भूमाफिया की 3 कॉलोनियों के पीड़ितों की फाइनल सुनवाई 31 जनवरी को

स्वतंत्र समय, इंदौर

इंदौर हाईकोर्ट बेंच में  कालिंदी गोल्ड, सैटेलाइट हिल्स और फीनिक्स टाउनशिप के पीडि़तों और भूमाफिया चंपू, नीलेश अजमेरा समेत आधा दर्जन आरोपियों को लेकर जारी फाइनल सुनवाई 31 जनवरी से शुरू होगी। बताया जा रहा है कि सबसे पहले सुनवाई फीनिक्स टाउनशिप के पीडि़तों की होगी। इन कॉलोनियों को लेकर हाईकोर्ट के जस्टिस ईश्वर सिंह कमेटी की रिपोर्ट पहले ही पेश की जा चुकी है। हाईकोर्ट में सुनवाई करीब एक साल से ज्यादा समय से चल रही है और मामला सेटलमेंट पर आकर उलझ रहा है। इधर आरोपियों ने भी जमानत ले रखी है। दूसरी ओर हाई कोर्ट में सुनवाई से असंतुष्ट पक्ष अपनी आपत्तियां 21 दिसंबर तक लगा सकता है।

अगस्त में पेश की थी रिपोर्ट

कालिंदी गोल्ड, सैटेलाइट हिल्स और फीनिक्स टाउनशिप के 250 से ज्यादा पीडि़तों को शीघ्र न्याय दिलाने के उद्देश्य से हाई कोर्ट द्वारा गठित हाई पावर कमेटी ने 23 अगस्त को हाई कोर्ट के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। कोर्ट ने आदेश दिया कि रिपोर्ट सभी पक्षकारों को आसानी से उपलब्ध हो सके, इसके लिए इसे हाई कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किया जाए। तब तक भूमाफिया के खिलाफ शासन कोई कार्रवाई नहीं कर सकेगा।

अजमेरा और चिराग आए ही नहीं थे

अगस्त की सुनवाई में शासकीय अधिवक्ता विशाल सनोटिया ने कोर्ट के समक्ष यह गुहार लगाई थी कि हाई पावर कमेटी का काम पूरा हो गया है। नीलेश अजमेरा एवं चिराग शाह कमेटी के समक्ष उपस्थित भी नहीं हुए, उन्होंने सहयोग भी नहीं किया है। ऐसे में उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के आदेश को समाप्त किया जाए।

कोर्ट में कॉलोनियों का रखा था हिसाब

सेवानिवृत्त हाई कोर्ट जज आईएस श्रीवास्तव की अध्यक्षता में गठित हाई पावर कमेटी द्वारा अगस्त में हाई कोर्ट में प्रस्तुत रिपोर्ट में तीनों कॉलोनियों का अलग-अलग हिसाब रखा गया था। 300 से ज्यादा पेज की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि किस कॉलोनी में कितने मामले सामने आए और कितने का निराकरण हो गया। जिन प्रकरणों में निराकरण नहीं हो सका, उनमें क्या वजह रही कि निराकरण नहीं हो सका। फीनिक्स टाउनशिप में परिसमापक का मामला है। इस कॉलोनी में 13 भूखंडों को लेकर भी विवाद है। रिपोर्ट विस्तृत है। मामले में तीनों कॉलोनियों के 250 से ज्यादा पक्षकार हैं। इतनी मोटी और विस्तृत रिपोर्ट की प्रति प्रत्येक पक्षकार को दिलवाने के बजाय कोर्ट ने आदेश दिया कि इस रिपोर्ट को हाई कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाए ताकि यह प्रत्येक पक्षकार तक पहुंच सके।

कई मामलों में सेटलमेंट ही नहीं किया

आरंभिक रूप से रिपोर्ट में यह बात सामने आ रही है कि कई प्रकरणों में अब भी समझौता नहीं हुआ है। पीडि़तों को न प्लॉट मिला न उनके द्वारा बुकिंग के समय दी गई राशि। ऐसे में इन मामलों में अब हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है। वहीं करीब 250 पीडि़त अपने हक के लिए अब लड़ रहे हैं।

रिपोर्ट देखने के बाद होगा जमानत पर फैसला

भूमाफिया चंपू और अन्य नवंबर 2021 से ही जमानत पर हैं। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें इसी शर्त पर जमानत का लाभ दिया था कि वे पीडि़तों को राहत पहुंचाएंगे और सेटलमेंट करेंगे लेकिन उन्होंने अब तक ऐसा कुछ नहीं किया है। दूसरी ओर शासन ने कोर्ट से आरोपियों की जमानत निरस्त करने की मांग की है। अब 31 जनवरी को होने वाली सुनवाई के बाद ही आरोपियों की जमानत पर फैसला होगा।

प्रशासन की सेटलमेंट रिपोर्ट पर भूमाफिया ने उठाए थे सवाल

प्रशासन द्वारा अलग-अलग सेटलमेंट रिपोर्ट पेश करने को लेकर भूमाफिया की ओर से आपत्ति ली गई थी। उनकी तरफ से यह तर्क भी दिया गया कि क्या आपने हमारे कहने पर ही यह रिपोर्ट पेश कर दी? क्या सुप्रीम कोर्ट से जमानत के बाद और मार्च 2022 में वहां सेटलमेंट रिपोर्ट पेश होने के बाद कोई केस सेटल किया ही नहीं और जो पहले किए थे उससे भी पलट गए। फरवरी 2023 में भी सुनवाई के दौरान जो सेटलमेंट 55 फीसदी करीब बताए जा रहे थे वह 35 फीसदी के करीब ही रह गए। वहीं शासकीय अधिवक्ता ने जोर देकर कहा कि इन आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट को सरासर झूठ बोला और जमानत ली। फिलहाल आरोपी जमानत पर चल रहे हैं।

फर्जीवाड़े की पूरी कहानी यूं समझें, सुप्रीम कोर्ट तक लगा चुके गुहार : इंदौर में भूमाफिया ने सैकड़ों लोगों से पैसे लेकर उन्हें प्लॉट नहीं दिए। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। भूमाफिया ने सुप्रीम कोर्ट से यह कहकर जमानत ली थी कि वे जल्द से जल्द जमीनों के सभी मामले सुलझा देंगे। जमानत देने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह मामला हाईकोर्ट में भेज दिया और सेटलमेंट के मामलों पर निगरानी का कहा। अब प्रशासन ने कहा है कि भूमाफियाओं ने जमानत ले ली लेकिन सेटलमेंट नहीं कर रहे हैं।

ये भू माफिया हैं शामिल

भूमाफिया चंपू, चिराग, नीलेश अजमेरा, निकुल कपासी, महावीर जैन, योगिता अजमेरा और हैप्पी धवन के मामले कोर्ट में चल रहे हैं। इन्हें पीडि़तों के प्लॉट वापस करना हैं।