स्वतंत्र समय, इंदौर
रोटरी वास्तव में सुलभ यातायात संचालन के लिए होती है लेकिन स्मार्ट सिटी में हुए गलत फैसलों ने शहर के ट्रैफिक को सुधारने की बजाय बिगाडऩे का ही काम किया है। तीन साल पहले रिंग रोड पर पांच रोटरी हटाने का निर्णय लिया था। तत्कालीन रूप से यह फैसला सही लगा लेकिन शहर के बढ़ते ट्रैफिक को नजरअंदाज करने से अब रिंग रोड पर भी जाम लगने लगा है। रिंग रोड तो यातायात के स्वतंत्र आवागमन के लिए है और अगर यहीं गाडिय़ों के पहिये थमने लगें तो समझिए कि यातायात के प्लान में बड़ी चूक हुई है। मेट्रो के कामकाज के दौरान विजयनगर की सबसे बड़ी रोटरी तोडऩे के साथ ही वाहन चालक दिशा भ्रम में उलझ गए हैं। वहीं राजमोहल्ले पर कभी यातायात सुगम ढंग से संचालित था लेकिन वहां भी रोटरी तोडऩा परेशानी में डाल गया। वर्तमान में मधुमिलन जहां छह रास्तों का संगम है, वहां रोटरी को छोटा कर पहले से बेहतर किया जा रहा है। अगर यहां पर सब कुछ ठीक रहा तो मान सकते हैं कि यह शहर का आदर्श स्थान हो सकता है। मूल बात यह है कि हेवी ट्रैफिक खास तौर पर भारी वाहनों के लिए क्या कोई योजनाबद्ध प्लान है। इस रूट से सरवटे बस स्टैंड की खंडवा, खरगोन, बुरहानपुर, बड़वानी सहित महाराष्ट्र रूट के अलावा छोटी ग्वालटोली के दर्जन भर निजी ट्रेवल्स की भी बसें गुजरती हैँ, ऐसे में यह निर्णय समय के साथ ही अपनी उपयोगिता बता पाएगा।
सबसे बड़ी दिक्कत तो छोटी ग्वालटोली पर
अगर मधुमिलन के पहले जवाहर मार्ग जहां खत्म हो रहा है, वहां छोटी ग्वालटोली का हिस्सा आता है। यहीं पर मूल समस्या की जड़ है, जिस पर प्रशासन का ध्यान नहीं है। निजी बस ऑपरेटर यहां बड़ी तादाद में हैं, जिन पर प्रशासन ने कभी यहां से रवाना करने का प्लान ही नहीं बनाया। समय के साथ ही यहां गाडिय़ों का काफिला बढ़ता गया।
मधुमिलन के लिए मौजूदा प्लान
मधुमिलन की रोटरी बड़ी होने से यहां वाहनों के गुजरने में काफी समय लग रहा था, ऐसे में प्रशासन ने इसे छोटा करने का फैसला लिया। इससे वाहन ज्यादा जगह मिलने पर जल्द निकल सकेंगे। यहां छह रास्तों का मिलन हो रहा है, ऐसे में रोटरी छोटी की जा रही है। साथ ही आईलैंड भी बनाए जाएंगे। प्रशासन की मानें तो इसे इंदौर के सबसे बेहतर चौराहे के रूप में डेवलप किया जाएगा। इस पर करीब चार करोड़ से ज्यादा राशि का बजट रखा गया है।
मधुमिलन के पास नहीं हैं इन सवालों के जवाब
- प्रति मिनट औसतन 250 वाहनों का दबाव झेलने वाला मधुमिलन में शहर की सबसे बड़ी रोटरी। वाहन गुजरने में लगता है समय।
- मधुमिलन की रोटरी को तोडक़र छोटा किया जा रहा है ताकि यातायात सुगम हो सके, यह फैसला ठीक है लेकिन बढ़ती बसों का क्या होगा।
- छावनी की ओर जाने वाले रास्ता संकरा है और एक ओर बड़ा मॉल भी है, इससे वाहनों के पीक अवर्स में निकलने में दिक्कत।
- मधुमिलन के पास किबे कम्पाउंड की ओर गाडिय़ां उलझती हैं क्योंकि टर्न संकरा है।
- ढक्कनवाले कुआं की ओर सिग्नल है क्योंकि आरएनटी मार्ग से लगातार वाहन आ रहे हैं, ऐसे में यहां वाहन चालक बसों के प्रेशर की वजह से रुकना पसंद नहीं करते और सिग्नल जंप करते हैं।
- ऐसी ही स्थिति ढक्कन वाले कुएं से आ रहे वाहन चालकों के साथ भी कभी-कभी बनती है।
विजय नगर के ग्रीन सिग्नल में उलझ रहे वाहन चालक
इंजीनियर अतुल शेठ के मुताबिक रसोमा चौराहे की ओर से आने पर सिग्नल पर वाहन रुकते हैं। विजय नगर थाने के सामने सिग्नल लगा है, एक पोर्टेबल सिग्नल बोगदे के नीचे है। वाहन ग्रीन सिग्नल होने पर आगे बढ़े तो सयाजी की ओर से रिंग रोड की ओर का सिग्नल भी ग्रीन हो जाता है। वाहन चालक बीच में ही अटक जाते हैं। रेडिसन चौराहे से सयाजी चौराहे की ओर सामने व राइट हैंड पर जाने का सिग्नल ग्रीन होता है। ऐसे में जो वाहन चालक सत्यसाईं चौराहा जाने के लिए टर्न लेना चाहते हैं उन्हें बोगदे के नीचे खड़ा होना पड़ता है। सयाजी से रिंग रोड रेडिसन चौराहा जाने का सिग्नल ग्रीन होने से यह स्थिति बनती है।
पुलिस कमिश्नर भी मान चुके कि विजय नगर चौराहा बहुत बड़ा हो गया
इधर रोटरी तोडऩे के बाद पुलिस कमिश्नर मकरंद देउस्कर भी इस बात को स्वीकार कर चुके हैं कि मेट्रो के काम के समय विजय नगर की करीब 100 फीट की रोटरी तोडऩे से चौराहा काफी बड़ा हो गया है। चालक ग्रीन होने के बाद वाहन निकाल ले जाते हैं लेकिन चौराहा बड़ा होने से दूसरी ओर का सिग्नल ग्रीन होते ही इन चालकों की परेशानी बढ़ जाती है और चौराहे पर ही जाम लग रहा है। पुलिस कमिश्नर ने कहा कि यहां यातायात संभालने में दिक्कत आ रही है, ऐसे में अब नगर निगम से बात कर समाधान निकाला जाएगा।
विजय नगर पर संभावित समाधान
- दो बोगदों में ट्रैफिक बंद करें, नया सिग्नल सिस्टम लगाएं
- चौराहा काफी बड़ा हो गया है, मेट्रो ट्रैक के चार बोगदे हैं जिसमें से वाहन जाते हैं। दो बोगदों को बंद कर दो बोगदे से ट्रैफिक चलाना होगा।
- पुराने चौराहे का ट्रैफिक सिग्नल लगा है जो फेल है इसलिए वाहन उलझते हैं। यहां नए सिग्नल लगाने की जरूरत है।
- चौराहे के डिवाइडर आगे तक बढ़ाने होंगे ताकि चौराहा छोटा हो जाए।