मेट्रो : स्टील गर्डर पहुंची पर रेलवे की इजाजत अब भी बाकी, चुनावी व्यस्तता ने रोक दी मेट्रो की गति

स्वतंत्र समय, इंदौर

मेट्रो का काम ट्रायल के पहले धुआंधार रफ्तार से चल रहा था। अक्टूबर के पहले हफ्ते में आचार संहिंता लगने के साथ ही गति धीमी पड़ गई। सरकारी मुलाजित चुनावी ड्यूटी में व्यस्त हो गए और मेट्रो के काम की गति मंद हुई है। इस बीच इंदौर देवास रेल लाइन के ऊपर से गुजरने वाली मेट्रो लाइन के लिए स्टील गर्डर आ चुकी है। रेलवे की अनुमति के बाद इसे रेल लाइन के ऊपर लगाया जाएगा। हालांकि माना जा रहा है कि अगले साल यानी जनवरी में ही इसकी इजाजत मिल सकेगी। ऐसे में माना जा रहा है कि अभी काम में विलंब हो सकता है। बताया जा रहा है कि पहले यह काम इंदौर-देवास रेल लाइन पर एमआर-10 ब्रिज के पास होगा। इसके लिए स्टील गर्डर ब्रिज के पास पहुंच गई है। सूत्रों ने बताया कि एमआर-10 ब्रिज के पास स्थित खाली जमीन पर तीन स्टील गर्डर पहुंच गई है। गर्डर की ड्राइंग-डिजाइन रेल विभाग से स्वीकृत करवाने के बाद ही इनका निर्माण करवाया गया है। इन गर्डर की कुल चौड़ाई लगभग 45 मीटर और ऊंचाई नौ मीटर है।

पूर्वी दिशा की ओर बढ़ रहा काम

मेट्रो के ट्रैक बनाने का काम सुपर कॉरिडोर और एमआर 10 पर चल रहा था। अब मेट्रो ट्रैक का काम पूर्वी रिंग रोड की दिशा की ओर बढ़ रहा है।  रेडिसन चौराहे पर यह ट्रैक अर्द्ध चंद्राकार होकर 90 डिग्री टर्न लेगा और रोबोट चौराहे की ओर मुड़ जाएगा।

दूसरे चरण में बंगाली चौराहा कवर होगा

फर्स्ट फेज में अभी रोबोट चौराहे पर बन रहे मेट्रो स्टेशन तक ही मेट्रो ट्रेन पहुंचेगी। सेकंड फेज में रोबोट चौराहे से बंगाली चौराहा होते हुए पलासिया की ओर ट्रैक बनाया जाएगा। हालांकि वर्तमान में चल रहा ट्रैक बनाने का काम काफी धीमी गति से चल रहा है। अब ट्रायल रन के समय चल रहे काम जैसी फुर्ती नहीं दिखाई दे रही है। अब तक बने ट्रैक पर एक ही स्टेशन तैयार हुआ है।

मार्च 2024 की डेडलाइन मुश्किल

मेट्रो ट्रेन कॉर्पोरेशन के अफसरों का कहना है कि मार्च 2024 तक ट्रायल रूट पर कमर्शियल रन प्रारंभ कर देंगे। फिलहाल, गांधीनगर से लवकुश चौराहे तक पियर्स लग चुके हैं । स्टेशन का काम चल रहा है। लव कुश चौराहे से रूक्र 10 तक अभी पियर्स नहीं लगे हैं। ऐसे में इस डेडलाइन में काम होना मुश्किल लग रहा है।

मेट्रो का फोकस एरिया अभी यह

छह किलोमीटर लंबे प्रायोरिटी कॉरिडोर के ट्रायल रन के बाद मेट्रो कॉर्पोरेशन के अफसरों ने कहा था कि उनका फोकस गांधी नगर से रेडिसन होटल तक 17 किलोमीटर के हिस्से का निर्माण पूरा करने पर होगा,लेकिन विजय नगर चौराहे पर स्टेशन बनाने का काम अधूरा पड़ा है। रेडिसन चौराहे पर क्रेन तो लगा दी गई, लेकिन दोनों सिरों को अभी तक नहीं जोड़ा गया है।

समय के साथ तकनीक बदली

रेलवे अब रेल लाइन के ऊपर स्टील गर्डर ही लगाता है। पहले आरसीसी गर्डर लगाई जाती थी। गर्डर लगाने के लिए मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कंपनी रतलाम रेल मंडल से ब्लॉक मांगेगी, जो रेलवे  सुविधा के अनुसार देगा। संभावना है कि रेलवे रात के समय ब्लॉक देगा, क्योंकि तब ट्रेनों की आवाजाही कम होती है।