स्वतंत्र समय, सतना
देश के प्रधानमंत्री का संकल्प है कि समूचे भारत को भ्रष्टाचार मुक्त करना है लेकिन 10 साल पूरे होने वाले हैं और भ्रष्टाचार घटने की बजाय सुरसा की तरह बढ़ता ही जा रहा है विशेष कर जिम्मेदार विभागीय अधिकारी ही टेबल के नीचे की परंपरा को बढ़ावा देते आ रहे हैं एक ऐसा ही मामला जिले के कोठी नगर परिषद का सामने आया है जिसमें पीडब्ल्यूडी की जमीन दिनदहाड़े बेची जा रही है और जिम्मेदार मौन है हैरानी की बात यह है कि लोक निर्माण विभाग जानते हुए आंख मूंदकर अपना हिस्सा लेकर चुप है और पंजीयन कार्यालय से रजिस्ट्री भी हो रही है
पूरे मामले पर एक नजर
मिले दस्तावेजों के अनुसार कोठी नगर परिषद अंतर्गत वर्तमान रोहिणी तहसील रघुराज नगर में सडक़ विकास प्राधिकरण के क्चह्रञ्ज योजना अंतर्गत सतना चित्रकूट टू लेन रोड को निगम हेतु निजीकर 3831 हेक्टेयर के भू अर्जन के संबंध में कार्यपालन यंत्री सडक़ विकास प्राधिकरण रीवा में प्रस्ताव अनुसारकलेक्टर सतना एवं पदेन उप सचिव राजस्व निर्माण मंत्रालय भोपाल की ओर से अर्जित की जाने वाली निजी भूमियों की अधिसूचना भू अर्जन अधिकारी की धारा 4 एवं 6 के तहत मध्य प्रदेश राज्य पत्र में प्रकाशित कराई गई तथा उनके पत्र क्रमांक 663 /भू अर्जन / 10 दिनांक 26.7. 2010 द्वारा रोहिणी की आराजी पर कार्यवाही की गई थी मामला 2010 का है सभी भूमियों को निर्धारित किया गया मुआवजा भी दे दिया गया है कोई वाद विवाद लंबित नहीं है और लोक निर्माण विभाग द्वारा बाईपास सडक़ सेंटर से 80 / 80 जमीन अधिग्रहित की गई और फोरलेन सडक़ का निर्माण हो गया यहां पर बता दें कि फोर लेन सडक़ का निर्माण 30 / 30 में कराया गया है शेष 50 / 50 की जगह सुरक्षित छोड़ दी गई थी जिसमें अतिक्रमणकारी पीडब्ल्यूडी की जमीन को ही बेच रहे हैं अधिग्रहित की गई जमीन के भू स्वामियों की जानकारी दस्तावेजों के अनुसार न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी एवं भू अर्जन अधिकारी रघुराज नगर जिला सतना के पारित अवार्ड के अनुसार शिवराम पिता कृष्णा सोनी ,सुखिया बाई पत्नी काशी प्रसाद बुनकर ,काशी प्रसाद पिता हीरालाल कोरी ,मुन्नी पत्नी मुन्ना लाल कोरी ,बारेलाल पिता रामेश्वर कोरी ,गुन्नू राम पिता सुखदेव शर्मा ,रामशरण पिता अयोध्या प्रसाद पाठक ,गुलाब सिंह मुन्नू सिंह फूलमती पत्नी अभिलाष सिंह,अमरावती पत्नी लखपत सिंह ,देवेंद्र सिंह पिता सुरेंद्र सिंह ,मुखिया श्याम सिंह देव सुरेंद्र सिंह नरेंद्र सिंह पिता जगदीश सिंह, राजेश सिंह पिता योगेश्वर सिंह, की आराजी अधिग्रहित की गई थी जिसमें सभी को निर्धारित मुआवजा भी दे दिया गया था इन्हीं भूमि स्वामियों में कुछ भूमाफिया के इशारे पर अधिग्रहित जमीन को बेचना शुरू कर दिया गया है।
अधिग्रहित आरजी की रजिस्ट्री कैसे हो गई
दरअसल मामला इतना गंभीर है कि कुछ भी कहा नहीं जा सकता भू माफिया हो या भ्रष्टाचारी उनकी नियत पर सदैव सवाल होता रहा है लेकिन जिम्मेदार विभाग जब गलत कर रहे हो तो किसे दोषी समझा जाए ठीक है भू माफिया कूट रचना कर सब कुछ कर लेता है लेकिन आज के कंप्यूटर युग में जब सब कुछ ऑनलाइन है तो सरकारी जमीन की रजिस्ट्री कैसे हो रही है यह सबसे बड़ा सवाल है जब लोक निर्माण विभाग द्वारा नाप जोख कर कर पूरा मुआवजा दिया जा चुका है तो पंजीयन कार्यालय के द्वारा रजिस्ट्री क्यों की जा रही है मौके पर जाकर देखा जा सकता है कि कुछ लोगों द्वारा मकान का निर्माण भी कर लिया गया है।
राजस्व अमले की भूमिका संदिग्ध
कंठ तक भ्रष्टाचार में लिप्त राजस्व अमले का आका कलेक्टर होता है जब वही भ्रष्टाचारी हो तो कोई सुरक्षित नहीं है हर रोज सरकारी जमीन भूमाफियाओं के कब्जे में जा रही है और प्रशासन चुप्पी साधे हुए हैं यहां पर गौर करने वाली बात यह है कि जिन लोगों द्वारा सरकारी जमीन खरीदी गई है वह सिक्स लेन का इंतजार करें जब प्रशासन का बुलडोजर चलेगा तो कोई नहीं बच पाएगा बहरहाल देखना यह है कि प्रशासन जागरूक होता है या नहीं।