स्वतंत्र समय, भोपाल
प्रदेश में एक दर्जन सीट ऐसी हैं, जहां निर्दलीय बीजेपी और कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती बनकर उभरे हैं। राज्य में यदि कांटे की टक्कर हुई तो निर्दलीय की भूमिका अहम हो जाएगी।मध्य प्रदेश में नई सरकार के गठन में अब कुछ घंटे ही शेष रह गए हैं। एक्जिट पोल के अनुमानों से इतर यदि सत्ता की चाबी के लिए मुकाबला कांटे का हुआ तो निर्दलीय जीते उम्मीदवारों की भूमिका बेहद अहम हो जाएगी। इसी के चलते कांग्रेस और बीजेपी के बीच दमदार निर्दलीय उम्मीदवारों पर अभी से डोरे डाले जा रहे है। दोनों ही दलों ने अपने खास रणनीतिकारों और मैनेजरों को इस काम में लगा दिया है। यहां बताते चलें कि मध्य प्रदेश में एबीपी न्यूज़ और सी वोटर के एग्जिट पोल में 2 से लेकर 8 सीटें अन्य (दूसरे दल या निर्दलीय) उम्मीदवारों को मिलने का अनुमान जाहिर किया गया है। राजनीतिक जानकार कह रहे हैं कि इसमें ज्यादा संख्या कांग्रेस और बीजेपी के उन बागी उम्मीदवारों की हो सकती है,जिन्होंने टिकट न मिलने पर बसपा, सपा, आप अथवा निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा है।
भाजपा भितरघातियों से डरी
वहीं, बीजेपी की तैयारी भी बड़ी है। संगठन के लेवल पर पार्टी की विचारधारा से जु?े बागी निर्दलियों को अभी से मनाने का दौर शुरू हो चुका है। इसके लिए जर्बदस्त किलेबंदी की तैयारी अभी से की जा रही है। इसी तरह बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दल चुनाव बाद विधायकों को खरीद-फरोख्त से बचाने के लिए अलग-अलग प्लान पर काम कर रहे हैं साल 2018 के चुनाव की बात करें तो चार निर्दलीय ही चुनाव जीते थे। इनमें से प्रदीप जायसवाल और विक्रम सिंह राणा इस बार बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं सुरेंद्र सिंह शेरा और केदार डाबर कांग्रेस के प्रत्याशी हैं। इसके पहले 2013 में दिनेश राय मुनमुन, सुदेश राय और कल सिंह भाबर निर्दलीय चुनाव जीते थे।
मतगणना से पहले दलों ने बनाई रणनीति
मतगणना से पहले राजनीतिक पार्टियों में खास रणनीति बनाई जा रही है। परिणाम आने के बाद मुकाबला कसमकश वाला हुआ तो अपने विधायकों को जोडक़र रखने के साथ निर्दलीय जीते एमएलए को अपने खेमे में लाने की तैयारी सूबे के दोनों राजनीतिक दल अभी से बनाने में लगे है। कहा जा रहा है कि यदि मुकाबला बेहद नजदीकी हुआ तो कांग्रेस विधायकों को तुरंत बेंगलुरु शिफ्ट किया जा सकता है, जहां फिलहाल कांग्रेस की सरकार है। इसके लिए कर्नाटक की सरकार को भी अलर्ट मोड में रहने के संकेत पार्टी आलाकमान से दिए गए हैं।क
कांग्रेस के लिए भी चुनौती
माना जा रहा है कि प्रदेश में एक दर्जन सीट ऐसी हैं, जहां निर्दलीय बीजेपी और कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती बनकर उभरे हैं। डॉ. आंबेडकर नगर (महू) विधानसभा सीट से अंतर सिंह दरबार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। ये कांग्रेस से विधायक रह चुके हैं, पर टिकट न मिलने से नाराज होकर चुनाव मैदान में उतर गए हैं। इसी तरह आलोट से प्रेमचंद गुड्डू, गोटेगांव से शेखर चौधरी, सिवनी मालवा से ओम रघुवंशी, होशंगाबाद से भगवती चौरे, धार से कुलदीप सिंह बुंदेला, मल्हारगढ़ से श्यामलाल जोकचंद, बडऩगर से राजेंद्र सिंह सोलंकी, भोपाल उत्तर से नासिर इस्लाम और आमिर अकील भी निर्दलीय ताल ठोक रहे हैं। कांग्रेस की तुलना में बीजेपी में ताकतवर बागी थोड़े कम है।