भाजपा का सबसे बड़ा लक्ष्य है 28 बचाना 29वीं लाना, लोकसभा चुनाव 2024 में होगा प्रदेश की 29 सीटों का संघर्ष

विपिन नीमा, इंदौर

  1. मुख्यमंत्री मोहन यादव और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी होंगे आमने सामने
  2. अगले 100 दिन सिर्फ चुनाव पर रहेगा फोकस
  3. प्रदेश में कुल 29 सीट – भाजपा के पास 28 और कांग्रेस के पास है सिर्फ 1 सीट
  4. दिग्गजों को साथ लेकर करना होगा  काम 
  5. खेमेबाजी,  गुटबाजी, नाराजगी दूर करना

नई टीम बनने के साथ ही मप्र के नए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने अपनी पारी की शुरूआत कर दी है। उधर प्रदेश कांग्रेस के नए अध्यक्ष जीतू पटवारी ने भी पार्टी को मजबूत करने के लिए लोकसभा चुनाव की कमान संभाल ली है। इस बार लोकसभा चुनाव में दोनों युवाओं के बीच जोरदार मुकाबला देखने को मिलेगा। सीएम मोहन यादव ने अपनी टीम में अधिकांश नए विधायकों को रखा है जबकि जीतू पटवारी भी अपनी नई युवा टीम बनाने में जुटे हुए है। प्रदेश की 29 लोकसभा सीट में से कौन कितनी सीट अपनी पार्टी को दिला सकेगा दोनों के लिए अग्नि परीक्षा है। पिछले लोकसभा चुनाव में 29 में से  28 सीटे भाजपा के पास है जबकि एकमात्र सीट पर कांग्रेस का कब्जा है।

सीएम को मिला सभी 29 सीट दिलाने का टास्क

पार्टी हाईकमान यानी मोदी, शाह और नड्डा ने उज्जैन के डॉ मोहन यादव को मप्र का मुख्यमंत्री इतनी आसानी से नहीं बनाया है। इसके पीछे कई कहानियां बताई जा रही है। इन तमाम कहानियों में एक कहानी यह भी है की हाईकमान ने उन्हें प्रदेश की सभी 29 सीटे भाजपा को दिलाने का बड़ा टॉस्क दिया है। हालांकि वर्तमा ने भााजपा के पास 29 में से 28 सीटें है। विधानसभा चुनाव में भाजपा को भले ही ऐतिहासिक जीत मिली हो, लेकिन जिस तरह से पार्टी हाईकमान ने मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया है उसको देखते हुए पार्टी के भीतर ही भीतर मनमुटाव व खींचतान की खबरें निकल कर आ रही है। पार्टी में मुख्यमंत्री के कई दावेदार थे , लेकिन  ऐन वक्त पर हाईकमान ने नया नाम लाकर सारे दावेदारों, सीनियर विधायकों, और पदाधिकारियों के होश ही नहीं उड़ाए हो बल्कि सभी को निराश भी किया। पार्टी के लिए यह सबसे बड़ी बाधा है जो लोकसभा चुनाव के लिए परेशानी बन सकती है। डॉ मोहन यादव के लिए अग्नि परीक्षा इसलिए मानी जा रही है की अगर प्रदेश में पार्टी की 28 सीटों से कम भी हो गई तो सीएम को हाईकमान को जवाब देना मुश्किल पड़ जाएंगा।

हर वर्ग के वोटरों को साधने के लिए मंत्रियों को दी जिम्मेदारियां

क्षेत्रीय और जातीगत समीकरण को ध्यान में रखकर डॉ मोहन यादव के मंत्रीमंडल का गठन किया गया है। अब सभी का फोकस लोकसभा चुनाव पर है। पार्टी हाईकमान की गाइड लाइन के आधार पर मुख्यमंत्री और मंत्रियों को काम करना है। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर किस मंत्री की चुनाव में कैसी भूमिका होगी, क्या क्या नफा नुकसान हो सकता है, नाराजों को मनाने, गुटबाजी खत्म करने जैसे मुद्दों पार्टी को काम करना है। ये सारे बिंदु मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अपने मंत्रियों क अवगत करा दिए है। बताया गया है की ओबीसी सीटों पर वोटरों को साधने की जिम्मेदारी 13 मंत्रियों को दी गई है जो ओबीसी से आते है। इसमें सीएम भी शामिल है। इसी प्रकार सामान्य वर्ग के मतदाताओं को साधने की जिम्मेदारी 8 मंत्रियों के पास है। जबकि एससी और एसटी वर्ग के मतदाताओं की जिम्मेदारी 11 मंत्रियों को दी गई है। देखना यह है की वे किस तरह से इन पर फोकस करते है।

28 सीट बचाने के लिए भाजपा को हर सीट पर दिखानी होगी ताकत

लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ी जिम्मेदारी नए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के पास है। उन्हें अपनी टीम के साथ ऐसा काम करके दिखाना है ताकि भाजपा की  जीती हुई 28 सीटें सुरक्षित रहे। डॉ यादव को हर सीट पर काम करना पड़ेगा। इसके लिए   सबसे पहले उन्हें पार्टी में फैली खेमेबाजी, गुटबाजी और नाराजगी दूर करना पड़ेगी। हाल ही  में हुए विधानसभा चुनाव में भले ही लाडली और मोदी लहर में भाजपा को ऐतिहासिक जीत मिली हो , लेकिन कांग्रेस ने जिस दमदारी के साथ चुनाव लड़ा था उससे भाजपा में हडक़ंप मचा हुआ था। लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस उसी तर्ज फिर से भाजपा को चुनौती देगी। प्रदेश कांग्रेस के नए अध्यक्ष जीतू पटवारी युवाओं को साथ लेकर मैदान में उतर चुके है, वही मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को शिवराज सिंह चौहान, केलाश विजयवर्गीय, प्रह्लाद पटेल जैसे दिग्गज नेताओं  का सहारा लेना पड़ेगा।

राहुल के विश्वास पर खरा उतरने के लिए पटवारी उतरे मैदान में

विधानसभा चुनाव में करारी हार का सामना करने वाली कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के लिए लोकसभा चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है की राहुल गांधी ने जीतू पटवारी पर भरोसा करके प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी है। राहुल गांधी को विश्वास है की आगामी लोकसभा चुनाव में पटवारी कुछ करिश्मा करके दिखा सकते है। भारत जोड़ो यात्रा के समय से ही जीतू पटवारी, राहुल गांधी के साथ है और वे जीतू पटवारी की कार्यक्षमता को अच्छी तरह से जानते है। इस कारण कमलनाथ को हटाकर उन्हें प्रदेश कांग्रेस की बागडोर सौंपी है। वर्तमान में प्रदेश में कांग्रेस के पास एकमात्र लोकसभा सीट है। अगर लोकसभा चुनाव में पटवारी ने कांग्रेस को 10 से 15 सीट भी दिलवा दी तो यह उनकी सबसे बड़ी उपलब्धी होगी। राहुल गांधी के विश्वास पर खरा उतरने के लिए उन्होंने अभी से ही लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी है। वे बैठक भी ले रहे है और कार्यकतार्ओं से मिल भी रहे है।