स्वतंत्र समय, इंदौर
मैं इन दिनों इंदौर में हूं और अपने किसी काम से देर रात नरवल औद्योगिक क्षेत्र से गुजरना हुआ, वहां रास्ते में एक जगह लोगों का जमावड़ा देख आश्चर्य हुआ तो रुक कर पूछताछ की तो मालूम हुआ चुनावी जनसंपर्क चल रहा है। यह देखकर जिज्ञासावश सोचा कुछ देर रुक कर माहौल का जायजा लिया जाए कि इतनी रात को इतने सारे लोग आखिर कर क्या रहे हैं। वहां मौजूद लोगों से बातचीत कर समझ में आया कि रात के 11:30 बज चुके हैं, फिर भी लोगों का उत्साह कम नहीं हो रहा है। मेरी समझ में तो चुनाव प्रचार के दौरान ढोल धमाके, ऊंची आवाज में बजते स्पीकर, भाषण, जोर-शोर से नारे आदि होते हैं। लेकिन यहां तो ऐसा कुछ नहीं था भीड़ जरूर थी लेकिन शांति थी। पूछताछ करने पर पता चला कि चुनाव आयोग की गाइडलाइन अनुसार, रात 10 बजे बाद से ढोल धमाके बंद हैं। माइक स्पीकर भी बंद हैं। लेकिन बगैर चुनावी संगीत के भी जनसैलाब उमड़ा हुआ है। युवाओं के अलावा महिलाओं और बच्चों की भी भारी भीड़ है।
बच्चे लगा रहे थे दादा दयालु के नारे
यह नजारा था इंदौर विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 2 के भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार रमेश मेंदोला के जनसंपर्क का। एक तरफ युवा लोग अपने नेता के साथ मंच पर खड़े हैं, दूसरी तरफ महिलाएं आरती की थाली और हार फूल लेकर खड़ी हैं। बच्चे अपनी मस्ती में मेंदोला के समर्थन में नारे लगा रहे हैं। वो शायद उनको दादा दयालु के नाम से पुकार रहे थे। सब कुछ स्वाभाविक और स्वस्फूर्त भाव से चलता लग रहा था। उधर मेंदोला अपनी चिरपरिचित मुस्कुराहट के साथ सबका अभिवादन स्वीकार कर रहे थे। यह सब देखकर मैं हैरान था। मेरे साथ चल रहे मित्रों ने बताया कि ऐसा ही जादू है इस सबसे अधिक मतों से जीतने का रिकार्ड बनाने वाले दादा दयालु का। वहां का माहौल देखकर यूं लग रहा था जैसे यहां आकर कोई चुनावी सभा नहीं हो रही थी बल्कि कोई उत्सव मनाया जा रहा था। सब अपनी अपनी मस्ती में मस्त अपने लाड़ले नेता के स्वागत के लिए सजधज कर आए थे। बच्चे पुंगी बजा रहे थे, धमाचौकड़ी मचा रहे थे, बुजुर्ग आशीर्वाद का हाथ मेंदोला के सिर पर रख रहे थे। कुल मिलाकर एक अलग ही अनुभव। यूं लगा जैसे न्यूयॉर्क का टाइम स्क्वेयर अपने लघु रूप में सामने आ गया हो। यह सब जमावड़ा एक व्यक्ति के लिए। अपनी आंखों के सामने यह सब देखकर यकीन नहीं हुआ कि आज के जमाने में भी जहां नेता को जरा कम ही पसंद किया जाता है वहां कोई नेता इतना लोकप्रिय भी हो सकता है कि देर रात तक उसके स्वागत के लिए लोग उमड़े हुए थे।