स्वतंत्र समय, इंदौर
देपालपुर सीट पर कई दिनों से मनोज पटेल का विरोध हो रहा था और शुक्रवार को अप्रत्याशित घटनाक्रम के तहत राजेंद्र चौधरी के समर्थक भाजपा कार्यालय का घेराव करने जा डटे। यह विरोध करीब डेढ़ घंटा चला और कार्यकर्ताओं ने मांग की कि चुनाव में मनोज पटेल की बजाय राजेंद्र चौधरी को टिकट दिया जाए। बाहरी हटाओ, स्थानीय लाओ के नारे के साथ प्रदर्शन में खासी तादाद में कार्यकर्ता उमड़े।उन्होंने भाजपा पर परिवारवाद का आरोप लगाया। बहरहाल, सांसद शंकर लालवानी की समझाइश के बाद संघ व भाजपा कार्यकर्ता लौटे। उन्होंने यहां तक कहा कि हमें फैसला चाहिए, मनोज का टिकट काटकर राजेंद्र को दें, आश्वासन नहीं चलेगा। खैर कार्यकर्ता किसी तरह माने।
विरोध की सबसे बड़ी वजह
यहां मनोज पटेल का इस सीट पर पिछले चुनाव में विरोध हुआ था। करीब 20 साल से मनोज पटेल इस सीट पर चुनाव लड़ रहे हैंँ। वे पिता निर्भयसिंह पटेल की विरासत संभाल रहे हैं और भाजपा लंबे समय से उन पर भरोसा करते आई है। दो बार पटेल विधायक बने हैं और दो बार पराजित हुए हैँ। पिछली बार भी विरोध के चलते पटेल को हार का मुंह देखना पड़ा था। निर्भय सिंह पटेल के परिवार को 43 साल से भाजपा टिकट से नवाजती आई है। निर्भय सिंह पटेल के बेटे मनोज पटेल को पार्टी ने पहली बार 2003 में टिकट दिया था। इस चुनाव में उन्होंने सत्यनारायण पटेल को हराया था। मनोज पटेल को पार्टी ने 5वीं बार टिकट दिया है।
वोट नहीं देने की चेतावनी
कार्यकर्ताओं ने तख्तियों पर लिखा था- बाहरी हटाओ-स्थानीय लाओ। देपालपुर मांगे राजेंद्र चौधरी। मनोज हटाओ देपालपुर बचाओ। उन्होंने सडक़ पर बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ भी किया। जयश्री राम के नारे लगाए। कार्यकर्ताओं का कहना है कि हमारी बात नहीं मानी तो चुनाव में भाजपा को वोट नहीं देंगे।
संघ से जुड़े हैं राजेंद्र चौधरी
राजेंद्र चौधरी हिंदूवादी छवि के नेता हैं और लंबे समय तक उन्होंने आरएसएस से जुडक़र काम किया है। उन्होंने जबरेश्वर सेना की स्थापना की जो हिंदुत्व के मुद्दों पर आंदोलन करती है। राजेंद्र चौधरी से बड़ी संख्या में आरएसएस और भाजपा के कार्यकर्ता जुड़े हुए हैं।
विवादित छवि, 8 साल जेल में रहे
राजेंद्र चौधरी को मालेगांव बम ब्लास्ट, समझौता एक्सप्रेस, हैदराबाद बम ब्लास्ट में आरोपी बनाया गया था। हालांकि सभी मामलों में क्लीन चिट मिल चुकी है। ऐसा माना जाता है कि उन्हें आरएसएस का समर्थन हासिल है। राजेंद्र चौधरी 2012 से 2020 तक जेल में रहे हैं। 2020 में सभी केस में बरी होने के बाद जबरेश्वर सेना बनाई। वे इस सेना के बैनर तले ही शुक्रवार को प्रदर्शन करने भाजपा कार्यालय पहुंचे।
निर्दलीय चुनाव लड़ने का विकल्प भी
आलाकमान अगर मनोज पटेल का टिकट नहीं काटता है तो संभव है कि राजेंद्र चौधरी निर्दलीय ही मैदान में कूद जाएं। हालांकि इस विषय पर उन्होंने पत्ते नहीं खोले हैंँ।