स्वतंत्र समय, उज्जैन
इंजीनियरिंग कॉलेज की जमीन पर मेडिकल कॉलेज निर्माण का मामला खटाई में पड़ता दिख रहा है। हाईकोर्ट ने प्रशासन के अधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब तलब किए हैं। इस कारण कोर्ट में अब अवमानना का नया केस भी चलेगा। इंजीनियरिंग कॉलेज की जमीन पर कॉलेज बनाए जाने के निर्णय का शुरू से ही संघर्ष समिति विरोध कर रही है। इंजीनियरिंग कॉलेज की जमीन पर मेडिकल कॉलेज बनाने का भूमिपूजन विधानसभा चुनाव की अचार संहिता लागू होने से ठीक पहले किया गया था। अब तक निर्माण की एक ईंट भी नहीं लगाई जा सकी है। क्योंकि हाईकोर्ट ने इस पर स्थगन आदेश दे रखा है, और कुछ समय पहले अवमानना के नोटिस भी प्रशासन के अधिकारियों को जारी किए हैं। इंजीनियरिंग कॉलेज के एल्यूमिनी एसोसिएशन की ओर से हाईकोर्ट के समक्ष अभिभाषक ने दस्तावेज प्रस्तुत किए थे। इस पर नोटिस जारी कर अधिकारियों से स्पष्टीकरण तलब किए गए हैं।
एसोसिएशन के कोमल भूतड़ा और संघर्ष समिति के भूपेंद्र त्रिवेदी ने बताया स्थगन आदेश के बावजूद भूमिपूजन पर कोर्ट ने स्पष्टीकरण मांगे हैं। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय खंडपीठ इंदौर की डिविजन बेंच ने उज्जैन इंजीनियरिंग कॉलेज की भूमि को मेडिकल कॉलेज को आवंटित करने वाले राज्य शासन के आदेश पर यथास्थिति का आदेश जारी किया था। जनहित याचिका पर यह आदेश जारी किया गया था। अधिवक्ता अभिनव पी. धनोडकर के माध्यम से एसोसिशन ने जनहित याचिका दायर की थी।
23 एकड़ जमीन पर लगाए 20 हजार पेड़
एसोसिएशन पदाधिकारियों के अनुसार इंजीनियरिंग कॉलेज की भूमि मेडिकल कालेज को आवंटित कर दी थी। जबकि उक्त भूमि पर बीस हजार से अधिक वृक्ष लगे हैं। मेडिकल कॉलेज के लिए 25 एकड़ भूमि होने का प्रावधान हैं, लेकिन नियमों के विपरीत 23 एकड़ भूमि मेडिकल कॉलेज को आवंटित कर दी थी।