स्वतंत्र समय, इंदौर
प्रदेश में भाजपा का मुख्यमंत्री का चेहरा तय हो गया है। मालवा से भाजपा के मुख्यमंत्री उज्जैन से विधायक मोहन यादव को बनाया गया है। मालवा से मुख्यमंत्री बनने के साथ ही मल्हारगढ़ से विधायक और मालवा से ही जगदीश देवड़ा को उपमुख्यमंत्री का भार दिया गया है। एक अन्य बड़ा पद राजेन्द्र शुक्ला के रूप में बुंदेलखंड के पास गया है। जबकि ग्वालियर-चंबल से नरेन्द्र सिंह तोमर को सभापति बनाया गया है। इस प्रकार अब प्रस्तावित मंत्रिमंडल में मालवा क्षेत्र को कोई बड़ा पद मिलने की उम्मीद नहीं है। इंदौर एक से बड़ी जीत दर्ज करने वाले कैलाश विजयवर्गीय के साथ ही रमेश मेंदोला व जिले के अन्य विधायकों की मंत्री पद की उम्मीदें रनआउट लग रही हैं। संभव है कि कैलाश को मंत्री पद की बड़ी पेशकश दी जाए। अलबत्ता निमाड़-भोपाल को बड़ा पद मिल सकता है। तीन दिसंबर को चुनाव परिणाम आने के बाद से चल रही ऊहापोह एक हफ्ते बाद सोमवार को खत्म हो गई। केन्द्रीय नेतृत्व में अपने पिटारे से बिल्कुल नया नाम मोहन यादव के रूप में सामने रखा व मुख्यमंत्री बनाकर सबको चौंका दिया। महाकाल की नगरी उज्जैन से विधायक मोहन यादव का संघ से काफी समय से जुड़े रहे हैं और शिवराजसिंह चौहान के पिछले मंत्रिमंडल में उच्च शिक्षा मंत्री के रूप में काबिज थे।
मोहन से कई मायने
मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाने के कई मायने है। भाजपा ने पिछले वर्ग से मुख्यमंत्री बनाकर साफ कर दिया है कि वो कांग्रेस के पिछड़े के कार्ड को चलने नहीं देगी। इसके साथ ही मोहन यादव का नाम सामने रखकर नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने यह भी साफ कर दिया है कि उन्होंने नया नाम देने का जो निर्णय किया था तो उसे मैदान में उतार भी दिया। भाजपा का नेतृत्व संगठन से चलता है और उसी आधार पर नया मुख्यमंत्री भी यह संदेश साफतौर पर देगा कि भाजपा जनता के फैसले के बाद उनके लिए ही काम करती है।
सभी को किया एडजस्ट
मोहन यादव की सीट मालवा से आती है। यानी अब मुख्यमंत्री मालवा से आ गया है और पिछड़ा वर्ग का भी प्रतिनिधित्व करता है। यादव जाति के होने की वजह से इसका सियासी असर यूपी और बिहार पर भी पड़ सकता है। वहीं, दो डिप्टी सीएम में राजेंद्र शुक्ला ब्राह्मण वर्ग से आते हैं जो रीवा सीट से विधायक हैं। वहीं जगदीश देवड़ा मंदसौर जिले के मल्हारगढ़ से विधायक हैं।
कैलाशजी को बड़े की थी उम्मीद
मालवा से मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री बनाने के बाद अब मालवा और निमाड़ से किसी बड़े पद की आशा नहीं है। इससे सबसे ज्यादा नुकसान इंदौर जिले को उठाना पड़ सकता है। इंदौर से कैलाश विजयवर्गीय को बड़े पद मिलने की पूरी उम्मीद थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब गृह मंत्री व नगरीय निकाय मंत्री जैसे बड़े पद किन्हीं दूसरे क्षेत्रों में शिफ्ट होने की उम्मीद है। इसके साथ ही मंत्रिमंडल में भी कितने पद इंदौर जिले को मिलेंगे। इस पर संशय है। अभी कैलाशजी के अलावा दो और मंत्री बनने की उम्मीद थी लेकिन अब यह स्थान दो तक ही सीमित हो सकते है। हां, निमाड़ के साथ ही ग्वालियर-चंबल और भोपाल-जबलपुर को बाकी बड़े पद देकर संतुष्ट किया जा सकता है।