स्वतंत्र समय, इंदौर
मालवा-निमाड़ में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत की फसल भले ही कैलाश विजयवर्गीय ने बोई हो, लेकिन इसे काटेंगे महाकाल नगरी के विधायक मोहन यादव। भाजपा हाईकमान ने सबके होश उड़ाते हुए उज्जैन से विधायक मोहन यादव को मुख्यमंत्री पद पर बैठा दिया है। नरेंद्र सिंह तोमर विधानसभा स्पीकर होंगे। जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ला उपमुख्यमंत्री होंगे। मोदी शाह की जोड़ी ने जाति समीकरण को भी साथ लिया है, और सब चाल भी अपने हाथ में रखी हैं। मोहन को चुनने के फैसले में संघ भी खुश हो गया है। मोहन यादव बरसों से संघ से जुड़े हैं। मोहन यादव को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के भी करीबी माना जाता है। जिन दिग्गजों के नाम मुख्यमंत्री पद के लिए चल रहे थे, अब उन्हें भारी-भरकम मंत्रालय देकर दिलासा दिया जाएगा। इंदौर जिले को एक कठिनाई हो सकती है कि जब इस इलाके से मुख्यमंत्री चुन लिया गया है, तो बरसों से मंत्री बनने का ख्वाब देख रहे नेताओं को फिर खाली हाथ रहना पड़ सकता है। इस बात के आसार अब कम ही है की कैलाश विजयवर्गीय और रमेश मेंदोला दोनो को मंत्री पद मिल सके। ऊषा ठाकुर का मंत्री पद जाने के आसार पूरे हैं।
मोहन बोले – एमपी के मन में मोदी, मोदी के मन में एमपी
विधायक दल के नेता चुने गए मोहन यादव ने कहा कि मैं शीर्ष नेतृत्व का आभार जताता हूं। उन्होंने मुझे बड़ी जवाबदारी दी है। मुझ पर विश्वास जताया है। ये भाजपा ही है जो एक छोटे से कार्यकर्ता को यहां तक पहुंचा सकती है। ‘एमपी के मन में मोदी के मन में मोदी’ इसी थीम पर काम करेंगे।
मोहन यादव के सीएम बनने के ये हैं छह प्रमुख फैक्टर…
संघ की पसंद
मोहन यादव आरएसएस खेमे से हैं। विद्यार्थी परिषद से राजनीति में आए। सीएम के नाम में संघ का समर्थन मिला। एक वक्त ऐसा था जब वो संघ के सुरेश सोनी के सबसे खास माने जाते थे।
नड्डा के हैं प्रिय पात्र
भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के सबसे खास मोहन यादव माने जाते हैं। जब चुनाव के कुछ महीने पहले शिवराज को हटाने की बात चल रही थी तब दावेदारों में इनका नाम भी चल रहा था। तब कोई भरोसा भी नहीं कर रहा था कि एक दिन मोहन यादव मध्यप्रदेश के शंहशाह होंगे।
ओबीसी चेहरा
आदिवासी बाहुल्य छत्तीसगढ़ की तर्ज पर मध्य प्रदेश में ओबीसी चेहरे को ही प्राथमिकता में रखा। मध्य प्रदेश में ओबीसी की संख्या 50 प्रतिशत के करीब है। ओबीसी होने का फायदा मिला है।
यादव कार्ड
प्रदेश के ग्वालियर चंबल, बुंदेलखंड और निमाड़ में यादव वोटरों को साधा। साथ ही उत्तर प्रदेश की राजनीति पर भी प्रभाव है। देश भर में करीब 12 करोड़ वोटर हैं।
नई लीडरशिप को बढ़ावा
प्रदेश में बदलाव की रणनीति पर केंद्रीय नेतृत्व आगे बढ़ा। दिग्गजों के नाम के बीच युवा नई लीडरशिप में मोहन यादव को मौका मिला। यादव 58 साल के हैं।
लो प्रोफाइल
मोहन यादव को लो प्रोफाइल रहने का फायदा मिला। प्रदेश में दिग्गज नेताओं के नाम की चर्चा के बीच कार्यकर्ता बनकर काम करने का तोहफा मिला।