यूरिया खाद की एक-एक बोरी के लिए किसान परेशान

स्वतंत्र समय, बरेली

सरकार खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए अनेक योजनाए चला रही है। परंतु निचले स्तर पर खाद की समय पर व्यवस्था न होने से किसान बोवनी के समय डीएपी, खाद की कमी से जूझते रहे। अब जब फसलों की सिंचाई का महत्वपूर्ण समय है, किसान एक-एक बोरी यूरिया, खाद के लिए हैरान परेशान हो रहे है।
खेती को लाभ का धंधा बनाने कृषि यंत्रो के साथ अन्य अनेक अनुदान योजनाए सरकार और कृषि विभाग चला रहा है। परंतु अच्छी उपज उत्पादन के लिए उम्दा किस्म के बीज और बोवनी, सिंचाई के समय आवश्यकतानुसार किसानों को डीएपी, यूरिया, खाद मिलना जरूरी है। धान, गेहंू, चना की खेती में किसानों द्वारा मुख्य रूप से रासायनिक खादों का ही उपयोग किया जाता है। प्रति सीजन कितनी मात्रा में डीएपी, यूरिया, खाद किसानों को लगती और उठाव बिक्री होती है, यह सब कुछ विपणन संघ और कृषि विभाग के अधिकारियों को मालूम होने के बाद भी प्रति सीजन, प्रतिवर्ष किसानों को उनकी आवश्यकतानुसार खाद क्यों नहीं मिल पाता, यह समीक्षा और कार्यवाही का विषय बना हुआ है।
डीएपी है तो यूरिया नहीं – खुले बाजार में लंबे समय से डीएपी, यूरिया, खाद किसानों को नहीं मिल पा रहा है। डबल लाक की मंडी स्थित गोदाम पर फिलहाल डीएपी, खाद, किसानों को मिल रहा है। परंतु यूरिया, खाद गोदाम में न होने से किसानों को गेंहू फसलों की सिंचाई के समय जरूरी, उपयोग किया जाने वाला यूरिया खाद न मिलने से किसान एक-एक बोरी के लिए भारी हैरान परेशान बने नजर आ रहे है।