भाजपा-कांग्रेस प्रत्याशी लगा रहे हर दांव, निर्दलीय भी पीछे नहीं

 राजेन्द्र नागर , सीहोर

मुख्यमंत्री के गृह जिले की सीहोर विधानसभा सीट पर इस बार कांग्रेस और भाजपा में कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है। दोनों ही प्रमुख दलों ने अपने-अपने प्रत्याशी घोषित कर दिये हैं तो वहीं बहुजन समाज पार्टी सहित कुछ अन्य दलों के साथ ही निर्दलीय प्रत्याशी भी चुनावी अखाड़े में खम ठोक रहे हैं। जहाँ सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की बात करे तो भाजपा ने जहाँ वर्तमान विधायक सुदेश राय पर ही भरोसा जताया है तो वहीं विपक्षीय कांग्रेस पार्टी ने पूर्व विधायक रमेश सक्सेना के पुत्र जिला पंचायत सदस्य शशांक सक्सेना पर दाव खेला है। वहीं अगर अन्य दलों की बात करें तो बहुजन समाज पार्टी ने वन विभाग की सेवा से त्याग पत्र देकर राजनिति में उतरे कमलेश दोहरे को टिकिट दिया है तो वहीं डॉ. अकरम खान निर्दलीय तौर पर चुनाव में अपनी मजबूत व प्रभावी उपस्थिति दिखा रहे हैं। वहीं अगर बात समाज वादी पार्टी की की जाय तो इस सीट से समाजवादी पार्टी महिला प्रत्याशी को उतारने की जुगत में हैं, जिसमें पार्टी की जिलाध्यक्ष इंदिरा भील का नाम सबसे आगे बताया जा रहा है। वहीं आम आदमी पार्टी भी इस सीट से किसी मजबूत प्रत्याशी की तलाश में हैं। इन सबके बीच लोगों में चर्चा का विषय बने गौरव सन्नी महाजन के रूख पर सभी लेागों की निगाह बनी हुई है क्योंकि भाजपा द्वारा टिकिट नही दिये जाने से वो पार्टी से नाराज चल रहे हैं और उनके निर्दलीय चुनाव लडऩे की चर्चा चौक चौराहों पर लगातार बनी हुई है। वहीं भाजपा में वरिष्ठ नेता पूर्व नपाध्यक्ष व पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जसपाल सिंह अरोरा को भी टिकिट नही मिलने पर उनके रूख क्या होगा इसका सभी को बेसब्री से इंतजार है। वहीं कांग्रेस पार्टी में भी टिकिट की घोषणा होने के बाद कुछ वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं में टिकिट ना मिलने से निराशा देखी जा रही है। इस सीट से कांग्रेस पार्टी से आखरी बार शंकरलाल साबू सन 1985 में विधायक रहे थे, उसके बाद यहाँ से कांग्रेस पार्टी का विधायक नही बन सका है। इस सीट से 1980 में मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा भी चुनाव जीते थे।

इस बार रोचक रहेगा मुकाबला

भोजपुर सीट से भी चुनाव जीते थे और उन्होने भोजपुर सीट को बरकरार रखते हुए सीहोर सीट से इस्तिफा दे दिया था। सन 1990 में भाजपा से मदनलाल त्यागी, 1993 में निर्दलीय रमेश सक्सेना, 1998, 2003 व 2008 में भाजपा से रमेश सक्सेना, 2013 में निर्दलीय सुदेश राय व 2018 में भाजपा प्रत्याशी के रूप में सुदेश राय को जीता कर विधानसभा पहुंचाया है। बीते आठ चुनाव में एक बार कांग्रेस दो बार निर्दलीय तथा पाँच बार भाजपा प्रत्याशियों पर जनता भरोसा जाताया है, समीकरण को देखते हुए इस बार विधानसभा चुनाव रोचक बना हुआ है, यह स्पष्ट रूप से अनुमान लगाना मुश्किल है कि ऊँट किस करवंट बैठेगा।