स्वतंत्र समय, धार
विधानसभा चुनावों में टिकट पाने की जंग बढ़ती जा रही है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों ने उन सुरक्षित सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए है, जहां पर प्रत्याशियों के नाम सिंगल थे। खिंचतान नहीं होने के कारण कांग्रेस अब तक जिले की चार विधानसभा सीटों से प्रत्याशी फाइनल कर चुकी है। जबकि भाजपा ने भी अब तक चार प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। लेकिन दोनों ही पार्टी के लिए धार विधानसभा से टिकट फाइनल करना चुनौती बनता जा रहा है। इतना ही नहीं मनावर, सरदारपुर और बदनावर को लेकर भी खिंचतान की स्थिति देखने को मिल रही है।
भाजपा की अब तक चार सूची आ चुकी है, लेकिन इनमें धार विधानसभा से प्रत्याशी की घोषणा नहीं हुई है। जबकि यह सीट बीते पंद्रह साल यानी तीन चुनावों से भाजपा के पास रही है। इस बार धार विधानसभा से भाजपा के टिकट पर वर्तमान विधायक नीना विक्रम वर्मा प्रमुख दावेदार के रूप में चौथी बार टिकट की दावेदारी कर रही हैं। जबकि पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष राजीव यादव ने इस बार अपनी मजबूत दावेदारी संगठन के सामने पेश की है। इस कारण धार का टिकट अब तक भाजपा घोषित नहीं कर पाई है। अनुभव और कुशल नेतृत्व के साथ बेदाग छवि के नेता रहे विक्रम वर्मा धार से चार बार विधायक रहे है, जबकि उनकी पत्नी नीना वर्मा तीन बार से विधायक है। इस कारण टिकट के बदलाव की मांग उठाते हुए पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष राजीव यादव टिकट मांग रहे है। इस खिंचतान में धार विधानसभा का टिकट फंसा हुआ है। आचार संहिता से पहले धार से पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर को भी टिकट मिलने की सूची वायरल हुई थी, जो फर्जी साबित हुई थी। इस सूची के आने के बाद शराब सिंडीकेट धार से उन्हें चुनाव लड़वाने के लिए जरूर सक्रिय हुआ था, लेकिन अब मामला ठंडेबस्ते में चला गया।
कांग्रेस में टिकट पाने की जंग
धार विधानसभा से जहां भाजपा की मुश्किल कम नहीं है, वहीं कांग्रेस भी इससे अछूती नहीं रही है। धार से टिकट फाइनल करना कांग्रेस के लिए भी आसान नहीं है। प्रदेश कांग्रेस सचिव कुलदीप बुंदेला का नाम टिकट की रेस में कुछ माह पहले तक सबसे आगे था। लेकिन भंवरसिंह शेखावत के कांग्रेस में आने के बाद अब धार विधानसभा से जिला पंचायत सदस्य मनोज गौतम टिकट के प्रमुख दावेदार माने जा रहे है। जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुके मनोज गौतम को टिकट की रेस में सबसे आगे बताया जा रहा है। हालांकि धार विधानसभा से टिकट की घोषणा होने की संभावना ऐनवक्त में ही संभव होती दिख रही है। इसके पहले यदि टिकट फाइनल होने की स्थिति में भीतरघात की भी स्थिति बन सकती है। ऐसे में कांग्रेस आलाकमान इस सीट को होल्ड कर चुका है।
इन सीटों पर भी राजनीतिक उठापटक
बदनावर : धार विधानसभा के अलावा जिले की बदनावर और मनावर भी हाईप्रोफाइल सीटों में आती है। बदनावर से भाजपा उद्योग मंत्री राजवर्धन दत्तीगांव को टिकट दे चुकी है। जबकि कांग्रेस से पूर्व विधायक भंवरसिंह शेखावत के चुनाव लडऩे की प्रबल संभावना है। हालांकि टिकट की घोषणा अभी कांग्रेस ने नहीं की है। शेखावत और दत्तीगांव पुराने प्रतिद्वंदी रहे है, इसलिए कांग्रेस यहां से शेखावत को इस बार टिकट दे सकती है। टिकट फाइनल होने के पहले से ही पूर्व विधायक शेखावत और उनकी टीम बदनावर में काफी सक्रिय है। साथ ही पूर्व विधायक बालमुकुंद गौतम की भी टीम शेखावत के साथ काम करती नजर आ रही है। इससे बदनावर में इस बार मुकाबला काफी रोचक होने की संभावना है।
मनावर : मनावर विधानसभा से भाजपा और कांग्रेस दोनों ही प्रत्याशी फाइनल कर पाई है। भाजपा की कद्दावर आदिवासी नेता रंजना बघेल मनावर से टिकट मांग रही है। पार्टी भी रिस्क नहीं लेते हुए रंजना बघेल को मैदान में उतार सकती है। टिकट के बाद विरोध और भीतरघात के डर से देरी होने की बात सामने आई है। वहीं मनावर में कांग्रेस काफी ज्यादा मुश्किल में है। कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनाव में यह सीट जय आदिवासी युवा संगठन यानी जयस को दे दी थी। जयस संरक्षक हीरालाल अलावा यहां से जीते थे। इस बार कांग्रेस के राधेश्याम मुवेल टिकट की दावेदारी कर रहे है। इस कारण कांग्रेस का टिकट खटाई में पड़ा हुआ है। साथ ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं का बड़ा धड़ा भी जयस संरक्षक अलावा का विरोध कर रहा है। ऐसे में इन सीटों से प्रत्याशियों की घोषणा दोनों ही पार्टियों के लिए आसान होता नहीं दिख रहा है।