राजेश राठौर, भोपाल
एकतरफा चुनावी जीत के 22 दिन बाद आखिरकार मध्यप्रदेश सरकार का मंत्रिमंडल तय हो गया है। पहली बार में 28 मंत्री बनाए गए हैं। कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल जैसे सीनियर नेताओं को मोहन सरकार में नई जिम्मेदारी निभानी होगी। पूरे प्रदेश में सबसे बड़ी जीत दर्ज करने वाले रमेश मेंदोला को एक बार फिर मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई है। इस मंत्रिमंडल में ज्योतिरादित्य सिंधिया की ताकत कम हुई है। उनके कई चाहने वालों को मंत्री नहीं बनाया गया है। शिवराज सरकार के मुकाबले इस बार ज्यादा महिला मंत्रियों को जगह दी गई है। मालवा निमाड़ की ताकत बढ़ गई है। सीएम ,डिप्टी सीएम मिलकर 10 नेता मंत्रिमंडल में हैं। कई दिग्गजों को मंत्री नहीं बनाया गया है। जातिगत समीकरण भी साध लिया गया है। सामान्य वर्ग से 7 ,ओबीसी से 11, एससी से 6 और एसटी से 4 मंत्री बनाए गए हैं।
मोहन मंत्रिमंडल में मालवा-निमाड़ से 10 का दम!
31 सदस्यीय मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा समेत मालवा-निमाड़ से 10 मंत्री हो गए हैं। विंध्य से डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला समेत तीन मंत्री हैं। उसके बाद मध्य भारत से छह, महाकौशल से पांच, ग्वालियर-चंबल से चार और बुदेलखंड से तीन मंत्री बनाए गए हैं। जातिवार देखें तो मोहन सरकार में अब 4 एससी, 5 एसटी, 11 ओबीसी और 11 सामान्य वर्ग से मंत्री बनाए गए हैं।
प्रतिमा सबसे युवा, वर्मा सबसे बुजुर्ग
डॉ. मोहन यादव के 31 सदस्यीय मंत्रिमंडल में सदस्यों की औसत उम्र 58 वर्ष है। इसमें 60 वर्ष से ज्यादा उम्र वाले 14 मंत्री हैं। सबसे बुजुर्ग करण सिंह वर्मा 68 वर्ष के हैं। इसी तरह सबसे युवा मंत्री प्रतिमा बागरी हैं, जिनकी उम्र 35 साल है।
रीति पाठक को जगह नहीं
मध्यप्रदेश में भाजपा ने जिन सात सांसदों को विधानसभा चुनाव में उतारा था। उनमें प्रहलाद पटेल, उदय राव सिंह, राकेश सिंह, रीति पाठक, नरेंद्र सिंह तोमर जीते थे। माना जा रहा था कि इन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा। रीति पाठक को मंत्री नहीं बनाया गया है। यानी सांसद से विधायक बने पांच नेताओं में से तीन को आज शपथ दिलाई गई तो नरेंद्र सिंह तोमर विधानसभा अध्यक्ष बनाए गए हैं।
इन दिग्गजों को नहीं मिली मंत्रिमंडल में जगह!
मध्य प्रदेश के मोहन यादव कैबिनेट का गठन हो गया। इनमें 28 मंत्रियों को जगह दी गई हैं। इनमें 18 कैबिनेट मंत्री, 6 राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार और 4 राज्य मंत्री बनाए गए है। इस मंत्रिमंडल में शिवराज सिंह चौहान के करीबियों और दिग्गज नेताओं का पत्ता कट गया है।
मोहन के कैबिनेट विस्तार में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेहद करीबी माने जाने वाले भूपेंद्र सिंह को इस बार जगह नहीं मिली है। वे शिवराज सरकार में कई बड़े मंत्रालयों की जिम्मेदारी निभा चुके हैं। इसके बाद भी इस बार इन्हें निराशा हाथ लगी है। इसके अलावा शिवराज सरकार में वित्त मंत्री रहे जयंत मलैया भी अब विधायक बन कर रह गए हैं। उन्हें भी कैबिनेट विस्तार में जगह नहीं मिली है।मध्य प्रदेश के सबसे सीनियर विधायक और वर्तमान विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर गोपाल भार्गव को भी इस बार निराशा हाथ लगी है, हालांकि जब उन्हें प्रोटेम स्पीकर का पद दिया गया था तभी से माना जा रहा था कि उनका मंत्रिमंडल में शामिल हो पाना मुश्किल नजर आ रहा है। ठीक वैसा ही हुआ है। भार्गव के समर्थकों ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाने के लिए भी माहौल बनाया था। पूर्व विधानसभा स्पीकर गिरीश गौतम को लेकर अटकलें थी इस बार उन्हें पार्टी राज्यमंत्री बना सकती है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। इसके साथ ही पूर्व प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा के हाथ एक बार फिर मायूसी लगी है। वहीं सांसद से विधायक बनी रीति पाठक का भी डिमोशन हो गया है, अब वे केवल विधायक बनकर ही रह गई हैं।इसके अलावा पूर्व मंत्री संजय पाठक सिंधिया समर्थक पूर्व मंत्री प्रभुराम चौधरी, पूर्व मंत्री उषा ठाकुर को भी इस बार कैबिनेट में जगह नहीं दी गई है। ये मंत्रिमंडल विस्तार लोकसभा चुनाव को देखते हुए किया गया है. यही कारण है कि कई दिग्गजों के पत्ते कट गए हैं।
मंत्रिमंडल में 99 फीसदी करोड़पति!
मोहन यादव की नई कैबिनेट में केवल एक मंत्री ऐसे हैं, जो करोड़पति नहीं हैं। सारंगपुर सुरक्षित सीट से जीते गौतम टेटवाल ने अपने चुनावी हलफनामे में कुल संपत्ति 89.64 लाख रुपये बताई है। टेटवाल कैबिनेट में सबसे कम संपत्ति वाले मंत्री हैं। उन्हें छोडक़र सभी मंत्री करोड़पति हैं।
रतलाम शहर से जीते चैतन्य कश्यप कैबिनेट के सबसे अमीर मंत्री हैं। कश्यप के पास 296.08 करोड़ रुपये की संपत्ति है। कश्यप मध्य प्रदेश के सबसे अमीर विधायक भी हैं। कैबिनेट की औसत संपत्ति की बात करें तो हर मंत्री के पास औसतन 18.54 करोड़ रुपये की संपत्ति है। 13 मंत्री ऐसे हैं, जिनके पास एक से पांच करोड़ रुपये की संपत्ति है। इनमें धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी, नारायण सिंह कुशवाह, राकेश शुक्ला, एदल सिंह कंसाना, निर्मला भूरिया, दिलीप अहिरवार, करण सिंह वर्मा, नारायण सिंह पंवार, प्रद्युम्न सिंह तोमर, राकेश सिंह, लखन पटेल, नागर सिंह चौहान और उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा शामिल हैं। सात मंत्री के पास पांच करोड़ से ज्यादा और दस करोड़ से कम की संपत्ति है। इनमें प्रतिमा बागरी, नरेंद्र शिवाजी पटेल, राधा सिंह, इंदर सिंह परमार, दिलीप जायसवाल, प्रहलाद सिंह पटेल और संपतिया उइके शामिल हैं। 10 मंत्री के पास 10 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति है। इनमें कृष्णा गौर, तुलसीराम सिलावट, कैलाश विजयवर्गीय, गोविंद सिंह राजपूत, कुंवर विजय शाह, विश्वास सारंग, उदय प्रताप सिंह, राजेंद्र शुक्ला, डॉ. मोहन यादव और चैतन्य कश्यप शामिल हैं। सबसे अमीर तीन मंत्रियों में चैतन्य कश्यप, मुख्यमंत्री मोहन यादव और उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला शामिल हैं। कश्यप के पास कुल 296.08 करोड़ रुपये की संपत्ति है। वहीं, मुख्यमंत्री मोहन यादव के पास 42.04 करोड़ रुपये की संपत्ति है, जबकि उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला के पास 30.88 करोड़ रुपये की कुल संपत्ति है।
मंत्रिमंडल के सदस्यों की पढ़ाई-लिखाई
- मुख्यमंत्री मोहन यादव कैबिनेट के सबसे पढ़े लिखे मंत्री हैं। यादव ने पीएचडी की हुई है।
- सबसे कम शिक्षा प्राप्त मंत्री एदल सिंह कंसाना हैं। कंसाना आठवीं पास हैं। वहीं, एक अन्य मंत्री दिलीप अहिरवार 10वीं पास हैं।
- छह मंत्री ऐसे हैं, जिन्होंने 12वीं तक की पढ़ाई की है। इनमें सबसे अमीर मंत्री चैतन्य कश्यप, नारायण सिंह कुशवाह, करण सिंह वर्मा, नारायण सिंह पंवार, प्रद्युम्न सिंह तोमर और दिलीप जायसवाल शामिल हैं।
- 10 मंत्रियों के पास स्नाकोत्तर की डिग्री है। इनमें धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी, लखन पटेल, जगदीश देवड़ा, प्रतिमा बागरी, राधा सिंह, संपतिया उइके, कृष्णा गौर, तुलसीराम सिलावट, गोविंद सिंह राजपूत और कुंवर विजय शाह शामिल हैं।
- छह मंत्रियों के पास स्नातक की डिग्री है। इनमें गौतम टेटवाल, राकेश शुक्ला, निर्मला भूरिया, राकेश सिंह, नागर सिंह चौहान और उदय प्रताप सिंह शामिल हैं।
- छह मंत्रियों के पास पेशेवर स्नातक की डिग्री है। इनमें नरेंद्र शिवाजी पटेल, इंदर सिंह परमार, प्रहलाद सिंह पटेल, कैलाश विजयवर्गीय, विश्वास सारंग और राजेंद्र शुक्ला शामिल हैं।