भाजपा के लिए संघ तो कांग्रेस के लिए कमलनाथ-दिग्विजय कर रहे डैमेज कंट्रोल

 स्वतंत्र समय, भोपाल

मप्र में होने जा रहे विधानसभा चुनाव को लेकर नामांकन वापसी की आखिरी तिथि निकलने के बावजूद दोनों पार्टियों में अंदरखाने का असंतोष अब भी बड़ी चुनौती बना हुआ है, जो बागी प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतर गए, अब उनके समर्थक पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को पार्टी के पक्ष में मोडऩे की चुनौती बनी हुई है। इसको लेकर जहां भाजपा की तरफ से संघ प्रचारकों ने मैदान संभाल रखा है, तो वहीं कांग्रेस की ओर से कमलाथ-दिग्विजय ङ्क्षसह की जोड़ी डैमेज कंट्रोल में जुटी हुई है।

कांग्रेस की कोशिश है कि प्रत्याशी भले अपना पर्चा वापस नहीं ले पाए उनको एक बार जिलाध्यक्षों के जरिये मैसेज भेजा गया है, कि वे कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में सलेंडर होकर कांग्रेस प्रत्याशी का प्रचार करें और जनता को बताएं कि वे समय की कमी या किसी वजह से पर्चा वापस नहीं कर पाए, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी के साथ हैं। अगर बागी ऐसा करने को तैयार हुए तो उन्हें माफ कर दिया जाएगा, अगर नहीं माने तो उन्हें पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से बर्खास्त कर बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। अब तक दोनों ही दलों ने बागियों और पार्टी के विरोध में प्रचार करने वाले पदाधिकारियों व प्रत्याशियों में से अनेक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। भाजपा ने अपने 35 बागियों को पार्टी से बाहर निकाला है, तो वहीं कांग्रेस ने 39 बागियों पर कार्रवाई की है। जिलाध्यक्षों की रिपोर्ट आने के बाद दोनों ही दलों की दूसरे चरण की कार्रवाई भी जल्द देखने को मिलेगी। दूसरी सूची में भी सैकड़ों कार्यकर्ता निष्कासित या बर्खास्त करेंगे।

मुरैना-सुमावली में त्रिकोणी होगी लड़ाई

मुरैना विधानसभा सीट परे भाजपा ने सिंधिया समर्थक रघुराज सिंह कंसाना को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने दिनेश गुर्जर को टिकट दिया है। जबकि बसपा से पूर्व मंत्री रूस्तम सिंह के बेट राकेश सिंह ताल ठोक रहे हैं। जो कि भाजपा से नाराज होकर बसपा में शामिल हुए हैं। इस सीट पर बसपा ने मुकाबले को त्रिकोणी बना दिया है। इसी तरह से मुरैना की सुमावली सीट पर भाजपा ने ऐंदल सिंह कंसाना को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने पहले यहां कुलदीप सिंह सिकरवार को उम्मीदवार बनाया था। बाद में कांग्रेस ने अजब सिंह कुशवाह को उम्मीदवार घोषित कर दिया। टिकट कटने से नाराज कुलदीप सिंह बतौर बसपा उम्मीदवार चुनाव मैदान में आ डटे हैं। कुलदीप ने यहां मुकाबले का त्रिकोणीय बना दिया है।

गोटेगांव में एनपी के लिए है चुनौती

नरसिंहपुर जिले की गोटेगांव सीट पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं कांग्रेस उम्मीदवार एनपी प्रजापति की प्रतिष्ठा दांव पर है। यहां भाजपा ने महेंद्र नागेश को टिकट दिया है। कांग्रेस ने पहले यहां पूर्व विधायक शेखर चौधरी को उम्मीदवार बनाया था। लेकिन टिकट बदलने पर शेखर बागी होकर निर्दलीय चुनाव में कूद गए हैं। शेखर के मैदान में आने से गोटेगांव में मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।

सिंगरौली में रानी ने रोचक बनाया मुकाबला

सिंगरौली सीट पर भाजपा ने रामनिवास शाह को मैदान में उतारा है। जबकि  कांग्रेस ने रेनु शाह को टिकट दिया है। इस सीट पर आप ने महापौर रानी अग्रवाल को मैदान में उतारकर चुनावी मुकाबले को त्रिकोणी बना दिया है। इसके साथ आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने इस सीट को अपनी प्रतिष्ठा का विषय बनाया लिया है।

नागौद में यादवेंद्र बिगाड़ सकते हैं भाजपा का खेल

नागौद में भाजपा ने मौजूदा विधायक नागेंद्र सिंह को मैदान में उतारा है। जबकि कांग्रेस ने डॉ. रश्मि सिंह पटेल को टिकट दिया है। कांग्रेस से टिकट कटने से नाराज होकर बतौर बसपा उम्मीदवार मैदान में उतरे पूर्व विधायक यादवेंद्र सिंह ने यहां मुकाबले का त्रिकोणीय बना दिया है।

सीधी में केदार बिगाड़ सकते हैं खेल

पेशाब कांड से चर्चा में आई इसी सीट पर भाजपा ने सांसद रीति पाठक को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने ज्ञान सिंह को उम्मीदवार बनाया है। यहां भाजपा से टिकट कटने से नाराज होकर बतौर निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में कूदे विधायक केदारनाथ शुक्ला ने चुनावी मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है।

निवास में गोंगपा ने मुकाबला त्रिकोणी बनाया

इस आदिवासी सीट पर भाजपा ने केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते पर दांव लगाया है। जबकि कांग्रेस ने यहां चैन सिंह वरकड़े को टिकट दिया है। इस सीट पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने देवेंद्र मरावी को मैदान में उतार कर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है।