिक संरक्षण के बलबूते प्रशासन को अपनी उंगलियों पर नचा रहे हैं लेकिन अभी हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान यह मामला काफी गरमाया और आम जनता ने मुखर होकर ज्योतिरादित्य सिंधिया के समक्ष अपना दुख बयां किया तो सिंधिया भी हक्के-बक्के रह गए।
land mafia को ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दी थी चेतावनी
अधिकांश लोगों ने भूमाफिया ( land mafia ) की गुंडागर्दी और आतंक से तंग आकर सिंधिया पर भी विश्वास जताने से इनकार कर दिया और चुनाव के दौरान ही भूमाफिया ने भाजपा के वरिष्ठ नेता अमरजीत सिंह छाबड़ा पर जानलेवा हमला कर दिया। सिंधिया ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तुरंत ही भू माफिया व उसके साथियों को जेल भेजने का काम किया तथा प्रशासन को हिदायत दी कि अब यह पुनरावृत्ति न हो। प्रशासन ने भी सिंधिया की हिदायत को मानते हुए 6 मई 2024 को जाहिर सूचना के माध्यम से आम जन को सूचित किया कि भू-माफियाओं द्वारा जिन व्यक्तियों की निजी भूमि पर शासकीय भूमि पर अवैध कब्जा किया जा रहा है या शासकीय भूमि को खुर्द किया जा रहा है तो वह एसडीएम कार्यालय में स्वयं उपस्थित होकर मय दस्तावेज के 27 मई तक आवेदन प्रस्तुत करें। इसी तर्ज पर मुंगावली व चंदेरी में भी आमजन से आवेदन लिए गए। हालातों को देखते हुए सिंधिया ने अपनी चुनावी सभाओं और सामाजिक मीटिंगों में स्पष्ट कहा कि रिजल्ट आने के बाद माफियाओं को किसी भी कीमत पर बख्सा नहीं जाएगा। जनता ने सिंधिया की बात पर यकीन करते हुए उन्हें रिकार्ड मतों से विजय बनाया और विश्वास व्यक्त किया कि वह चुनाव जीतकर अपना वादा अवश्य पूरा करेंगे और सिंधिया ने भी चुनाव जीतने के बाद अपनी धन्यवाद सभा में कहा कि मेरी पहली प्राथमिकता क्षेत्र से सारे भूमाफियाओं का निपटारा करना है इस क्षेत्र में अब न भूमाफिया रहेगा न राशन माफिया रहेगा और न ही खाद माफिया रहेगा एक-एक माफिया के पीछे आपका चौकीदार भागेगा और उन्हें इस क्षेत्र से बाहर निकलेगा। जनता को लगने लगा कि अब वह अपनी निजी जमीन को भूमाफियाओं के चंगुल से मुक्त करवा पाएंगे तथा शासकीय भूमि भी अतिक्रमण से मुक्त होगी लेकिन एक माह से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी प्रशासन ने प्राप्त आवेदनों पर कोई कार्रवाई नहीं की जिससे अब जनता का विश्वास डिगने लगा है। आवेदनों पर कार्यवाही न करना पड़े इसलिए तीनों एसडीएम एक साथ छुट्टी पर चले गए थे और जैसे ही छुट्टी खत्म कर आए तो तहसीलदार छुट्टी पर जाने लगे प्रशासनिक अधिकारियों के इस कृत्य से स्पष्ट हो जाता है कि वह सिंधिया को मात्र चौकीदार समझ रहे हैं जबकि सिंधिया इस क्षेत्र के चौकीदार न होकर मुखिया की हैसियत से इस क्षेत्र की जनता के रखवाले हैं। वह प्रशासन की इस चाल को कामयाब नहीं होने देंगे और शीघ्र ही भूमाफियाओं के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए प्रशासन को बाध्य करेंगे।
जनता को ऐसा विश्वास है अब देखना यह है कि जनता का विश्वास कायम रहता है या प्रशासन अपनी चाल में कामयाब होता है। हालांकि चुनाव का रिजल्ट आए हुए लगभग एक माह बीत गया इस दौरान प्रशासन की गतिविधियां देखकर लगता नहीं है कि भू माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी क्योंकि देखने में आ रहा है कि सिंधिया के खौफ से बेखौफ भूमाफिया पुन: सक्रिय होने लगे हैं। अभी पिछले दिनों ग्राम मलखेड़ी में एक भू माफिया प्रशासन की मदद से जेसीबी लेकर कुछ लोगों के प्लाटों पर कब्जा करने पहुंच गया और मौके पर झगड़े की स्थिति निर्मित हो गई पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में प्लाट मालिकों ने इक_ा होकर पथराव शुरू कर दिया। मौके की गंभीरता को देखकर पुलिस ने जेसीबी को मौके से हटवा दिया और कलेक्टर ने तुरंत सीमांकन की कार्रवाई रोककर विवादित भूमि पर स्टे देकर यथा स्थिति बनाए रखने के आदेश दिए। देखने में आया है कि पहली बार सीमांकन के समय जेसीबी मशीन का उपयोग किया गया जबकि आरआई पटवारी सीमांकन के दौरान मात्र सीमा चिन्ह लगवाते हैं न कि मौके पर जेसीबी ले जाकर कब्जा हटवाते हैं। ऐसा ही एक मामला ग्राम शंकरपुर मगरदा में देखने को मिला है जहां एक आदिवासी की निजी भूमि पर कुछ माफियाओं ने जबरन अवैध कब्जा कर लिया आदिवासी कमलाबाई ने एसडीम सहित सिटी कोतवाली में शिकायत की है इसी तरह शासकीय स्कूलों की जमीनों पर भी अवैध कब्जा होने की लगातार शिकायत प्राप्त हो रही हैं इन हालातों को देखते हुए चंदेरी विधायक जगन्नाथ सिंह रघुवंशी ने विधानसभा में भी यह मामला उठाया है। इतना सब कुछ होते देख भी प्रशासन भूमाफियाओं के खिलाफ कार्यवाही से बच रहा है।
नाले पर से नहीं हटाया जा रहा भूमाफिया का अतिक्रमण
श्रीकृष्ण संस्थान के सामने स्थित नाले की शासकीय भूमि जिसका सर्वे नंबर 548/2 है पर एक भूमाफिया ने कब्जा कर रखा है। इस मामले में एसडीएम अनिल बनवारिया द्वारा तहसीलदार को जांच कर प्रतिवेदन देने के लिए पत्र लिखा गया था। इस संबंध में तहसीलदार शालिनी भार्गव ने बताया कि उन्होंने जांच प्रतिवेदन एसडीएम को भिजवा दिया है जबकि एसडीएम अनिल बनवारिया ने बताया कि जांच प्रतिवेदन उनके पास नहीं आया है। यही कारण है कि भूमाफिया का शासकीय भूमि से कब्जा हटने की कार्यवाही अधर में लटकी हुई है।