मैं मोहन यादव, मध्यप्रदेश की खुशहाली की कसम खाता हूं

स्वतंत्र समय, भोपाल

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने पद और गोपनीयता की शपथ ली। वे मध्यप्रदेश के 19वें मुख्यमंत्री हैं। भोपाल के मोतीलाल नेहरू स्टेडियम में शपथ ग्रहण समारोह सिर्फ 10 मिनट का रहा। जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ल ने डिप्टी सीएम  के रूप में शपथ ग्रहण की। राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने सभी को शपथ दिलाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत 11 राज्यों के मुख्यमंत्री इस समारोह में शामिल हुए। राजभवन में सीएम  और डिप्टी सीएम  के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चर्चा भी की। इसके बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव महाकाल के दर्शन करने उज्जैन पहुंचे हैं। भोपाल लौटकर वे आज शाम 5 बजे मंत्रालय में कैबिनेट की पहली बैठक लेंगे। शपथ लेने से पहले मोहन यादव ने कहा, ‘सभी को साथ लेकर चलूंगा और सुशासन सुनिश्चित करूंगा।’ शिवराज सिंह चौहान ने कहा, ‘मुझे विश्वास है कि नए मुख्यमंत्री राज्य में समृद्धि, विकास और जन कल्याण को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। मित्रो, अब विदा। जस की तस धर दीनी चदरिया…।’

चाय-पोहे बेचे, शिक्षक ने पढ़ाई का खर्च उठाया

डॉ. मोहन यादव लगातार तीसरी बार उज्जैन जिले की उज्जैन दक्षिण विधानसभा सीट से विधायक बने हैं। पिछली सरकार में राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री थे। 1965 में गीता कालोनी निवासी पूनमचंद यादव के घर जन्मे मोहन यादव का बचपन आर्थिक तंगी में गुजरा। पिता पूनमचंद मिल में नौकरी करते थे। कमाई ज्यादा नहीं होती थी। परिवार का गुजारा करने के लिए पूनमचंद अपने भाई शंकर लाल के साथ मालीपुर इलाके में चाय-पोहे भजिए की दुकान भी चलाते थे। मोहन यहां कभी-कभी पिता-चाचा की मदद करने आते थे। 1982 में जब मोहन यादव ने छात्रसंघ का पहला चुनाव जीता उस वक्त भी वह अपनी चाय-पोहे की दुकान पर काम करते थे। चाय-पोहे की दुकान ठीक चलने लगी तो उन्होंने उसे बढ़ाकर एक रेस्टोरेंट भी डाला था।परिवार की मदद के साथ मोहन पढ़ाई पर भी पूरा ध्यान रखते थे। परिवार की आर्थिक हालत और मोहन की प्रतिभा को देखते हुए सालिगराम नाम के शिक्षक ने उन्हें अपने साथ रख लिया। उसे पढ़ाया-लिखाया। पूरा खर्च भी उठाया। अभाव के बीच शिक्षक से मिली मदद के साथ मोहन यादव ने पीएचडी तक की शिक्षा ग्रहण की। मोहन यादव ने उज्जैन विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष रहते हुए पॉलिटिकल साइंस में एमए और इसके बाद पीएचडी भी की। 2010 में उन्हें पीएचडी की उपाधि मिली।

डॉ. मोहन यादव ने माधव विज्ञान महाविद्यालय से छात्र राजनीति की शुरुआत की। 1982 में वे माधव विज्ञान महाविद्यालय छात्रसंघ के सह-सचिव और 1984 में माधव विज्ञान महाविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे हैं। 1984 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद उज्जैन के नगर मंत्री और 1986 में विभाग प्रमुख की जिम्मेदारी संभाली। 1988 में यादव अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद मध्यप्रदेश के प्रदेश सहमंत्री और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे हैं। 1989-90 में परिषद की प्रदेश इकाई के प्रदेश मंत्री और सन 1991-92 में परिषद के राष्ट्रीय मंत्री रह चुके हैं। 1993-95 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, उज्जैन नगर के सह खंड कार्यवाह, सायं भाग नगर कार्यवाह और 1996 में खण्ड कार्यवाह और नगर कार्यवाह रहे हैं। संघ में सक्रियता की वजह से मोहन यादव 1997 में भाजयुमो प्रदेश समिति में अपनी जगह बनाई। 1998 में उन्हें पश्चिम रेलवे बोर्ड की सलाहकार समिति के सदस्य बनाया गया। इसके बाद उन्होंने संगठन में रहकर अलग-अलग पदों पर काम किया। 2004-2010 के बीच वह उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष (राज्यमंत्री दर्जा) रहे। 2011-2013 में मध्यप्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम, भोपाल के अध्यक्ष (कैबिनेट मंत्री दर्जा) भी बने। भाजपा की राज्य कार्यकारिणी के सदस्य और सिंहस्थ मध्य प्रदेश की केंद्रीय समिति के सदस्य भी रहे। मध्य प्रदेश विकास प्राधिकरण केप्रमुख, पश्चिम रेलवे बोर्ड में सलाहकार समिति के सदस्य भी रहे हैं। पहली बार 2013 में उज्जैन दक्षिण विधानसभा सीट से विधायक बने। 2018 में दूसरी बार इस सीट से जीतने में सफल रहे। 2020 में भाजपा सरकार बनी तो मोहन यादव मंत्री बने, अब राज्य के मुख्यमंत्री बन गए हैं।